पचास से अधिक लोगों के हाथ में बिजनेस

एक दौर था जब गोरखपुर को 'शिकागो ऑफ ईस्टÓ कहा जाता था। मुंगेर के बने असलहों की खपत यहां पर ज्यादा होती है। देश कि किसी भी हिस्से में गोरखपुर के रास्ते मुंगेर के असलहे ले जाए जाते हैं। पेशेवर क्रिमिनल हो या स्टूडेंट्स सभी को 'मुंगेरी असलहों' का शौक है। जिले में एक दर्जन से अधिक ऐसे गैंग हैं, जिनके पचास से अधिक गुर्गे असलहों का काला कारोबार करते हैं। ये लोग दिन भर अपना शिकार तलाशते हैं। सिटी में मुंगेर के बने पिस्टल, रिवाल्वर और तमंचों का टीनएजर्स में जबरदस्त क्रेज है। 25 हजार के आसपास पिस्टल, 15 से 20 हजार में देसी पिस्टल, 5 से 15 हजार में 12 बोर और 315 बोर के तमंचे मिल जाते हैं। पिछले तीन साल के भीतर पुलिस ने 18 से अधिक लोगों को अरेस्ट करके आम्र्स स्मगलिंग के गैंग का अलग- अलग खुलासा किया है।

पॉकेटमनी से खरीदते हैं असलहे

आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने जब इस मामले में बारहवीं तक स्टूडेंट से अवैध असलहों के बारे में जानकारी जुटाई तो खुलासे काफी शॉकिंग थे। असलहों का शौक इनको मौत के सामान के सौदागरों के चंगुल में फंसाता है। कॉलेज स्टूडेंट्स में कुछ ऐसे होते हैं जो किसी न किसी पॉलीटिशियन, स्टूडेंट लीडर, ठेकेदार या फिर क्रिमिनल एक्टिविटी में शामिल व्यक्ति से किसी न किसी तरीके से जुड़े होते हैं। अवैध असलहों का भौकाल देखकर स्टूडेंट्स का अट्रैक्शन बढ़ता है। इन्हीं लोगों के बीच आने जाने वाले सौदागरों से ये असलहे खरीद लेते हैं। ऐसे भी स्टूडेंट्स हैं जो पॉकेटमनी को कलेक्ट करके असलहों का शौक पूरा करते हैं।

माफियाओं के हाथों के खिलौना हैं टीनएजर्स

पड़ताल में कुछ लोगों से बात की गई तो सामने आया कि सिटी में एक्टिव माफिया ग्रुप कहीं न कहीं टीएजर्स को यूज करते हैं। टीएनर्ज को फिल्म देखने, महंगी कारों से घूमने, मोबाइल रखने, होटल में खाना खाने, बाइक खरीदने या फिर गर्लफ्रेंड््स को गिफ्ट देने का ज्यादा शौक होता है। स्कूल और कालेज में मनबढ़ई करने वाले स्टूडेंट्स पर माफिया या फिर उसके गुर्गों की नजर होती है। ऐसे लड़कों को गुमराह करके अपने जाल में फंसा लेते हैं। अपने गुर्गों का भौकाल दिखाकर माफिया अपने काम में इनका इस्तेमाल करके प्रोटेक्शन देते हैं। सबसे बड़ी बात यह है इन सब की भनक उनके पैरेंट्स तक को नहींलगती। इससे स्टूडेंट्स का मन बढ़ता है। धीरे धीरे उनकी हिम्मत इतनी बढ़ जाती है कि वे स्कूल में हथियार लेकर जाने लगते हैं।

पुलिस की दरियादिली बनती है मुसीबत

स्कूल में टीचर्स को टीचर्स हथियार दिखाने की घटनाएं हो चुकी हैं। दो साल पहले सहजनवां के एक कॉलेज में छेड़छाड़ से मना करने पर स्टूडेंट्स ने टीचर को तमंचा सटा दिया था। सिटी के स्कूलों में भी तमंचे के साथ स्टूडेंट्स पकड़े जा चुके हैं। बताया जाता है कि टीनएजर्स होने की वजह से पुलिस इन पर कार्रवाई नहीं करती। पैरेंट्स भी समझाने बुझाने का आश्वासन पुलिस को देते हैं। ऐसे में कभी-कभी यह भी होता है कि या तो स्टूडेंट्स सुधर जाते हैं या फिर पेशेवर क्रिमिनल बन जाते हैं। तमंचा खोंसकर चलने में स्टूडेंट्स अपने को खास समझने लगते हैं। मारपीट के दौरान असलहे निकालकर ये विरोधी गुटों को डराते हैं। धीरे- धीरे ये असलहों को लेकर चलने के आदी हो जाते हैं। सिटी में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें टीनएजर्स ने असलहों का इस्तेमाल किया है। लेकिन कैरियर चौपट होने से बचाने के फेर में पुलिस ने इनको जेल नहीं भेजा है।

जब दिखा सड़कों मचा तालिबान का आतंक

इसी हफ्ते मंडे नाइट कैंट के इंदिरा नगर मोहल्ले में लड़कों के बीच चल रही रंजिश में गोली चली। फायरिंग में तीन साल का बच्चा घायल हो गया। थर्सडे को सिविल लाइंस एरिया में स्कूल के सामने टीनएजर्स ने पहले लड़ाई की। फिर उन लोगों ने गोली दाग दी छर्रे लगने से दो लड़कियां घायल हो गई।

अब सख्ती करेगी पुलिस

टीनएजर्स स्कूली बच्चों के पास असलहे होना बेहद ही गंभीर बात है। पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं। जब इस मामले में एसपी (सिटी) परेश पांडेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों के पास असलहे होने पर पुलिस उनका कॅरियर बर्बाद होने से बचाने की वजह से कार्रवाई नहीं करती है। छोटी-मोटी सजा देकर उनको डराया जाता है। पैरेंट्स भी बच्चों को समझाने का आश्वासन देते हैं। लेकिन अब पुलिस ऐसे मामले में गंभीरता से काम करेगी। एसपी (सिटी) ने बताया कि स्कूलों के आसपास और क्लास रुम में अचानक जांच की जाएगी। इसमें स्कूल के प्रिंसिपल और मैनेजिंग बॉडी से मदद ली जाएगी। असलहा पाए जाने पर टीनएजर्स के खिलाफ आम्र्स एक्ट का मामला दर्ज किया जाएगा। इस मामले में पैरेंट्स को भी ध्यान देने की जरूरत है कि उनके बच्चे पढऩे के बजाय किसी क्रिमिनल एक्टिविटी में तो नहीं लिप्त हैं।