40 साल पुरानी केबल से सप्लाई

सिटी के कई सबस्टेशन से जुड़े मोहल्लों में 40 साल पुराने केबल से पॉवर सप्लाई हो रही है। जबकि इनकी लाइफ कब की पार हो चुकी है। केस्को एमडी आरएस पांडेय के मुताबिक इन्हें कम से कम 15 साल पहले ही बदल देना चाहिए था। केबल न बदले के कारण अक्सर फाल्ट हो रहा है और लोगों को पॉवर क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादा खतरनाक बात ये है कि ये तार कभी भी टूट कर गिर सकते हैैं। ऐसे में ये तार सिर पर मंडरा रही मौत से कम नहीं हैैं

जबरदस्त पॉवर डिमांड
इन दिनों लगातार जबरदस्त उमस भरी गर्मी पड़ रही है। कूलर, फैन बेकार साबित हो रहे हैैं, एसी से ही लोगों को राहत मिल रही है। इसी वजह से पॉवर लोड 550 से 570 तक मेगावॉट तक पहुंचा चुका है। यह देख केस्को ऑफिसर भी सहम गए है। क्योंकि इतना अधिक पॉवर लोड पहली बार पहुंचा है। इससे केस्को का पॉवर सप्लाई सिस्टम फुल कैपेसिटी से ही ओवरलोड चल रहा है। जिसके कारण हाइटेंशन लाइन तक गल कर टूट रही हैैं, ट्रांसफॉर्मर ट्रांसफॉर्मर जल रहे हैैं। केस्को ऑफिसर्स भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि कैपेसिटी से अधिक ये ओवरलोडिंग किसी हादसे की वजह न साबित हो।


हाल खराब है
केस्को के सिटी में 74 सबस्टेशन हैं और ये 220 केवी आरपीएच, पनकी, नौबस्ता और 132 केवी आजाद नगर, कृष्णा नगर, दादानगर व मेहरबान सिंह का पुरवा ट्रांसमिशन स्टेशन से जुड़े हुए हैं। ट्रांसमिशन स्टेशन से सबस्टेशनंस को 33 हजार वोल्ट की इलेक्ट्रिसिटी लाइन(डॉग कंडक्टर) जाती है। ये डॉग कंडक्टर एल्युमिनियम के होते हैैं। इस डॉग कंडक्टर की 38 डिग्र्री सेल्सियस टेम्परेचर पर लोड बियरिंग कैपेसिटी(करंट) 322 एम्पियर है। जबकि पॉवर की डिमांड बढ़ी होने के कारण इन पर 350-360 एम्पियर से भी अधिक करंट फ्लो हो रहा है। वह भी तब टेम्परेचर लगातार 40 से 44  डिग्र्री सेल्सियस के बीच बना रहा है। जबकि 38 डिग्र्री सेल्सियस से टेम्परेचर अधिक होने पर कंडक्टर की करंट बियरिंग कैपेसिटी और घट जाती है। जैसे कि 43 डिग्र्री सेल्सियस टेम्परेचर होने पर करंट बियरिंग कैपेसिटी 322 से घटकर 312 एम्पियर हो जाती है।


टेम्परेचर ने बढ़ाई मुश्किल
अधिक करंट फ्लो होने कंडक्टर हीट होने लगता है। हीटिंग और भी इस वजह से बढ़ रही कि पिछले दिनों टेम्परेचर लगातार 40 के पार बना रहा। इन वजहों से कंडक्टर की लंबाई बढ़ जाती है। लगातार ऐसी सिचुएशन बनी रहने के कारण कंडक्टर अपना ओरिजनल फॉर्म खो देता है और कार्बन जम जाता है और फिर कंडक्टर्स टूट जाते हैं। केस्को इंजीनियर्स की मानें तो ऐसे कंडक्टर्स को बदलने की कोई समय सीमा नहीं होती है। लेकिन अगर कंडक्टर कई जगह से टूट गया तो जितनी जल्दी हो सके बदल देना चाहिए।


