महंगी पड़ी जांच

बताया जाता है कि स्टेशन पर सुबह बेटिकट पैसेंजर्स के खिलाफ विशेष चेकिंग कैंपेन किलाबंद के तहत जांच पड़ताल की जा रही थी। इसमें लखनऊ डिवीजन के 108 और दिल्ली, फिरोजपुर व अंबाला डिवीजन के 55 टीसी को तैनात किया गया था। चेकिंग चल ही रही थी कि प्लेटफॉर्म नंबर नौ पर टीसी विकास सिंह ने दो युवकों के साथ विकास पांडेय को पकड़ा। उसके पास टिकट नहीं था मगर उसने बताया कि वह आरपीएफ के जवान विजय पांडेय का बेटा है, उसे जाने दिया जाए। टीसी ने नहीं माना तो दोनों पक्षों में कहासुनी होने लगी जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। मौके पर रहे अन्य लोगों ने बीच बचाव कर दोनों पक्षों को शांत कराया। लेकिन यह खबर फैलते ही कुछ ही देर में  प्लेटफॉर्म नंबर एक पर आरपीएफ के कई जवान और रेलकर्मी जुट गए। इसी बीच टीसी व विकास पांडेय भी वहां आ पहुंचे और एक बार फिर तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गयी। इसके बाद आरपीएफ जवानों व रेलकर्मियों में मारपीट होने लगी। इसके चलते प्लेटफॉर्म सहित पूरे स्टेशन कैंपस में भगदड़ मच गई।

पैसेंजर्स भी हुए इंजर्ड

काला कोट और खाकी वर्दी की इस जंग का खामियाजा अन्य पैसेंजर्स को भी भुगतना पड़ा। कई को चोट लगी तो कई इंजर्ड हुए। आधे घंटे तक अफरातफरी रही और कैंट स्टेशन पर काम ठप हो गया। मारपीट में टीसी विकास सिंह, विन्ध्यवासिनी, एके सिंह समेत आरपीएफ के अंगद यादव, नरसिंह चौहान व विकास पांडेय इंजर्ड हो गए।

लखनऊ से पहुंचे ऑफिसर्स

घटना की सूचना रेलवे बोर्ड व लखनऊ डिवीजन के डीआरएम को दी गई। रेलवे ने तत्काल दो सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर सीनियर डीसीएम अश्विनी श्रीवास्तव व वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त पंकज गंगवार को बनारस रवाना कर दिया। यहां पहुंचे दोनों ऑफिसर्स ने घटना की अपने लेवल से इंक्वायरी की।

टिकट चेकिंग कैंपेन पोस्टपोंड  

इनवेस्टिगेशन ऑफिसर व सीनियर डीसीएम अश्विनी श्रीवास्तव ने बताया कि किसी पक्ष की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। घटना के दोषी दंडित किए जाएंगे ताकि ऐसी घटना फिर न हो। उन्होंने बताया कि बेटिकट पैसेंजर्स के खिलाफ 48 घंटे तक चलने वाला किलाबंद कैंपेन फिलहाल रोक दिया गया है।