1.बाबतपुर फोरलेन ने घटा दी दूरी

वर्ष 2018 में बनारस को कई सौगातें मिलीं इनमें बाबतपुर फोरलेन खास रहा। इसके बन जाने से शहर से बाबतपुर पहुंचने में लगने वाले समय में काफी कमी आयी है। कैंट स्टेशन से बाबतपुर की 22 किमी तक की दूरी को तय करने में एक घंटे से अधिक समय लग जाता था। इस सड़क के बन जाने से अब समय 15 से 20 मिनट लगता है। बिना झटका लगे वाहन इस रोड पर सरपट दौड़ रहे हैं। इसके अलावा इसी साल शहर को रिंग रोड के पहले चरण के पूरा होने की सौगात मिली। महमूरगंज-मंडुवाडीह चौराहे को जोड़ने वाला आरओबी भी शहर को इसी साल मिला।

2.एसएस हॉस्पिटल को मिला एम्स का दर्जा

2018 में बनारस को चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई। पूर्वाचल के एम्स कहे जाने वाले एसएस हॉस्पिटल, बीएचयू को सरकार ने एम्स का दर्जा दे दिया। बीएचयू में हुए कार्यक्रम में एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर व सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टर जेपी नड्डा ने दोनों मंत्रालयों के सहयोग से पूरे होने वाले इस प्रोजेक्ट पर आपसी सामझौते पर हस्ताक्षर किया। एसएस हॉस्पिटल को एम्स का दर्जा मिल जाने से हॉस्पिटल को सालाना मिलने वाला फंड करीब 400 करोड़ हो जायेगा। इसके अलावा भी आने वाले तीन में 500 करोड़ और भी मिलेंगे।

3.जगमग हुई काशी

2018 में बाबा भोले की नगरी काशी का एक नया रूप लोगों के सामने आया। हाई-फाई फसाड लाइट्स की रोशनी से पूरा शहर जगमगा उठा। कैंट स्टेशन, बीएचयू, गंगा घाट, दुर्गा मंदिर समेत तमाम जगहें रंग-बिरंगी रोशनी से सराबोर हो उठीं। शहर के स्ट्रीट लाइट्स को एलईडी बल्ब से रोशन पहले ही कर दिया गया था। इस बार की दिवाली पर इन स्ट्रीट लाइट्स के पोल्स को भी रंग-बिरंगे एलईडी स्ट्रीप्स से सजा दिया गया। शहर की सभी प्रमुख सड़कों का यह नजारा देखने लायक रहा। दीपावली पर हुई सजावट को परामानेंट कर दिया गया।

4.मल्टी मॉडल टर्मिनल का तोहफा

वर्ष 2018 में गंगा परिवहन के जरिये कारोबार और पर्यटन के नये युग की शुरुआत बनारस से हुई। पीएम नरेन्द्र मोदी ने रामनगर में इनलैंड वाटरवेज मल्टी मॉडल टर्मिनल का शुभारंभ किया। इस जलमार्ग के शुरू हो जाने से अंतरदेशीय व अंतराष्ट्रीय कारोबार को बढ़ाने में खासी मदद मिलेगी। इसके अलावा बनारस में वाटर स्पो‌र्ट्स की भी शुरुआत हुई। बनारस को क्रूज की भी सौगात मिली। कुल मिलाकर बीते साल में गंगा के जरिये बनारस ने विकास की एक नई इबारत लिखी।

5.बनारस देगा चावल अनुसंधान को दिशा

बनारस को अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र की सौगात भी वर्ष 2018 में मिली। दक्षिण एशिया का पहला अनुसंधान केन्द्र चावल उत्पादन के क्षेत्र में न केवल पूर्वाचल बल्कि विश्व को नई दिशा देगा। बनारस के चावलों की विशिष्ट प्रजातियों को और बेहतर बनाने और उनके अधिक उत्पादन पर यहां रिसर्च किया जायेगा। अपनी तरह का अनूठा यह केन्द्र दुनिया में फिलीपींस के बाद बनारस में दूसरा है। इस केन्द्र के शुरू होने से न केवल आसपास के लोगों को बेहतर रोजगार का साधन उपलब्ध होगा बल्कि कृषि के क्षेत्र में भी खासी प्रगति होगी।

6.पाइप से मिलने लगी एलपीजी

2018 में बनारस ने सस्ती कुकिंग गैस हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाया। गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बनारस में पाइप के जरिये एलपीजी सप्लाई करने की योजना की शुरुआत की। पहले चरण में बीएचयू और डीएलडब्ल्यू को इस योजना का लाभ मिला। जल्दी ही पूरे शहर में इस योजना का लाभ मिलने लगेगा। पाइप से कुकिंग गैस सप्लाई होने से जहां इसकी कीमत कम हुई वहीं सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से भी यह खास पहल रही। इसके अलावा शहर के सीएनजी स्टेशन भी शुरू हुए। जिनसे वाहनों को सस्ता ईधन मिला।