वैसे तो ये खिड़कियां आम आदमी को मिलने वाली सुविधाओं की खिडक़ी के रूप में जानी जाती हैं, मगर आज तक इनसे मिलने वाली सुविधा आम आदमी को नसीब ही नहीं हुई। इन खिड़कियों को हम भी इस उम्मीद से आपके सामने ला रहे हैं कि शायद किसी खुशकिस्मत दिन ये खिडक़ी भी खुलें।

पहली खिडक़ी
तहसील की एकल खिडक़ी - तहसील परिसर में बनी ये खिडक़ी कब खुलती है कोई नहीं जानता। वैसे वहां के कर्मचारी तो कहते हैं कि ये खिडक़ी रोज खुलती है मगर जब हम पहुंचे तो ये खिडक़ी बंद थी और देखने से लग भी नहीं रहा था कि ये खिडक़ी कभी खुलती हो।

दूसरी खिडक़ी 

कलेक्ट्रेट का ट्रेजरी डिपार्टमेंट - हम दूसरी खिडक़ी पर पहुंचे वो कलेक्ट्रेट परिसर में वजूद रखती एक खिडक़ी थी। ट्रेजरी डिपार्टमेंट की ये खिडक़ी कर्मचारियों की सुविधा के लिए बनाई गई थी। यह खिडक़ी बनाई ही इसलिए गई थी कि लोगों का काम बाहर से ही हो जाए, लेकिन ये हमेशा ही बंद रहती है। जिससे लोगों को पहले काफी दिक्कत होती थी, अब लोगों की आदत में शुमार हो गया है। कर्मचारी अपना काम अंदर डिपार्टमेंट में जाकर ही कराते हैं।

तीसरी खिडक़ी
एमडीए की खिड़कियां - मेरठ डेवलेपमेंट अथॉरिटी परिसर में एक नहीं तीन-तीन खिड़कियां हैं। ये तीनों खिड़कियां पब्लिक की समस्याओं के निदान के लिए बनी हैं। इनका नसीब बहुत खराब है। बनने के बाद आज तक खिड़कियों के पीछे कोई कर्मचारी ही नहीं आकर बैठा। इन खिड़कियों के खुलने या बंद होने का कोई मतलब नहीं है। इन तीन खिड़कियों में पहली पूछताछ केन्द्र, जहां आने वाला हर व्यक्ति अपनी समस्या को रखता मगर खाली कुर्सी किसी समस्या का हल नहीं निकाल सकती। दूसरी खिडक़ी मानचित्र अनुभाग की है, जहां नक्शे बनने और नक्शे से जुड़ी समस्याओं का निराकरण होना था। तीसरी खिडक़ी विधि अनुभाग और भू-अर्जन के लिए बनी है, जिसमें कानून संबंधी और जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए मगर ये ऐसी खिड़कियां हैं जो कभी किसी की मदद के लिए नहीं खुलीं।

चौथी खिडक़ी
सीसीएस यूनिवर्सिटी इन्क्वायरी - हमारे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में ऐसी ही एक खिडक़ी है, जिसे अधिकतर लोग इंक्वायरी के नाम से जानते हैं। ये खिडक़ी वजूद में है, यहां लाइट और पंखे भी चलते हैं, कभी-कभार दो-चार लोग मिलकर इसमें अपना गॉसिप अड्डा भी बना लेते हैं, मगर ये इंक्वायरी कभी किसी परेशान छात्र के काम नहीं आई। यहां कोई कुछ बताने वाला नहीं है और कभी-कभार जो लोग यहां बैठते हैं उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई स्टूडेंट्स कुछ जानने के लिए भी खड़ा है।

पांचवी खिडक़ी
छात्र समस्या निवारण प्रकोष्ठ - सीसीएसयू में छात्रों की समस्या को सुनने और उसके निवारण के लिए बनी ये दोनों खिड़कियां अब छात्रों को मुंह चिढ़ा रही हैं। कभी ये दावा किया जाता था कि इन खिड़कियों पर छात्रों की समस्या का हल जल्द से जल्द होगा और उसे कभी यूनिवर्सिटी में धक्के नहीं खाने होंगे। लंबे समय से ये खिडक़ी भी बंद है।