- 1200 से ज्यादा क्लीनिक, हॉस्पिटल, डायग्नोस्टिक सेंटर्स हैं दून में - 150 हॉस्पिटल्स का ही हो पाया है टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन - 200 के लगभग मानक तय हैं क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में - 85 परसेंट हॉस्पिटल पूरे नहीं करते एक्ट के तहत मानक ----------- - सरकारी हॉस्पिटल भी पूरे नहीं करते एक्ट के मानक - सीएमओ ने डीजी हेल्थ से मांगे मामले में दिशा-निर्देश - हर हॉस्पिटल का होना है एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन DEHRADUN: क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट प्रभावी रहा तो दून के 8भ् फीसदी हॉस्पिटल बंद हो जाएंगे। दरअसल दून के ये हॉस्पिटल एक्ट के तहत तय मानकों को पूरा नहीं करते। इनमें सरकारी हॉस्पिटल भी शामिल हैं। इस स्थिति को देखते हुए सीएमओ ऑफिस ने डीजी हेल्थ से दिशा-निर्देश मांगे हैं। हर हॉस्पिटल पर लागू होगा एक्ट क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट सभी छोटे-बड़े हॉस्पिटल्स पर लागू होना है। एक कमरे के क्लीनिक सहित कई सौ बेड के हॉस्पिटल्स तक के लिए इस एक्ट में प्रावधान है। सभी के लिए रजिस्ट्रेशन फीस अलग-अलग है। सभी सरकारी हॉस्पिटल्स को भी इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना है, हालांकि सरकारी हॉस्पिटल्स से इसके लिए कोई फीस नहीं ली जाएगी। क्भ्0 टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन देहरादून के छोटे-बड़े सरकारी और प्राइवेट क्लीनिक्स, हॉस्पिटल्स और डायग्नोस्टिक सेंटर्स की संख्या क्ख्00 से ज्यादा है, लेकिन अब तक केवल क्भ्0 ही रजिस्ट्रेशन हो पाये हैं। ये सभी रजिस्ट्रेशन टेंपरेरी हैं। सरकारी हॉस्पिटल्स में केवल दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और कोरोनेशन हॉस्पिटल ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। सरकारी हॉस्पिटल्स भी फेल देहरादून जिले का एक भी हॉस्पिटल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के मानकों को पूरा नहीं करता। हालांकि दून मेडिकल कॉलेज और कोरोनेशन हॉस्पिटल का एक वर्ष के लिए अस्थाई पंजीकरण हुआ है, लेकिन पांच साल के लिए स्थाई पंजीकरण करने के मानक इन दो हॉस्पिटल्स में भी पूरे नहीं हैं। अन्य सरकारी हॉस्पिटल्स की भी यही स्थिति है। प्राइवेट सेक्टर के बहुत कम हॉस्पिटल और क्लीनिक ही इस मानकों को पूरा करते हैं। डीजी से मांगे दिशा-निर्देश सीएमओ कार्यालय की ओर से डीजी हेल्थ को एक पत्र भेजा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि दून के 8भ् प्रतिशत हॉस्पिटल एक्ट के तहत मानकों को पूरा नहीं करते, इनमें सभी सरकारी हॉस्पिटल भी शामिल हैं, ऐसी स्थिति में इन हॉस्पिटल्स को लेकर क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिए। हॉस्पिटल्स को नोटिस सीएमओ कार्यालय की ओर से जिले के सभी सरकारी हॉस्पिटल्स को नोटिस भी भेजे गये हैं, जिनमें उनसे एक्ट के तहत एक वर्ष के लिए टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा गया है। सीएमओ कार्यालय के अनुसार प्राइवेट हॉस्पिटल्स का पूरा पता-ठिकाना न होने के कारण इन हॉस्पिटल्स को न्यूजपेपर्स के जरिए पब्लिक नोटिस जारी किए गए हैं। क्या हैं नियम क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट-ख्0क्0 के अनुसार किसी भी तरह की स्वास्थ्य सेवा देने वाली संस्था का इस एक्ट के तहत सीएमओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन होगा, जहां इसके लिए अलग से सेल है। पहली बार कुछ प्रमाणपत्रों को प्रस्तुत करके एक वर्ष के लिए टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन होगा और उसके बाद बाकायदा सभी मानकों की जांच करके पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। ये हैं कुछ मानक -कोई भी क्लीनिक, हॉस्पिटल, डायग्नोस्टिक सेंटर आवासीय भवन या आवासीय भूमि में न हो। -बिल्डिंग कंप्लीशन लाइसेंस, मशीनों के हर तरह के लाइसेंस, वेंडर के साथ एमओयू के लाइसेंस, फार्मेसी लाइसेंस, सेल्टी फूड लाइसेंस सहित दो दर्जन से अधिक लाइसेंस की जरूरत। -क्लीनिक, ओपीडी आदि के लिए निर्धारित एरिया। -वार्ड में प्रत्येक बेड के बीच निर्धारित दूरी। -पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जरूरी। यदि हम इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए जोर-जबरदस्ती करते हैं तो 8भ् फीसदी हॉस्पिटल बंद हो जाएंगे, इनमें सभी सरकारी हॉस्पिटल भी शामिल हैं, ऐसे में मरीजों का क्या होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। हमने डीजी हेल्थ को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश मांगे हैं। डॉ। वाईएस थपलियाल, सीएमओ।