इस गंदगी को अब साफ करे कौन?

यह सवाल इन फटे हुए होर्डिंग्स-बैनर्स में मौजूद नेताओं से ही करना ज्यादा बेहतर होगा कि आपकी फैलाई गंदगी को साफ कौन करेगा? क्योंकि जिस तरह से सीएम को अपनी सूरत दिखाने की चाहत में मुहल्ले टोले से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओं ने अपने बैनर्स को पुलिस लाइन, कैंटोन्मेंट, कैंट, अंधरापुल, वरुणापुल, नदेसर सहित अन्य इलाकों में लगाया था, उनको मौसम के बदले मिजाज ने बिगाड़ कर रख दिया। ये होर्डिंग्स-बैनर्स ने शहर के इन इलाकों को पूरी तरह से बदरंग कर दिया। ये बैनर्स जब साबूत थे तब तो ठीक भी लग रहे थे लेकिन हवा के चलते फट जाने के बाद ये शहर को बदसूरत कर दिया। इसके बावजूद इनको हटाने की हिम्मत न निगम प्रशासन जुटा पा रहा है और न इन्हें हटाने की जहमत वो नेताजी कर रहे हैं जिन्होंने इसे रात-रात भर जगकर लगवाया था.

प्रशासन की दिख गई असलियत

सीएम अखिलेख यादव के आने से पहले पुलिस लाइन और आसपास को चमकाने की कवायद पिछले 15 दिनों से चल रही थी। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद पुलिस लाइन ग्राउंड में हुए प्रोग्राम में मंच से लेकर तंबू कनात सब बनाये गए। सड़कों पर मौजूद गड्ढों को छिपाने के लिए इन पर पैच वर्क भी किया गया, धूल के गुब्बार को रोकने के लिए दिन में कई राउंड झाडू भी लगाए गए, लेकिन सीएम साहब का प्रोग्राम खत्म होते ही सब कुछ अपनी पहली जैसी हालत में लौट आये। हालात ये हैं कि जिस ग्राउंड पर सीएम के आने से पहले चहल पहल थी वहां गुरुवार को सन्नाटा पसरा पड़ा था। गड्ढा मुक्त करने के लिए जिन सड़कों पर पैच वर्क किया गया था, उनके तारकोल के लेयर रात भर में ही उखडऩे लगे। इतना ही नहीं सड़क निर्माण में तेजी दिखाते हुए जो रोलर रोड पर लगाए गए थे वो अब भी पाण्डेयपुर फ्लाई ओवर के नीचे की कनेक्टिंग रोड पर बीचों बीच खड़ा है. 

चंद घंटों के लिए हो गए लाखों खर्च

सीएम साहब ने स्टूडेंट्स के अलावा कुछ ऐसे लोगों का भी भला कर दिया जिनका उनसे सीधा सरोकार नहीं था। उनके प्रोग्र्राम से होर्डिंग्स-बैनर्स बनाने वालों ने खूब चांदी काटी। सिटी में सीएम के आने की जानकारी होते ही सपा नेताओं में होर्डिंग-बैनर्स लगाने की होड़ लग गयी। वे होर्डिंग-बैनर, झण्डा आदि बनाने वालों को बड़े-बड़े ऑर्डर दे दिये। मंदी के समय बड़ा ऑर्डर पाकर वो भी गदगद हो गए और उनको पूरा करने में दिन-रात जुट गए। सिर्फ पंद्रह दिन के अंदर लगभग 60 लाख रुपए के छोटे-बड़े होर्डिंग, बैनर, पोस्टर, झण्डा आदि बन कर तैयार हो गए। स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने के प्रोग्र्राम की क्रेडिट लेने और सीएम तक अपना नाम पहुंचाने के लिए सपा नेताओं ने वरुणापार एरिया को छोटे बड़े होर्डिंग्स, बैनर्स, पोस्टर्स, झंडों से पाट दिया। पांच सौ से लेकर 25 हजार रुपये तक के पांच सौ अधिक बैनर-पोस्टर हर तरफ लगा दिये गए। उन्हें लगाने का काम तब तक चलता रहा जब तक 29 मई को निर्धारित टाइम पर सीएम पुलिस लाइन ग्राउंड में नहीं आ गए।  
 
भई यह सरकार हमारी है

सीएम का प्रोग्र्राम था तो रूलिंग पार्टी के नेताओं को होर्डिंग बैनर लगाने से भला कौन रोक सकता था। रूल्स तो यह कहते हैं कि सिटी में बेवजह किसी तरह का बैनर-पोस्टर नहीं लगाना चाहिए। यदि किसी को होर्डिंग, बैनर, पोस्टर आदि लगाना ही है तो उसे नगर निगम से परमीशन लेनी चाहिए। ऐसा न करने वालों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है। लेकिन जब मामला रूलिंग पार्टी को हो तो उसे कौन रोके। वह भी तब जब सीएम साहब का ही प्रोग्र्राम हो। सो सपा नेताओं ने ऐसी कोई जरूरत नहीं समझी और जहां जी चाहा वहां होर्डिंग्स-बैनर्स लगाए। सीएम का प्रोग्र्राम खत्म होने के बाद भी उसे हटाने की जरूरत नहीं समझी। भले ही उन होर्डिंग बैनर से शहर बदसूरत नजर आता हो.

