SRN की हकीकत से रूबरू नहीं हो पाए CM

सीएम ने वही देखा जो अधिकारियों ने दिखाया

ALLAHABAD: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संडे को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल मरीजों का दु:ख दर्द जानने? उन्हें किस तरह की स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं? यह जानने के लिए पहुंचे थे। लेकिन, यहां भी सिस्टम हावी रहा और सीएम ने वही देखा जो अफसरों ने दिखाया। सीएम के पहुंचने के पहले एसआरएन का पूरा नक्शा ही बदल दिया गया। मरीजों के परिजनों को हॉस्पीटल से बाहर कर किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया। एडमिनिस्ट्रेशन ने पूरा इंतजाम कर रखा था कि कोई मरीज या तीमारदार सीएम से शिकायत न करने पाए। अधिकारियों का यह प्लान कामयाब भी रहा। सीएम करीब 24 मिनट तक एसआरएन में रहे, लेकिन इस 24 मिनट में उन्हें कोई कमी नहीं दिखाई दी।

सुरक्षाकर्मियों ने भीड़ को रोका

कड़ी सुरक्षा में सीएम योगी आदित्यनाथ का काफिला नेवादा से निकला कर 10.14 बजे डॉयरेक्ट एसआरएन पहुंचा। जहां पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने लोगों की भीड़ को किनारे कर रखा था। एसआरएन पहुंचते ही सुरक्षा घेरे में सीएम को सीधे अस्थि के वार्ड नंबर में ले जाया गया। जहां सीएम ने मेजा तहसील के लेटार गांव निवासी श्यामू, प्रतापगढ़ जिला के रामनगर निवासी मक्खनलाल, जगतपुर के लक्ष्मण सिंह से मुलाकात करके उनका हाल जाना.अस्थि वार्ड से निकल कर सीएम आइसोलेशन वार्ड-7 देखने पहुंचे।

अफसरों ने डांटकर भगा दिया

सीएम वार्ड का निरीक्षण कर रहे थे, उस दौरान एसआरएन कैंपस में मरीजों के परिजन हॉस्पीटल एडमिनिस्ट्रेशन पर मनमाने पैसे वसूलने, मरीजों के साथ बदसलूकी किए जाने, केवल बाहर से दवा लिखे जाने, एसआरएन में महत्वपूर्ण जांच न होने का आरोप लगाते हुए हंगामा कर रहे थे। यही नहीं सीएम से मिलने की गुहार भी लगा रहे थे। लेकिन, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने डांट-डपट कर सब को भगा दिया।

मीडिया को सुनाया अपना दर्द

ई तो बस नाम का सरकारी हॉस्पीटल है साहब। यहां तो बस चारों तरफ लूट है। डॉक्टर मिलते नहीं और दवा बाहर से ही खरीदनी पड़ती है। मेरी बहू मनोरमा यादव को पांच महीने का बच्चा था। बच्चा खराब होने पर डॉक्टर ने ऑपरेशन कर बच्चा निकाला। अब दवा खरीदना मुश्किल हो रहा है। अब तक बाहर से करीब तीन से चार हजार रुपये की दवा बाहर से खरीद चुका हूं।

राजकुमार यादव

तारडीह, फूलपुर तहसील

मेरे पिता जी करीब चार साल से बीमार हैं। लगातार उनकी दवा चल रही है। लेकिन सारी दवाएं बाहर से ही खरीदनी पड़ रही हैं। जिससे आर्थिक स्थिति पूरी तरह से गड़बड़ हो गई है। कमाई का मोटा हिस्सा केवल दवाई में चला जा रहा है। वहीं वार्ड में कोई सुविधा नहीं मिलती है।

सत्य प्रकाश दुबे

निवासी जौनपुर