मां साथ थी तो खुशी कई गुना बढ़ गई
हर्ष अपनी लाइफ में न सिर्फ अपने और अपनी फैमिली के लिए बल्कि सोसायटी और कंट्री के लिए कुछ अलग करना चाहते थे। फाइनली उनका सपना पूरा हुआ और फ्राइडे को डिक्लेयर हुए यूपीएससी सिविल सर्विसेज फाइनल रिजल्ट में 998 सक्सेसफुल केंडिडेट्स के बीच हर्ष 385वां रैंक हासिल करने में कामयाब रहे। हर्ष की खुशी इसलिए काफी बढ़ गई क्योंकि फ्राइडे को उनकी मां रेणु सिंह उनके साथ थी। हर्ष ने बताया कि जब उनको रिजल्ट का पता चला तो उन्होंने सबसे पहले मां को बताया। यह सुनते ही रेणु सिंह की आंखों में खुशी के आंसू भर आए। इसके बाद हर्ष ने यह खुशी अपने पिता और अन्य रिलेटिव्स के साथ शेयर की। हर्ष का यह सेकेंड अटेंप्ट था। इससे पहले फस्र्ट अटेंप्ट में वे रिटेन एग्जाम क्लियर नहीं कर पाए थे। हर्ष दो भाई बहन हैं, छोटी बहन गरिमा ने इस बार प्लस टू का एग्जाम दिया है।

Loyola से schooling और IIT Roorkee से B.Tech किया
अपने पैरेंट्स और गांधी जी को आइडल मानने वाले हर्ष सिटी के लोयला स्कूल के स्टूडेंट रहे हैं। उन्होंने 2004 में मैट्रिक और 2006 में प्लस टू पास किया। प्लस टू के बाद उनका आईआईटी के लिए सेलेक्शन हुआ और उन्होंने आईआईटी रुडक़ी से प्रोडक्शन इंडस्ट्रीयल में बीटेक किया। इसके बाद वे सिविल सर्विसेज के प्रिपेरेशन के लिए दिल्ली चले गए। रिटेन एग्जाम में हर्ष का सब्जेक्ट ज्योगरफी और एग्रीकल्चर था।

सभी के लिए बराबर मौका है
इंजीनियरिंग बैकग्राउंड होने का कितना फायदा मिलता है सिविल सर्विसेज एग्जाम में। इस सवाल के जवाब में हर्ष का कहना था कि प्रिलिमिनरी टेस्ट से ऑप्शनल पेपर हटाए जाने के बाद सभी के लिए बराबर का मौका है। इसके बाद रिटेन से भी ऑप्शनल पेपर की संख्या कम करने पर सभी केंडीडेट्स के बीच बराबर का कॉम्पीटीशन हो जाएगा। उनका कहना था कि छोटे शहरों के केंडीडेट्स के साथ प्रॉब्लम यह होती है कि उन्हें गाइड करने वाले अच्छे लोग नहीं मिल पाते। उन्होंने कहा कि छोटी जगहों पर सिविल सर्विसेज का प्रिपेरेशन करने वालों की संख्या ज्यादा नहीं होती इसलिए वहां स्टडी मेटेरियल और अच्छे टीचर्स अवेलबल नहीं हो पाते।

मैंने सोसायटी में सिविल सर्वेंट को मिलने वाले रिस्पेक्ट और उनकी बड़ी जिम्मेदारी को देखकर ही इसमें आने के लिए सोचा था। लगन, हिम्मत और मेहनत हमेशा मंजिल तक पहुंचाती है।
- हर्ष सिंह, यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम 2012 में 385वां रैंक

हर्ष ने न सिर्फ अपना सपना पूरा किया है बल्कि हमारे सपने को भी सच कर दिया है। माता-पिता के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या होगी।
- रेणु सिंह, हर्ष की मां


Report by: amit.choudhary@inext.co.in


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