इस गंदगी को अब साफ करे कौन?

 

यह सवाल इन फटे हुए होर्डिंग्स-बैनर्स में मौजूद नेताओं से ही करना ज्यादा बेहतर होगा कि आपकी फैलाई गंदगी को साफ कौन करेगा? क्योंकि जिस तरह से सीएम को अपनी सूरत दिखाने की चाहत में मुहल्ले टोले से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओं ने अपने बैनर्स को पुलिस लाइन, कैंटोन्मेंट, कैंट, अंधरापुल, वरुणापुल, नदेसर सहित अन्य इलाकों में लगाया था, उनको मौसम के बदले मिजाज ने बिगाड़ कर रख दिया। ये होर्डिंग्स-बैनर्स ने शहर के इन इलाकों को पूरी तरह से बदरंग कर दिया। ये बैनर्स जब साबूत थे तब तो ठीक भी लग रहे थे लेकिन हवा के चलते फट जाने के बाद ये शहर को बदसूरत कर दिया। इसके बावजूद इनको हटाने की हिम्मत न निगम प्रशासन जुटा पा रहा है और न इन्हें हटाने की जहमत वो नेताजी कर रहे हैं जिन्होंने इसे रात-रात भर जगकर लगवाया था।

 

प्रशासन की दिख गई असलियत

 

सीएम अखिलेख यादव के आने से पहले पुलिस लाइन और आसपास को चमकाने की कवायद पिछले 15 दिनों से चल रही थी। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद पुलिस लाइन ग्राउंड में हुए प्रोग्राम में मंच से लेकर तंबू कनात सब बनाये गए। सड़कों पर मौजूद गड्ढों को छिपाने के लिए इन पर पैच वर्क भी किया गया, धूल के गुब्बार को रोकने के लिए दिन में कई राउंड झाडू भी लगाए गए, लेकिन सीएम साहब का प्रोग्राम खत्म होते ही सब कुछ अपनी पहली जैसी हालत में लौट आये। हालात ये हैं कि जिस ग्राउंड पर सीएम के आने से पहले चहल पहल थी वहां गुरुवार को सन्नाटा पसरा पड़ा था। गड्ढा मुक्त करने के लिए जिन सड़कों पर पैच वर्क किया गया था, उनके तारकोल के लेयर रात भर में ही उखडऩे लगे। इतना ही नहीं सड़क निर्माण में तेजी दिखाते हुए जो रोलर रोड पर लगाए गए थे वो अब भी पाण्डेयपुर फ्लाई ओवर के नीचे की कनेक्टिंग रोड पर बीचों बीच खड़ा है. 

 

चंद घंटों के लिए हो गए लाखों खर्च

 

सीएम साहब ने स्टूडेंट्स के अलावा कुछ ऐसे लोगों का भी भला कर दिया जिनका उनसे सीधा सरोकार नहीं था। उनके प्रोग्र्राम से होर्डिंग्स-बैनर्स बनाने वालों ने खूब चांदी काटी। सिटी में सीएम के आने की जानकारी होते ही सपा नेताओं में होर्डिंग-बैनर्स लगाने की होड़ लग गयी। वे होर्डिंग-बैनर, झण्डा आदि बनाने वालों को बड़े-बड़े ऑर्डर दे दिये। मंदी के समय बड़ा ऑर्डर पाकर वो भी गदगद हो गए और उनको पूरा करने में दिन-रात जुट गए। सिर्फ पंद्रह दिन के अंदर लगभग 60 लाख रुपए के छोटे-बड़े होर्डिंग, बैनर, पोस्टर, झण्डा आदि बन कर तैयार हो गए। स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने के प्रोग्र्राम की क्रेडिट लेने और सीएम तक अपना नाम पहुंचाने के लिए सपा नेताओं ने वरुणापार एरिया को छोटे बड़े होर्डिंग्स, बैनर्स, पोस्टर्स, झंडों से पाट दिया। पांच सौ से लेकर 25 हजार रुपये तक के पांच सौ अधिक बैनर-पोस्टर हर तरफ लगा दिये गए। उन्हें लगाने का काम तब तक चलता रहा जब तक 29 मई को निर्धारित टाइम पर सीएम पुलिस लाइन ग्राउंड में नहीं आ गए।  

 

भई यह सरकार हमारी है

 

सीएम का प्रोग्र्राम था तो रूलिंग पार्टी के नेताओं को होर्डिंग बैनर लगाने से भला कौन रोक सकता था। रूल्स तो यह कहते हैं कि सिटी में बेवजह किसी तरह का बैनर-पोस्टर नहीं लगाना चाहिए। यदि किसी को होर्डिंग, बैनर, पोस्टर आदि लगाना ही है तो उसे नगर निगम से परमीशन लेनी चाहिए। ऐसा न करने वालों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है। लेकिन जब मामला रूलिंग पार्टी को हो तो उसे कौन रोके। वह भी तब जब सीएम साहब का ही प्रोग्र्राम हो। सो सपा नेताओं ने ऐसी कोई जरूरत नहीं समझी और जहां जी चाहा वहां होर्डिंग्स-बैनर्स लगाए। सीएम का प्रोग्र्राम खत्म होने के बाद भी उसे हटाने की जरूरत नहीं समझी। भले ही उन होर्डिंग बैनर से शहर बदसूरत नजर आता हो।