-रविवार को हुआ तीन दिवसीय यूपी आर्थोकॉन 2018 का समापन

-डॉक्टरों ने इलाज की आधुनिक तकनीकों दिए टिप्स

ALLAHABAD: जब तक मरीज को बहुत अधिक परेशानी न हो, उसका घुटना बदला नहीं जाना चाहिए। एक्सरे देखकर घुटने का प्रत्यारोपण न करें तो बेहतर होगा। यह बात एम्स नई दिल्ली से आए यश पुरस्कार से पुरस्कृत डॉ। चंद्रशेखर यादव ने कही। उन्होंने कहा कि घुटना प्रत्यारोपण के मामलों में डॉक्टरों को मरीज की परिस्थति पर विचार करना चाहिए। वह एमएलएन मेडिकल कॉलेज में

आयोजित यूपी आर्थोपेडिक सोसायटी की यूपी आर्थोकॉन 2018 कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान 40 डॉक्टरों ने इलाज की आधुनिक तकनीकों पर अपने विचार व्यक्त किए।

नवजात का करा लें अल्ट्रासाउंड

मशहूर आर्थोपेडिक सर्जन डॉ। अशोक जौहरी ने बच्चों के कूल्हे के उपचार के बारे में राय दी। उन्होंने कहा कि नवजात बच्चों को बेहतर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इससे शुरुआती दौर में उसकी बीमारी पकड़ में आ सकती है और उसका आसान इलाज हो सकता है। उन्होंने कहा कि नवजात का अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। इससे कूल्हे से जुड़ी तमाम विकृतियां सामने आ सकती हैं। अगर कहीं पस मिलता है तो उसे तत्काल निकलवा देना चाहिए। अगर छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाए तो आगे चलकर समस्या खड़ी कर सकती हैं।

डॉक्टरों का हुआ सम्मान

तीन दिन तक चले समारोह में करीब पांच सौ डॉक्टरों ने इलाज की आधुनिक विधाओं पर अपनी बात रखी। पदाधिकारियोंने देश-विदेश से आए डॉक्टर्स को सम्मानित भी किया। प्रीतमदास सभागार में आयोजित वर्कशाप में खुद द्वारा किए गए ऑपरेशन व सर्जरी को वीडियो के जरिए दिखाया गया। डॉक्टर्स ने एक्सप‌र्ट्स से सवाल भी पूछे। रविवार को डा। शशि रस्तोगी, डॉ। एसएम शर्मा, डा। राजीव नाईक आदि ने अपना व्याख्यान दिया। आयोजन के चेयरमैन डॉ। केडी त्रिपाठी ने सभी अतिथियों के प्रति आभार जताया। इसमें अध्यक्ष डॉ। जितेंद्र कुमार जैन, एएएम सचिव डॉ। त्रिभुवन सिंह, डॉ। मनोज गुप्ता, डॉ। मनीषि बंसल, डॉ। शरद जैन, डॉ। महेश चंद्र दुबे, डॉ। एपी सिंह आदि उपस्थित रहे।