- रिंगरोड और रोड चौड़ीकरण में जमकर हुई पेड़ों की कटाई

- वरुणापार इलाकों में गिनती के हैं पेड़

VARANASI

ग्लोबल वार्मिग से निजात पाने के लिए वैश्रि्वक स्तर पर रणनीति बन रही है। इनमें पेड़ पौधे का संरक्षण भी प्रमुख मुद्दा है। पीएम नरेन्द्र मोदी इस दिशा में देशवासियों को अपने कार्यक्रम के जरिये अवेयर कर रहे हैं। फिर भी उनके ही संसदीय क्षेत्र में पेड़ पौधे बेतहाशा काटे जा रहे हैं। इसका असर एनवायरमेंट पर पड़ने लगा है। वरुणापार इलाके में लाखों लोगों को छांव देने वाले पेड़ विकास की भेंट चढ़ गये हैं। यहां का टेम्प्रेचर लेवल शहर के अन्य हिस्सों से काफी अलग है।

ताक पर डिपार्टमेंट के रूल

सेंट्रल गवर्नमेंट के चौड़ीकरण प्रोजेक्ट वर्क के दौरान एयरपोर्ट मार्ग पर सैंकड़ों हरे भरे पेड़ काट दिये गये। वरुणापार इलाके में शहर का यह हिस्सा पहले पेड़ पौधों से हरा-भरा रहता था। विकास कार्य के नाम पर कार्यदायी संस्थाओं ने विकास कार्य में बाधक बने पेड़ को काट तो दिया लेकिन उनके बदले में पौधा लगाने पर विचार नहीं किया। जबकि फारेस्ट डिपार्टमेंट रूल के अनुसार एक पेड़ के बदले प्रभावित इलाके में कम से कम दस पेड़ लगाना चाहिए।

सारनाथ में भी बिन पेड़ बेजार

मन में सारनाथ का खयाल आते ही हरियाली की तस्वीर सामने आ जाती है। लेकिन यह इलाका अब ऐसा नहीं रहा। क्योकि रिंगरोड के तहत चल रहे विकास कार्य के बीच धीरे-धीरे यहां भी पेड़ और पौधों की छटनी होने लगी। अब यहां हरियाली सिमटती जा रही है।

कहां कितने पेड़

यूपी कॉलेज : क्भ् हजार

सारनाथ : ब्0 हजार

कचहरी और आसपास : फ् से भ् हजार

ये है हकीकत

एरिया टेंप्रेचर पॉल्यूशन लेवल

सारनाथ ख् से फ् 80 से क्भ्0 एयरपोर्ट रूट ख् से ख्.भ् 90 से क्00

कचहरी ख् से फ् क्00 से ख्00

नोट- टेंप्रेचर जहां सिटी से दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक कम रहता है वहीं प्रदूषण लेवल आधे से कम होता है।

वर्जन

वायुमंडल पर आसपास के वातावरण का असर पड़ता है। कोई भी इलाका हरा-भरा क्यो न हो, लेकिन आसपास चलने वाली गाडि़यां वहां के टेम्पे्रचर को प्रभावित करती हैं।

एकता शेखर, कोऑर्डिनेटर केयर फॉर एयर