नहीं है fix rate
बात सिटी की करें तो यहां नर्सिंग होम्स, पैथोलॉजी सेंटर्स में कुछ ऐसा ही हाल दिखाई देता है। पैथोलॉजी सेंटर्स में किसी खास चेकअप के लिए चाहे जितना भी चार्ज लिया जाए पेशेंट के पास उसे चुकाने के अलावा दूसरा चारा नहीं। क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट्स से पेशेंट्स को इस समस्या से कुछ राहत मिल सकती थी लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी डिस्ट्रिक्ट में इस एक्ट के प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है।

हर procedures के लिए तय होना है rate
क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट रूल्स, 2012 के प्रोविजन्स के अनुसार सभी क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट हर तरह के प्रोसिज्योर और सर्विसेज के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा समय-समय पर स्टेट गवर्नमेंट के कंसलटेशन से निर्धारित रेट ही चार्ज करेंगे। इसके अलावा एक्ट में यह भी कहा गया है कि सभी क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट प्रत्येक सर्विस के लिए चार्जकिए जाने वाले रेट और अवेलेवल फैसिलिटीज को डिस्प्ले भी करेंगे। लेकिन सिटी में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दिखाई देती। इसकी बड़ी वजह है कि स्टेट में एक्ट लागू होने के करीब दो साल बाद भी सिटी में क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट्स का रजिस्ट्रेशन स्टार्ट नहीं किया जा सकना।

नहीं हो रहा registration
क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट्स के ऑनलाइन रिकॉर्ड के मुताबिक स्टेट में अब तक करीब 15 सौ इस्टैŽिलशमेंट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है। धनबाद, बोकारो जैसे डिस्ट्रिक्ट्स में बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन हुए हैं लेकिन सिटी में इस प्रक्रिया को अब तक स्टार्ट नहीं किया गया है। स्टेट गवर्नमेंट द्वारा फरवरी 2012 में एक नोटिफिकेशन जारी कर हर डिस्ट्रिक्ट में एक रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी के गठन के बारे में कहा गया था। इस रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी के प्रेसिडेंट डीसी और मेंबर के रूप में सिविल सर्जन, जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी सहित तीन और मेंबर रखने की बात कही गई है। हाल ही में इस मामले को लेकर सिविल सर्जन से मुलाकात करने गए झारखंड ह्यïूमन राइट कांफ्रेंस के प्रेसिडेंट मनोज मिश्रा ने बताया कि सिविल सर्जन से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में डीसी के पास फाइल भेजी गई है पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

क्या है Clinical Establishment Act
क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट्स के रजिस्ट्रेशन और रेग्यूलेशन के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेग्यूलेशन) एक्ट, 2010 लागू किया था। झारखंड में इस एक्ट को 2012 में लागू किया गया। एक्ट के मुताबिक कोई भी व्यक्ति एक्ट के प्रोविजन्स के अकॉर्डिंग रजिस्ट्रेशन के बगैर क्लिनिकल इस्टैŽिलशमेंट रन नहीं कर सकता। एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कई रूल्स बनाए गए हैं। जिसमें फैसिलिटीज और सर्विसेज के लिए मिनिमम स्टैैंडर्ड, पर्सोनल के मिनिमम रिक्यारमेंट को पूरा करना, रिकाड्र्स का मेंटेनेंस और रिपोर्टिंग सहित अन्य कंडीशन्स शामिल हैं।

एक्ट को लागू करने में अगर किसी तरह की समस्या आ रही हो तो संबंधित अधिकारी हमसे संपर्क कर सकते हैं। प्रॉŽलम दूर करने के लिए कदम उठाये जाएंगे।
-वीके मिश्रा, ज्वाइंट सेक्रेटरी, हेल्थ डिपार्टमेंट, झारखंड

 

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in