पुलिस पर हुई फायरिंग

डीएम राजेश कुमार, एसएपी डॉ। राकेश कुमार सिंह, एसपी सिटी मुकुल द्ववेद्वी, सिटी मजिस्ट्रेट रामअरज यादव, एसडीएम सदर राजेश कुमार, सीओ सिटी चक्रपाणी त्रिपाठी ने मथुरा-आगरा मार्ग को बंद करा दिया। जवाहर बाग को चारों तरफ से घेर लिया गया था। पुलिस बल को देखते ही सत्याग्रहियों का जत्था जो जवाहर बाग के मुख्य गेट पर जमा रहता था। वह अंदर प्रवेश कर गया। पुलिस बल भी इनके पीछे चलने लगा। एसपी सिटी मुकुल द्ववेद्वी ने सत्याग्रहियों से शांति पूर्वक जवाहर बाग को खाली करके जाने के लिए कहा। पर कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस के एलाउंस को अनुसुना कर दिया। इसी बीच सत्याग्रही मुख्य गेट से जैसे ही अपने डेरों के करीब पहुंचे उनके पीछे चल रही फोर्स पर पहले से पेड़ों पर बंदूक, रायफल और तमंचा लेकर बैठे कथित सत्याग्रहियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जबाव में पुलिस ने भी आंसू गैस, रबर बुलेट और बारह बोर से कम मार करने वाले हथियारों को प्रयोग किया। पर पेड़ों से पुलिस को निशाना बनाकर सीधे फायरिंग कर कथित सत्याग्रहियों की गोलियों से एक के बाद एक पुलिसकर्मी घायल होता चला गया। सत्याग्रहियों ने पुलिस पर देशी बम, पेट्रोल बमों से हमला कर दिया। महिलाएं और बच्चों भी लाठी-डंडे लेकर पुलिस कर्मियों पर हमला कर रही थी। हालात बेकाबू होते चले गए और पुलिस ने सत्याग्रहियों को भगाने के लिए हवाई फायरिंग कर शुरू कर दी। कुछ सत्याग्रही जान बचाकर जवाहर बाग में इधर-उधर भागने लगे। चीख-पुकार मचने लगी। सत्याग्रहियों के मुखिया रामवृक्ष यादव, चंदन बोस और सुरक्षा कंमांडर गिरीश कुमार ने पुलिस पर अपने समर्थकों से एक साथ हमला करने का आदेश कर दिया। इसी के साथ पेड़ों की आसपास छिपे कथित सत्याग्रही एक फिर पुलिस पर टूट पड़े थे। जमकर लाठी चार्ज हुआ और सत्याग्रहियों के हौंसले पस्त होते चले।

माइक पर की फायरिंग रोकने की अपील

इसी बीच सत्याग्रहियों ने माइक से फायरिंग रोकने और तमाम लोगों के घायल होने की जानकारी दी। साथ ही कथित सत्याग्रही के मुखिया रामवृक्ष यादव ने अपने कार्यालय में आग लगा दी और भाग निकला। इसके बाद एक-एक करके सभी तंबू डेरों को आग के हवाले कर दिया गया। उनके अंदर रखे रसोई गैस सिलेंडर फटने धमके साथ फटने लगे। डीजल-पेट्रोल के ड्रम भी आग का गोला बनकर हवा में उड़ते हुए नजर आए। जवाहर बाग के ऊपर धुएं के काले बादल छा गए और आग की लपटें भी बीस से पच्चीस फीट तक ऊंची उठने लगी। पर गोलियों की तड़तड़ाहट बंद न हो सकी थी। कथित सत्याग्रहियों में चीख-पुकार के साथ ही साथ भगदड़ मच गई और उन्होंने लोक निर्माण विभाग कार्यालय के पीछे की दीवार को तोड़ दिया और कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश कर गए। अधिकांश सत्याग्रही एसएसपी के पुराने कार्यालय के टूटी ही चारदीवारी को कूदकर कलेक्ट्रेट में आ गए और चारों तरफ कलेक्ट्रेट में भागने लगे। उन्होंने अपने डंडा-झंडा कलेक्ट्रेट मे फेंक दिए और इधर-उधर भगने लगे थे। अधिकांश महिला, बच्चे और बुर्जगों को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया। इसके बाद भी कथित सत्याग्रहियों ने कलेक्ट्रेट पर जमा लोगों को हमला बोल दिया। जबाव में भीड़ ने कथित सत्याग्रहियों के डंडे छीन कर उनके ऊपर बरसाना शुरू कर दिया। सीओ सिटी चक्रपाणि त्रिपाठी ने भीड़ से सत्याग्रहियों को बचाकर सुरिक्षत निकाला। लेकिन मुख्य मार्ग पर जमा भीड़ ने सत्याग्रहियों के साथ मारपीट कर दी। सत्याग्रही अपना सामान और डंडे फेंक कर भीड़ में घुल मिल गए। कुछ सत्याग्रहियों को भीड़ ने टैंक चौराहे से लेकर मुर्गा फाटक के बीच में रोक लिया और उनके साथ मारपीट कर दी। सत्याग्रहियों ने भीड़ पर हमला बोला। भीड़ के हटते ही सत्याग्रही रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन की तरफ भागने लगे।

खाली हुए अस्पताल और रास्ते

ऑपरेशन जवाहर बाग में घायलों के अस्पताल ले जाने के लिए कचहरी से जिला अस्पताल के मार्ग को पूरी तरह से खाली करा दिया गया और उधर औरंगाबाद तिराहे तक पूरा मार्ग खाली रहा। सिविल डिफेंस के स्वयं सेवकों की टीम भी घायलों को उपचार के लिए भेजने और आम पब्लिक को रोकने के लिए जुटी रही। ऑपरेशन समाप्त करके एसएसपी डॉ। राकेश कुमार सिंह पुलिस फोर्स के साथ बाहर आए और इसके करीब आधे घंटे बाद डीएम राजेश कुमार जवाहर बाग से बाहर निकले थे। पुलिस फोर्स के निकलते ही दमकल की गाडि़यां जवाहर बाग में प्रवेश कर गई थी। इधर, डीएम और सिटी मजिस्ट्रेट ने कलेक्ट्रेट परिसर का पैदल ही राउंड लिया। अधिवक्ता और सरकारी दफ्तरों में छिपे हुए कथित सत्याग्रहियों की तलाश कराई गई, लेकिन वे उससे पहले ही कलेक्ट्रेट परिसर छोड़ कर भाग चुके थे। सिविल लाइन पुलिस चौकी के सामने ही कथित सत्याग्रहियों को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया और यहां से उन्हें गाडि़यों में भरकर सुरक्षित स्थान पर भेजा गया। देररात तक जवाहर बाग से लेकर चौतरफा अधिकारियों की गाडि़यां दौड़ती रही और पूरे शहर में खलबली मच गई थी।

पुलिस वालों को अलग अस्पताल भेजा

डीएम राजेश कुमार ने कहा कि कोई भी अधिकारी, पुलिस कर्मी जिला अस्पताल में नहीं रहना चाहिए और उन्होंने सभी को नयति अस्पताल भेजने के आदेश दिए। साथ ही यह भी निर्देश दिए कि कोई गंभीर कथित सत्याग्रही भी जिला अस्पताल में नहीं रहना चाहिए। उनके बेहतर इलाज के इंताजम किए जाएं। डीएम राजेश कुमार ने बताया कि फायिरंग कथित सत्याग्रहियों की तरफ से की गई और उन्होंने पेट्रोल बम और देशी बम फेंके। इससे आग लग गई थी।