और लोड डाला जा रहा
इलेक्ट्रिसिटी लाइन(डॉग कंडक्टर्स) पर करंट बियरिंग कैपेसिटी से अधिक लोड पडऩे की वजह ये है कि केस्को नए सबस्टेशन नहीं बना पा रहा है। वह सबस्टेशन के जमीन नहीं तलाश पा रहा है। पुराने सबस्टेशन में नए पॉवर ट्रांसफॉर्मर्स लगाकर क्षमता वृद्धि कर दी जाती है। जिसके कारण पहले से ट्रांसमिशन स्टेशन से ही आ रही 33 हजार वोल्ट की इलेक्ट्रिसिटी लाइन (कंडक्टर) पर लोड और बढ़ जाता है। पहले से ओवरलोड ये कंडक्टर्स टूटने लगते हैं। कंडक्टर्स पर लगे जोड़ इनकी गवाही दे रहे हैं। पिछले दिनों बाबूपुरवा, हैरिसगंज, अफीमकोठी और इससे पहले गोविन्द नगर विद्युत कॉलोनी आदि सबस्टेशन पर नए पॉवर ट्रांसफॉर्मर्स लगाए गए हैैं। हालांकि करंट बियरिंग कैपेसिटी से अधिक क्षमता से पहले से ही चल रहे जवाहर नगर, जरीबचौकी, चमनगंज, चीना पार्क, साइकिल मार्केट आदि सबस्टेशन की क्षमता वृद्दि नहीं की जा पा रही है।


हाइटेंशन लाइन के नीचे नहीं लगी गार्डिंग
अधिक टेम्परेचर और करंट बियरिंग कैपेसिटी से अधिक लोड डाले जाने के कारण 11 हजार वोल्ट ही नहीं 33 हजार वोल्ट की इलेक्ट्रिसिटी लाइन भी टूट रही है। ये तो ऊपर वाले की मेहरबानी है कि अभी तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है।

 
जान ले रही, आग लगा रही
कुछ दिनों पहले गुबा गार्डेन, कल्याणपुर के पास हाईटेंशन लाइन टूटने से केशव नाम के युवक की मौत हो गई थी। इससे पहले आरपीएच ट्रांसमिशन के बाहर फूलबाग फीडर की इलेक्ट्रिसिटी लाइन टूटने से ट्रांसमिशन स्टेशन में आग लग गई थी और पॉवर ट्रांसफॉर्मर डैमेज हो गया। यही नहीं गुमटी में कार व स्कूटर तक जल गए थे। एक्सप्रेस रोड पर शॉप तक जल चुकी है। बीएस पार्क के बाहर अक्सर हाइटेंशन टूटने की बड़ी वजह भी ये है। पिछले दिनों शाम को बिजली ट्रैफिक वाले कोकाकोला चौराहा जीटी रोड पर आजाद नगर ट्रांसमिशन से जवाहर नगर व जरीबचौकी सबस्टेशन को जाने वाली लाइन भी टूटने से अफरातफरी मच गई थी।

इस तरह बढ़ रही डिमांड
इयर- एनर्जी
2008-09 -- 2632
2009-10 -- 2721
2010-11 -- 2941
2011- 12 -  3135


(एनर्जी मिलियन यूनिट में है, ये तब है जब लगातार पॉवर रोस्टरिंग हो रही है)



इलेक्ट्रिसिटी लाइन (कंडक्टर) पर कैपेसिटी के 90 परसेंट तक ही लोड डाला जाना है। पॉवर की डिमांड होने के कारण इलेक्ट्रिसिटी लाइन (कंडक्टर्स) पर कैपेसिटी से काफी अधिक लोड है। 25 साल तक चलने वाली केबल से 40 वर्षों से पॉवर सप्लाई हो रही है। सिस्टम अपग्र्रेड होना चाहिए। इसके लिए प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजा गया है।
- आरएस पांडेय, एमडी केस्को

--33 व 11 हजार वोल्ट की लाइन के नीचे गार्डिंग लगी होनी चाहिए। जिससे कि लाइन टूटने पर जान-माल का नुकसान है। कई जगह गार्डिंग नहीं लगी है या टूटी है। इसकी जानकारी शासन को दी गई है।
--डीपी मिश्रा, असिस्टेंट डायरेक्टर विद्युत सुरक्षा


क्या-क्या होना चाहिए
-ओवरलोड डॉग कंडक्टर्स की जगह पैैंथर कंडक्टर्स लगाए जाने चाहिए
-इलेक्ट्रिसिटी लाइन सस्पेंशन होनी चाहिए
-मौजूदा इलेक्ट्रिसिटी पोल की जगह सील ट्यूबलर पोल लगने चाहिए
-इलेक्ट्रिसिटी लाइन की नीचे गार्डिंग लगी हो
-गार्डिंग को जमीन से जोडक़र अर्थिंग भी दी जाए। जिससे लाइन टूटने पर सबस्टेशन का ऑयल सर्किट ब्रेकर तुरन्त ऑफ हो जाए.