आई कनसर्न

- साधन बहुत पर काम नहीं करते है सफाई कर्मी

- शहर में सफाई को लेकर अनेक बार हो चुका है विवाद

मेरठ। क्या नगर निगम केवल कागजों में शहर को साफ करता है, ये बात कई बार साबित हो चुकी है। स्वच्छता सर्वे 2017 में मेरठ को मिले 339वें स्थान से नगर निगम की कार्य प्रणाली पर फिर सवाल उठा है। इसके बावजूद सुधार के सिर्फ दावे हो रहे हैं। जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।

साधनों की कमी नहीं

शहर को साफ करने के लिए ऐसा नहीं है कि नगर निगम के पास साधन की कमी हो। नगर निगम के पास भरपूर साधन है, लेकिन सिर्फ नाम के लिए हैं। नगर निगम के पास 3325 सफाई कर्मी हैं। इसके अलावा भी नगर निगम के पास कूड़ा उठाने व सफाई करने के पर्याप्त साधन हैं। फिर भी शहर गंदा ही नजर आता है।

नहीं करते सफाई

बीते साल नगर आयुक्त डीकेएस कुशवाहा ने एक गुपचुप सर्वे कराया था। उस सर्वे में 20 प्रतिशत कर्मचारियों के सफाई न करने की बात सामने आई थी। बावजूद इसके नगर आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की। शहर की सफाई व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।

बोर्ड बैठक में हंगामा

सफाई को लेकर नगर निगम की बोर्ड बैठक हर बार हंगामे की भेंट चढ़ती है। सफाई कर्मियों के सफाई न करने की बात को लेकर पार्षद सवाल उठाते हैं। वहां पर नगर आयुक्त और अन्य अधिकारी फटकार लगाते हैं। लेकिन बैठक खत्म होते ही फिर पुराने ढर्रे पर व्यवस्था लौट आ जाती है।

शहर में अनेक डलाव घर

नगर निगम ने शहर भर के कूड़े को निस्तारित करने के लिए अनेक डलाव घर बना रखे हैं, जिसमें मेवला फाटक के नीचे, हापुड़ रोड, किला रोड तो घोषित हैं इसके अलावा बहुत से अघोषित डलाव घर हैं।

अधिकारियों ने मानी हार

शहर को स्वच्छ करने के लिए अनेक बार कमिश्नर से लेकर डीएम तक ने विशेष सफाई अभियान चलवाए। लेकिन विशेष सफाई अभियान के दौरान तो संबंधित जगहों पर सफाई दिखाई दी। उसके बाद फिर से स्थिति पुरानी हो जाती है। गंदगी का अंबार लगना शुरू हो जाता है।

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प्रोजेक्ट शुरू हों तो होगा लाभ

शहर को स्वच्छ बनाने के लिए अनेक प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो कि लंबित पड़े हुए हैं। यदि वह प्रोजेक्ट शुरू हो जाए तो शहर को गंदगी से कुछ राहत मिल सकती है।

लंबित प्रोजेक्ट

-कूड़े से बिजली बनेगी।

-घर-घर से कूड़ा उठाना

-2355 सफाई कर्मियों की भर्ती

-सीवर बिछाने का काम शुरू होना

यह है शहर की स्थिति

20 लाख आबादी

80 वार्ड

900 मीट्रिक टन कूड़ा (प्रतिदिन)

3325 सफाई कर्मी

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स्वच्छता सर्वे में मेरठ का 339वां नंबर रहना काफी शर्मनाक है। ये पिछली सपा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान भी है। अब प्रदेश में भाजपा सरकार बनी है। निश्चित रूप से हालात में सुधार होगा।

-राजेंद्र अग्रवाल, सांसद

स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की 339 वीं रैंक सोचना का विषय है। नगर आयुक्त से इस मामले पर बात की जाएगी।

-सत्यप्रकाश अग्रवाल, विधायक कैंट

पीएम से लेकर सीएम तक स्वच्छता को लेकर जोर दे रहे हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण में 339 वीं रैंक आना गंभीर मामला है। संबंधित अधिकारियों से इस संबंध में बात कर शहर को स्वच्छ बनाया जाएगा।

-सोमेंद्र तोमर, दक्षिण विधायक

शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर अनेक बार मुद्दा उठाया जा चुके हैं। सफाईकर्मी काम ही नहीं करते हैं। 339 वीं रैंक शहर के लिए शर्मनाक बात है।

-सेंसरपाल, पार्षद दल नेता भाजपा

नगर निगम के कर्मचारी बिना साथ लगे काम नहीं करते हैं। यदि उनके भरोसे छोड़ दिया जाए तो शहर में गंदगी का अंबार लग जाए। स्वच्छता सर्वेक्षण में 339 वी रैंक आना शहर के लिए एक धब्बा है।

-पंकज कतीरा, पार्षद वार्ड 31

स्वच्छता रैंकिंग को लेकर जानकारी नहीं है। पहले से सफाई व्यवस्था काफी दुरूस्त हुई है। शहर की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कूड़े से बिजली प्लांट शुरू होने के बाद गंदगी से निजात मिल जाएगी।

-डीकेएस कुशवाहा नगर आयुक्त

मेरठ क्रांति धरा है, इसे स्वच्छ बनाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। लेकिन हम केवल दूसरों पर आरोप प्रत्यारोप जड़ते हैं, जबकि हमें अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहिए।

-डॉ। मृणालिनी अनंत, प्रिंसिपल, एमपीजीएस शास्त्रीनगर

शहर को साफ बनाना किसी एक का काम नहीं है। बल्कि इसमें हम सभी के सहयोग की अवश्यकता है। अगर हमें अपने मेरठ को सफाई की दौड़ में आगे लाना है तो अपनी जिम्मेदारी को मानते हुए सफाई रखनी चाहिए।

-मनोज गोयल, टीचर, ट्रांसलेम

अक्सर मैंने देखा है हम केवल विभागों पर ही आरोप लगाते हैं। लेकिन साफ सफाई रखना हमारा भी फर्ज है। अगर हम कूड़ेदान में कूड़ा डाले साफ सफाई रखे तो ऐसी नोबत ही ना आए।

-बीबी बंसल, प्रिंसिपल, एसडी ब्वॉयज सदर

मेरठ शहर सफाई की दौड़ में पीछे है, इसका सबसे बड़ा कारण हम खुद ही है। क्योंकि हम अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को नहीं निभा रहे हैं।

-शुभम, स्टूडेंट

हमें अपने शहर को साफ बनाने में सहयोग रखना चाहिए। अक्सर ये बाते सुनी सुनाई जाती है, लेकिन इन पर जमीनी हकीकत पर कोई अमल नहीं करता है।

-अंकित, स्टूडेंट

शहर को साफ बनाने में सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। हमें, विभाग को व सरकार को तभी जाकर शहर में सुधार होगा।

-सरला शर्मा

अक्सर हम दूसरों को साफ सफाई करने की नसीहत देते हैं, लेकिन जब अपनी बात आती है तो हम भूल जाते हैं।

-सोनिया सिंह