-पीडि़त को आपदा की तर्ज पर समय सीमा में राहत राशि का करें भुगतान

क्कन्ञ्जहृन् : अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मामले किसी भी हाल में लंबित नहीं रहे। यह आदेश गुरुवार को सीएम नीतीश कुमार ने दिया। उन्होंने कहा कि दर्ज मामलों का निष्पादन तय समय सीमा के अंदर होना चाहिए। डीजीपी, गृह सचिव और आइजी (कमजोर वर्ग) इन मामलों की समीक्षा करें। जिन जिलों में अधिनियम के तहत गठित जिला सतर्कता समिति की बैठक नहीं हुई है उनके डीएम से स्पष्टीकरण पूछा जाए। इसे डीएम के वार्षिक गोपनीय अभियुक्ति (एसीआर) से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत राज्यस्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में मुख्यमंत्री ने ये बातें कही। बैठक में डिप्टी सीएम सुशील मोदी उपस्थित थे।

श्रेणीवार विश्लेषण किया जाए

सीएम ने कहा कि एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत जो मामले दर्ज हैं उसका श्रेणीवार विश्लेषण हो। यह भी देखा जाए कि उन मामलों में क्या कार्रवाई हुई है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने ऑपरेशन दखल देहानी तथा अभियान बसेरा पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि महादलित वर्ग के अंदर अब सभी एससी-एसटी वर्ग के लोग शामिल हैं। इस बात को ध्यान में रख यह सर्वे कराया जाए कि इनके पास वास भूमि उपल?ध है या नहीं। यह काम राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के माध्यम से किया जाएगा। सीएम ने क्रय नीति की भी विस्तृत समीक्षा की।

समय सीमा में करें राहत अनुदान का भुगतान

सीएम ने कहा कि इस अधिनियम के तहत दर्ज मामले में स्पीडी ट्रायल कराएं। पोस्टमार्टम, फोरेंसिक जांच और आरोप पत्र दायर करने की स्थिति, ट्रायल, रिहाई और राहत अनुदान आदि के भुगतान की रियल टाइम मॉनीट¨रग के लिए एमआइएस विकसित करें। आपदा की तर्ज पर समय सीमा के अंदर पीडि़त को राहत अनुदान का भुगतान किया जाए। एससी-एसटी कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, परिवहन मंत्री संतोष निराला, भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी समेत मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, डीजीपी केएस द्विवेदी और गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी भी शामिल हुए।