-- कोहरे के बाद निकली धूप है खतरनाक, थोड़ी सी लापरवाही कर रहा बीमार

-हॉस्पिटल्स में बढ़ रही पेशेंट्स की संख्या

- बढ़ी गलन, सुबह से शीतलहर और कोहरे ने किया लोगों को परेशान

GORAKHPUR : मौसम की मार से गोरखपुराइट्स परेशान हैं। टेंप्रेचर का टॉर्चर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसमें हल्की सी निकली धूप ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है। इससे जहां गलन में लगातार इजाफा हो रहा है, वहीं टेंप्रेचर फ्लकचुएशन की वजह से कोहरे का कहर भी बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि रात में कोहरे के कारण भ् मीटर दूरी की चीजें भी साफ नहीं दिख रही हैं। इससे जहां एक्सिडेंट का खतरा बढ़ गया है, वहीं गोरखपुराइट्स को बीमारियों ने आगोश में लेना शुरू कर दिया है। इसमें सबसे ज्यादा तादाद टीनएजर्स और बच्चों की है।

कोहरे के बाद धूप से जरा होशियार

इन दिनों हल्की सी धूप निकलने के बाद भी मौसम का रुख काफी सख्त है। जिसकी वजह से पारे में लगातार उतार और चढ़ाव जारी है। इस फ्लकचुएशन में फंस कर गोरखपुराइट्स बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल हो या प्राइवेट क्लीनिक, सभी में पेशेंट्स की संख्या बढ़ गई है। वायरल बीमारियां भी तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहीं है। सबसे अधिक बच्चे परेशान हैं।

तेजी से पनपते हैं वायरस

मौसम के फ्लकचुएशन में वायरस बड़ी ही तेजी से पनपते हैं और इंफेक्शन के चांसेज कई गुना बढ़ जाते हैं। इसकी वजह से लोग वायरल बीमारियों की चपेट में आ जा रहे हैं। डॉक्टर्स की मानें तो जरा सी लापरवाही इस नार्मल सी प्रॉब्लम को क्रिटिकल बना देती है। दोपहर में खिली धूप में लोग हल्के गर्म कपड़े पहन रहे हैं या पहने हुए स्वेटर या गर्म कपड़ों को उतार देते हैं। इस दोतरफा मौसम में लोगों की जानबूझ कर की यह गई गलती उन्हें बीमारी की ओर ढकेल रही है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की बात करें तो यहां लगभग ख्00 से ज्यादा इंफेक्शन और सीजनल बीमारी की चपेट में आए लोग पहुंच रहे हैं। जो आम दिनों में क्00 से क्भ्0 के बीच रहते हैं।

निमोनिया का इनिशियल स्टेज है जुकाम

इस खतरनाक सीजन में बच्चे को सबसे ज्यादा सर्दी और जुकाम परेशान करता है। डॉक्टर्स की मानें तो सर्दी और जुकाम निमोनिया का इनिशियल स्टेज है। अगर ऐसी कंडीशन आती है तो फौरन ही डॉक्टर्स से कंसल्ट कर दवा लेने की जरूरत है। यूथ भी फैशन के फेर में फंस कर वायरल की चपेट में आ रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और प्राइवेट क्लीनिक में सबसे अधिक बच्चों में कोल्ड निमोनिया, वायरल, जुकाम और खांसी के केस आ रहे हैं।

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प्रीकाशन फॉर चिल्ड्रेन

- बॉडी को पूरी तरह से कवर्ड रखें।

-ट्रैवल करने से बचें।

-जरूरत पड़ने पर ही घर के बाहर जाने दे।

-कान और पैर को जरूर ढके।

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प्रीकाशन फॉर हार्ट पेशेंट्स

- टेंप्रेचर फ्लकचुएशन में अटैक के चांस बढ़ जाते हैं, इसलिए दवा टाइम पर लें।

-थोड़ी भी दिक्कत होने पर डॉक्टर एडवाइस लें।

-सुबह और शाम वाकिंग न करें।

-घर से निकलते टाइम बॉडी को अच्छी तरह ढक कर रखें।

-मौसम चेंज है, इसलिए हल्की धूप होने पर भी गर्म कपड़े कम न पहनें।

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प्रीकॉशन फॉर अस्थमा पेशेंट्स

- ठंड बढ़ने पर अस्थमा की प्रॉब्लम सबसे ज्यादा बढ़ जाती है, इसलिए टाइमली दवा लें।

- कोहरे के दौरान जहां तक पॉसिबल हो कम निकलें, क्योंकि फॉग और पॉल्युशन मिलकर स्मॉग बनाता है, जो काफी खतरनाक है।

- जहां तक पॉसिबल हो टू व्हीलर्स अवॉइड करें, जिससे की ठंड कम से कम लगे।

-घर से बाहर जाने के दौरान बॉडी को पूरी तरह से कवर रखें।

-इस सीजन में आमतौर पर चेस्ट और थ्रोट का इंफेक्शन होने का चांस बढ़ जाता है, जो प्रॉब्लम को क्रिटिकल बना सकता है, इसलिए अकेले ट्रैवल न करें।

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कोहरे के दौरान अस्थमा पेशेंट्स की प्रॉब्लम बढ़ जाती है, क्योंकि इस दौरान एयर में स्मॉग रहता है, जो काफी खतरनाक है। जहां तक पॉसिबल हो ठंड से बचें, गर्म पानी पीयें।

- डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट

वायरल डिजीज से बचाने के लिए बच्चों का पूरा ख्याल रखें। गर्म कपड़ों से उसे पूरी तरह ढक कर रखें और जरूरत पड़ने पर ही घर के बाहर जाने दें। छोटी भी प्रॉब्लम होने पर डॉक्टर एडवाइस जरूर लें। मौसम में आ रहे अचानक चेंज से बचना चाहिए।

डॉ। अरुण गर्ग, पीडियाट्रिक्स

यह सीजन काफी खतरनाक होता है, क्योंकि इसमें टेंप्रेचर अचानक घटता-बढ़ता है। हार्ट तथा अस्थमा पेशेंट के लिए ये सीजन काफी खतरनाक है। उन्हें समय पर दवा लेने की जरूरत है। साथ ही जितना प्रिकॉशन लें, उतना बेहतर होगा।

डॉ। सुधांशु शंकर, फिजीशियन