- मेयर के निरीक्षण में मिली थी सफाई कर्मचारियों की लापरवाही, रसूलपुर के पार्षद ने भी खोला मोर्चा

- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जाना विभिन्न वार्डो की सफाई व्यवस्था का हाल तो वहां भी मिले वही हालात

GORAKHPUR: वेतन मद पर लाखों खर्च के बावजूद सफाई कर्मचारियों के ड्यूटी से गायब रहने के खिलाफ रसूलपुर के पार्षद जुबैर अहमद ने भी मोर्चा खोल दिया है। सफाई कर्मियों की एक फोटो वायरल कर उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके वार्ड में तैनात 23 सफाई कर्मियों की जगह केवल 10 ही ड्यूटी पर आ रहे हैं। दो दिन पहले चौरहिया गोला में मेयर के निरीक्षण के दौरान भी 20 कर्मचारियों की जगह 9 ही ड्यूटी करते मिले थे। इसे देखते हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी की हकीकत जांचने के लिए रियलिटी चेक किया। पता चला कि एक-दो नहीं बल्कि शहर के अधिकांश वार्डो में भी ज्यादातर सफाई कर्मियों की ड्यूटी कागजों में ही चल रही है।

वार्ड 55 रसूलपुर

इस वार्ड में कुल 25 सफाई कर्मी तैनात हैं। लेकिन फिर भी वार्ड में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। सफाई ना होने के कारण नालियां भी जाम पड़ी हैं। वहीं, कूड़े का ढेर हर मोड़ पर लोगों का स्वागत करते मिल जाएगा। यहां के दशहरीबाग एरिया के जमशेद अली का कहना है कि पिछले छह माह से कोई सफाई कर्मी ही नहीं आया है।

वार्ड 52 मोहद्दीपुर

इस वार्ड की सफाई व्यवस्था तो सही है, लेकिन वार्ड के बाहर निकलते ही गंदगी दिखने लगती है। यहां 22 सफाई कर्मी तैनात हैं, लेकिन दर्जनों बार पार्षद कंप्लेन कर चुके हैं कि केवल 10 या 12 सफाई कर्मी ही ड्यूटी पर आते हैं। यहां चारफाटक ओवरब्रिज के पास बने कूड़ा पड़ाव केंद्र पर कूड़ा उठने पर दो से तीन दिन गैप हो जाता है। यही हाल सुंदरम मैरिज हॉल और आरकेबीके के सामने भी है।

वार्ड 35 सूरजकुंड

इस वार्ड में 22 सफाई कर्मी तैनात हैं। पिछले एक हफ्ते की बात करें तो केवल 10 सफाई कर्मी ही वार्ड में आ रहे हैं। पार्षद ने इसे लेकर कंप्लेन भी की है। बावजूद इसके गलियों में घरों से निकला कूड़ा पड़ा मिल जाएगा। यहां की पब्लिक कूड़ा घर से निकालकर एक जगह पर रोड के किनारे रख तो देती है, लेकिन सफाई कर्मी न आने के कारण गाड़ी और आवारा जानवरों के कारण यह कचरा पूरी रोड पर ही फैल जाता है।

वार्ड 42 सिविल लाइंस प्रथम

सफाई के मामले में यह वार्ड अन्य वार्डो से कुछ अच्छा है, क्योंकि बड़े अधिकारियों के आवास और कार्यालय होने के कारण यहां मुख्य सड़कों पर अक्सर सफाई होती रहती है। लेकिन गलियों की हालत अन्य वार्ड की तरह ही है। लोगों का कहना है कि कई दिन बीत जाते हैं लेकिन सफाई कर्मी आते ही नहीं। यहां तैनात 22 सफाई कर्मियों में से डेली 10 से 12 सफाई कर्मी वीवीआईपी ड्यूटी में लगा दिए जाते हैं। अगर कूड़ा उठ भी जाए तो किसी सुनसान रोड के किनारे रखकर गायब हो जाते हैं। पूछने पर जवाब मिलता है कि गाड़ी आकर उठा लेगी, लेकिन गाड़ी आती ही नहीं।

कोट्स

एक तो कभी सफाई कर्मी आते ही नहीं हैं और अगर आते भी हैं तो केवल कोरम पूरा करते हैं। स्थिति यह है कि वार्ड की हर गली की नालियां सिल्ट और कूड़े से पटी हुई हैं।

- मो। अफजल अहमद, दुकानदार

वार्ड की सफाई का आलम यह है कि सफाई कर्मी मुख्य रास्ते की तो सफाई कर देते हैं, लेकिन गलियों में आते ही नहीं। पब्लिक ने मजबूरी में मोहल्ले के बीच खाली प्लॉट्स को ही कूड़ादान बना दिया है।

- अक्षय कुमार, दुकानदार

केंद्र सरकार के सर्वेक्षण में गोरखपुर सफाई के मामले में बहुत पीछे रह गया था। इसके लिए नगर निगम की लापरवाही ही जिम्मेदार है। सफाई कर्मी मोहल्लों में आते ही नहीं हैं।

- हफीज, सर्विसमैन

अगर नगर निगम के अधिकारी शहर में डेली निरीक्षण करते और पब्लिक से फीडबैक लेते तो यह स्थिति नहीं होती। सफाई कर्मियों की गिनती लोकल स्तर पर हो तो सही होगी व्यवस्था।

- अहमद जुबैर, प्रोफेशनल

नगर निगम शहर की सफाई को लेकर गंभीर होता तो गलियों में कूड़ा नहीं दिखता। नगर निगम को प्रत्येक वार्ड में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की योजना को प्रभावी रूप से लागू करना चाहिए।

- साहेबान अहमद, प्रोफेशनल