केस : 1

काफी दिनों से बिजली ने काफी परेशान कर दिया है। 24 घंटों में बमुश्किल 10 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। घर और ऑफिस के इनवर्टर पूरी तरह से बेकार हो चुके हैं। जिसके कारण जेनरेटर की व्यवस्था की है। थोड़ा महंगा तो है, लेकिन दिन में ऑफिस और रात को घर में चैन तो मिलना ही चाहिए।

- विजय नंदा, बिजनेसमैन

केस : 2

बिजली के आने और जाने के क्रम में इनवर्टर पूरी तरह से खराब हो गया है। मेरठ जैसे शहर में जहां दिन में 8 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। वहां इनवर्टर कितना काम करेगा। इस कारण से घर में जेनरेटर किराए पर लगवाया है। ताकि डीजल की बदौलत कूलर और लाइट तो मिले। अब तो स्कूल भी खुल गए हैं। बच्चे बिजली के बिना पढ़ाई भी नहीं कर सकते हैं।

- अनुज जैन, बिजनेसमैन

- सिटी में बिजली की न आने की वजह से कदम-कदम पर लग गए जेनरेटर

- सिटी में करीब 2 लाख छोटे-बड़े जेनरेटर कर रहे हैं रन

- डेली 40 लाख डीजल की हो रही है खपत

Meerut : ये कहानी सिर्फ अकेले विजय नंदा और अनुज जैन की ही नहीं है। शहर में हर क्लास का आदमी बिजली किल्लत महसूस करने लगा है। अब तो लोगों के गर्मी का साथी इनवर्टर ने भी दम तोड़ना शुरू कर दिया है। ऐसे में लोगों ने अब जेनरेटर को अपना नया साथी बना लिया है। घर हो या ऑफिस या फिर बैंक या फैक्ट्री सभी जगहों पर जेनरेटर की गड़गड़ाहट आपको मिल जाएगी।

कदम दर कदम जेनरेटर

सिटी में आप कहीं भी चले जाएं आपको हर सड़क और घर और बैंक के बाहर जेनरेटर रखा मिल जाएगा। अब जेनरेटर के बिना लोग अपने घरों और दफ्तरों में बिजली एक्सपेक्ट नहीं कर रहे हैं। अगर आंकड़ों की बात करें तो सिटी में छोटे बड़े मिलाकर करीब दो लाख जेनरेटर रन कर रहे हैं। किराए पर जेनरेटर देने का कारोबार करने वाले सुनील पाल की माने तो वैसे तो ये कारोबार पूरे साल चलता है। लाइट जाने पर बैकअप में सभी जेनरेटर का कनेक्शन रखते ही हैं। लेकिन गर्मियों के इन चार महीनों में पब्लिक अपने लिए किराए का जेनरेटर भी रखती हैं। ऐसे में काफी संख्या में लोग अपने यूज के हिसाब से जेनरेटर किराए पर लेते हैं।

ख्.भ् केवीए से भ्00 केवीए तक

सिटी में कई डिफ्रेंट केवीए के जेनरेटर्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। जानकारों की माने तो सिटी में ख्.भ् केवीए से लेकर भ्00 केवीए तक के जेनरेटर्स रन कर रहे हैं। सभी अपनी जरुरतों के हिसाब से जेनरेटर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार बैंकों, बड़े ऑफिसों, फैक्ट्रियों में क्ख्भ् केवीए से भ्00 केवीए तक जेनरेटर्स इस्तेमाल हो रहे हैं। वहीं बड़े बंगलों, और छोटी सोसायटी में म्ख् से 8ख् केवीए के जेनरेटर्स इस्तेमाल हो रहे हैं। वहीं छोटे घरों और छोटी दुकानों में ख्.भ् केवीए से लेकर ब्0 केवीए के जेनरेटर्स को यूज किया जा रहा है।

रोजाना ब्0 लाख डीजल की खपत

जेनरेटर्स पर रोजाना ब्0 लाख डीजल की खपत डेली हो रही है। एक्सपर्ट के अनुसार डिफ्रेंट केवीए का जेनरेटर डिफ्रेंट क्वांटिटी में डीजल की खपत होती है। ख्.भ् केवीए का जेनरेटर 800 एमएल प्रति घंटे डीजल की खपत होती है। वहीं ख्0 केवीए फ् लीटर डीजल प्रति घंटे की खपत होती है। अगर म्ख् केवीए की बात करें तो क्ख् लीटर डीजल प्रति घंटे के अनुसार खपत होती है। वहीं ख्भ्0 केवीए के जेनरेटर में ब्0 लीटर डीजल प्रति घंटे इस्तेमाल होता है और भ्00 केवीए के जेनरेटर में म्0 डीजल प्रति घंटे खपत होती है। इस तरह से औसतन ख्ब् घंटे में हर जेनरेटर में ख्0 लीटर की खपत हो रही है। दो लाख जेनरेटर्स के हिसाब से ब्0 लाख डीजल की खपत हो रही है।

तो कुछ इस तरह से होती है डीजल की खपत

जेनरेटर्स (केवीए में) डीजल खपत

प्रति घंटा (लीटर में)

ख्.भ् 0.8

7.भ् क्

क्0 क्.7भ्

क्भ् ख्.भ्

ख्0 फ्

फ्0 भ्

ब्0 7

म्ख् क्ख्

8ख् क्भ्

क्ख्भ् ख्ख्

क्म्0 फ्0

ख्भ्0 ब्0

भ्00 म्0

फैलाते हैं अंधाधुंध पॉल्यूशन

जहां एक ओर ओर डीजल चलित जेनरेटर्स का इस्तेमाल कर पब्लिक गर्मी से निजात पाने की कोशिश कर रही हैं। वहीं ग्लोबल वॉर्मिग को बढ़ावा देने में सहायक भी साबित हो रही है। ऑन एवरेज ख्ब् घंटे में क्0 घंटे डीजल का इस्तेमाल हो रहे हैं। जिसकी वजह से डीजल से निकलने वाली गैस को सिटी के वातावरण को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। ऐसे में ये जेनरेटर वातावरण को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है।

वर्जन

आज के समय में जेनरेटर लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। क्योंकि बिजली न होने की वजह से लोगों के इनवर्टर की बैट्री जल्दी खत्म हो जाती है। तो वो जेनरेटर की ओर ही भागते नजर आ रहे हैं।

- सुनील पाल, जेनरेटर व्यापारी

जेनरेटर लगवाने के लिए रोज म् लोग आ रहे हैं। लेकिन सब जगह डिलिवरी देना काफी मुश्किल है। क्योंकि जेनरेटर का किराया देने को तैयार हैं। अब इतने जेनरेटर्स कहां से लेकर आएं।

- पम्मी रस्तोगी, जेनरेटर व्यापारी