मैनेजर करते हैं शोषण

स्टेशन पर आने वाली ट्रेंस की सफाई की जिम्मेदारी गुडग़ांव की कंपनी ए टू जेड इंफ्रा सर्विसेज लिमिटेड को दी गई है। कंपनी के कर्मचारी चलती ट्रेन और स्टेशन पर आने वाली ट्रेनों में 'क्लीनिंग और वाटरिंग' का काम करते हैं। वैसे तो ट्रेन में कोचेज, टॉयलेट और पेंट्रीकार की सफाई के लिए क्लीन ट्रेन स्टेशन (सीटीएस), रिटर्न ब्रेक पावर सर्टिफिकेट (आरबीवीसी) और चलती ट्रेन में ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सर्विसेज (ओबीएचएस) के हाउस कीपर सफाई का काम करते हैं लेकिन इन हाउस कीपर्स की मानें तो प्राइवेट कंपनी के मैनेजर द्वारा उनका आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है।  

जब नहीं मिलेगी सेलेरी, तो कहां से होगी सफाई  

एटू जेड के सफाईकर्मी राजकुमार, दीपक मौर्या, नरसिंह यादव ने बताया कि  भर्ती के दौरान सैलरी को लेकर जो कमिटमेंट किए गए थे, वह नहीं दिया जा रहा। कंपनी मैनेजर का यह दावा था कि उन्हें प्रत्येक महीने 4200 रुपए सैलरी दी जाएगी, लेकिन उन्हें 3700 से 3900 रुपए ही पेमेंट किया जाता है। इसके अलावा आठ घंटे की एक शिफ्ट में ड्यूटी के साथ ही दूसरे शिफ्ट में ड्यूटी कराए जाने का प्रेशर बनाया जाता है। इस चक्कर में कई कर्मचारी काम छोड़ गए। कभी भी समय से सैलरी नहीं दी जाती है। अब ऐसे में कहां से सफाई होगी।

130 रुपए पर डे के हिसाब से होता है पेमेंट

एटू जेड के सीनियर इंप्लाई विनोद मिश्रा ने बताया कि सीटीएस के 170 कर्मचारी हैं और आरबीपीसी ट्रेंस के लिए 70-75 कर्मचारियों की तैनाती है, जो ट्रेन में सफाई के अलावा पानी भरने का काम करते हैं। उनकी सैलरी में ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं है। जिससे जो कमिटमेंट किया गया था उसे वह दिया जाता है। जबकि सफाई कर्मचारियों की मानें तो वर्तमान में उन्हें 130 रुपए पर डे के हिसाब से पेमेंट किया जा रहा है। वहीं एटू जेड के मैनेजर मुकेश शर्मा ने बताया कि सफाई कर्मचारियों की डिमांड पर उनकी सैलरी बढ़ा दी गई है।

यहां करें कंप्लेंट

चलती ट्रेन हो या फिर स्टेशन पर खड़ी ट्रेन, अगर किसी कोच या फिर पेंट्रीकार में गंदगी दिखे तो आप सीधे 9794842457 नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके बाद भी अगर कोई शिकायत दर्ज नहीं करता है तो वह जंक्शन के यात्री मित्र कार्यालय में जाकर रिटेन कंप्लेंट दर्ज करा सकता है।

ट्रेनों में होने वाली सफाई को लेकर जो भी प्रॉब्लम आ रही होगी। उसे शार्ट आउट किया जाएगा। रहा सवाल प्राइवेट कंपनी के मैनेजर द्वारा आर्थिक शोषण का तो उसके लिए कंपनी के उच्च अधिकारियों से बात की जाएगी।

आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे