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शहर में बंद पड़े कुछ सिनेमाहाल तब्दील होंगे मल्टीप्लेक्स में

क्रासर--

-बैठक में बंद सिनेमाहाल मालिकों ने जिला प्रशासन को दिलाया भरोसा

-दोबारा सिनेमाहाल बनाने पर पांच साल तक टैक्स में छूट देने की बात पर हुए तैयार

VARANASI

किसी दौर में मनोरंजन का पहला और आखिरी जरिया रहे सिनेमाघर दम तोड़ चुके हैं। हालांकि कुछ सिनेमाघरों के मालिकों ने शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स में तब्दील कर बादशाहत कायम रखी है। आंकड़ों में समझें तो शहर में आईपी सिगरा, विजया, पीडीआर, जेएचपी समेत 8 सिनेमाघर आज भी पब्लिक का मनोरंजन कर रहे हैं, जबकि टकसाल, नटराज, सुशील समेत 25 पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। लेकिन अब एक गुड न्यूज है। सरकार से छूट के रूप में राहत पैकेज मिलने की बात पर कुछ मालिकों ने अपने बंद हो चुके सिनेमाहाल को मल्टीप्लैक्स में बदलने के संकेत दिए हैं।

थे मनोरंजन का जरिया

बिरहा, कजरी, मेला, तमाशा और डिब्बा वाले सिनेमा को तबाह कर दिया सिलवर स्क्रीन यानी सिनेमाहाल ने। इसके बाद सिनेमाहाल को असमय बर्बाद कर दिया टेलीविजन ने। इसी बीच टेक्नोलॉजी के कमाल ने मनोरंजन के इतने विकल्प दिये कि चीजें सिमट कर इंटरनेट और मोबाइल में समा गई। मनोरंजन की दुनिया में इनके बढ़ते दखल का नतीजा रहा कि वीआईपी लिस्ट में शामिल टकसाल, मजदा, अभय, सुशील, नटराज, साजन, प्रकाश टाकीज पर ताला लग गया। जबकि दर्शकों के अभाव में पद्यश्री, भगवती, यमुना, मुकुंद, साहू, ललिता, पुष्पराज, कुसुम पैलेस, राधा चित्र मंदिर, शिवम, भागीरथी, फिल्मस्तान, चित्रा सिनेमा, शिल्पी, गुंजन सिनेमाहाल पूर्व में ही बंद हो चुके थे। हालांकि नये दौर के संसाधनों से लैस होकर कन्हैया चित्र मंदिर ने केसीएम बनकर लोगों का मनोरंजन किया। लेकिन बहुत फायदेमंद साबित नहीं हो पाया तो कुछ माह पहले मालिक ने इसे भी बंद कर दिया। दीपक टाकीज से बना दीपक सापुरी मॉल तैयार है, लेकिन तकनीकी कारणों से अभी यह शुरू नहीं हो पाया है। इन सबके बीच लम्बे समय से शॉपिंग, लंच, डिनर के साथ पब्लिक का मनोरंजन कर रहे जेएचवी, आईपी सिगरा, आईपी विजया और पीडीआर मॉल ने अपनी बादशाहत बरकरार रखी है। इसके अलावा छविमहल, गंगा, आनंद, डीएलडब्ल्यू सिनेमा भी चल रहे हैं।

बना सकते हैं कॉम्पलेक्स भी

बंद सिनेमाघरों को लेकर प्रदेश सरकार और हाल मालिकों में मतभेद था। सरकार के सख्त नियमों के चलते बंद सिनेमाघर भूत घर में तब्दील हो गए। प्रदेश में सत्ता बदलते ही सरकार का मूड भी बदल गया। सरकार ने नियमों में नरमी बरती है। अब पुराने सिनेमा भवन को तोड़कर उसके स्थान पर व्यवसायिक कॉम्पलेक्स अथवा कोई अन्य निर्माण कराया जा सकता है। पर इसके लिए सिनेमाघर मालिकों को शासन से मंजूरी लेनी पड़ेगी। इसके अलावा उसी स्थान पर दोबारा सिनेमाहाल बनाने पर एसजीएसटी प्रावधान में पांच साल तक टैक्स में छूट के साथ और भी सुविधाएं मिलेंगी। इस संबंध में जिला प्रशासन ने बंद सिनेमाघर मालिकों के साथ बैठक की और बंद सिनेमाहाल को लेकर नया प्रपोजल मांगा। सभी ने बंद सिनेमाघरों को लेकर जल्द अपनी योजना से मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक समिति को अवगत कराने का भरोसा दिलाया है।

वर्जन--

बंद सिनेमाहाल मालिकों के साथ बैठक पॉजीटिव रही। सरकार की पहल से प्रसन्न कुछ मालिकों ने बंद सिनेमाहाल को मल्टीप्लेक्स में तब्दील करने की इच्छा जाहिर की है।

-विपिन सिंह, प्रभारी सहायक मनोरंजन कर अधिकारी