-बाल एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से शुरू की गई नई पहल

-मां बच्चे के पोषण में सुधार के साथ ही उनमें स्वास्थ्य के प्रति अवेयरनेस लाना है मेन मकसद

अगर आपके क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्र में ढोल की थाप पर नाचती-गाती महिलाएं नजर आ जाएं तो हैरान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अब आपको ऐसा हर माह देखने को मिलेगा। अभी तक आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों को पुष्टाहार बांटने व प्री-स्कूल एजुकेशन देने वाले केंद्र के रूप में ही जाना जाता रहा है। लेकिन अब यहां आईसीडीएस स्कीम के तहत गर्भवती महिलाओं की गोदभराई, अन्नप्राशन और आंगनबाड़ी प्रवेशोत्सव जैसे उत्सव भी मनाएं जाएंगे। इन उत्सवों की खुशी में बाकायदा ढोल नगाड़े भी बजाए जा रहे हैं और बताशे से मुंह भी मीठा कराया जा रहा है।

हर 15 तारीख को होगी रस्म

शासन ने इस तरह के सभी आयोजनों को आंगनबाड़ी केंद्र पर भी मनाने का निर्णय लिया है। ममता दिवस के रूप में गोद भराई की रस्म प्रत्येक माह की 15 तारीख को आयोजित होगी। इस तरह के आयोजनों पर होने वाले खर्च को खुद विभाग द्वारा वहन किया जा रहा है।

क्या है आयोजन का मकसद?

इस तरह के आयोजन का मकसद आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए मां व बच्चे के पोषण में सुधार के साथ ही महिलाओं में खुद के और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति अवेयरनेस लाना भी है। अधिकारियों की मानें तो इस तरह के आयोजन से भारतीय संस्कृति को बरकरार रखने में मदद मिलेगी।

दिये जा रहे फल-फूल भी

गर्भ धारण करने से लेकर बच्चे को छह माह तक दूध पिलाने की अवधि में महिलाएं अल्प पोषण की शिकार होती हैं। ऐसी स्थिति में इस तरह के आयोजन उनके लिए सहायक होंगे। इस रस्म में गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार, नारियल और फल-फूल दिए जा रहे हैं। बता दें कि गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पका पकाया खाना और अन्य पौष्टिक आहार दिया जाता है।

खुद के देखभाल पर होगा फोकस

नए आदेश के मुताबिक जिला कार्यक्रम अधिकारी और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को जिम्मा दिया गया है कि वे गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रखने व सेहतमंद बच्चा पैदा कराने के लिए उनका पूरा ख्याल रखें। गोद भराई के आयोजन से एक मां की अपने बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अधिक बढ़ेगी। यही नहीं इससे महिला का बच्चे के साथ-साथ खुद के देखभाल पर भी फोकस रहेगा।

एक नजर

3,914

आंगनबाड़ी केन्द्र पूरे जिले में

991

आंगनबाड़ी केन्द्र पूरे शहर में

3,708

आंगनबाड़ी कार्यकत्री जिले में

908

आंगनबाड़ी कार्यकत्री शहर में

3,045

आंगनबाड़ी सहायिका जिले में

842

आंगनबाड़ी सहायिका शहर में

98

सुपरवाइजर हैं जिले भर में

आंगनबाड़ी केंद्रों में इस तरह के आयोजन कराने का मकसद समाज में सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करना है। साथ ही बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को खुद व बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।

मंजू वर्मा, प्रभारी डीपीओ, वाराणसी