इनसे छिने प्रशंसा चिन्ह

गणतंत्र दिवस के मौके पर डीजीपी की ओर से दिये जाने वाले  651 पुलिस अफसरों व कर्मियों को स्वर्ण व रजत प्रशंसा चिन्ह देने की घोषणा की गई थी। बीती 24 जनवरी को जारी की गई लिस्ट पर चर्चा तब शुरू हुई जब इसमें तमाम ऐसे अफसरों के नाम शामिल पाए गए जिनके जिलों में लगातार संगीन वारदातें घटित हो रही हैं और पुलिस उन पर काबू नहीं कर पा रही। मामले की भनक लगने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी ओपी सिंह व एडीजी/आईजी स्थापना एसबी शिरडकर को प्रशंसा चिन्ह की लिस्ट के साथ तलब किया। सूत्रों के मुताबिक, सीएम ने आठ आईपीएस अधिकारियों एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार, एसएसपी मथुरा स्वप्निल ममगई द्वारा किये गए 'उत्कृष्ट' कार्यों का ब्योरा मांगा। बताया जाता है कि  एडीजी/आईजी शिरडकर इस पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। जिसके बाद सीएम ऐसे अफसरों का लिस्ट से नाम काटने का निर्देश दिया। सीएम की नाराजगी के बाद लिस्ट से इन आठों अफसरों के नाम हटा दिये गए।

तीन अफसरों के नाम जोड़े

आठ आईपीएस अफसरों के नाम हटाने के साथ ही तीन आईपीएस अफसरों के नाम जोड़े भी गए। लिस्ट में जिन अफसरों के नाम जोड़े गए उनमें एसपी लखीमपुर चिनप्पा, एसपी बुलंदशहर मुनिराज और एसएसपी मुरादाबाद प्रीतिंदर सिंह के नाम शामिल हैं। यह वे अफसर हैं जिन्होंने अपने जिलों में बेहतरीन काम किया लेकिन, प्रशंसा चिन्ह की लिस्ट में उन्हें नजरंदाज कर दिया गया था।

इन वजहों से सीएम नाराज

सीएम योगी आदित्यनाथ की नाराजगी यूं ही नहीं है, लखनऊ में बीते दिनों 13 घरों में डकैती, दो हत्या व आठ घायल के अलावा एक लैब टेक्नीशियन की हत्या की वारदात हुई। मथुरा में पुलिस की गोली से बच्चे की मौत व मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण के  समधी की हत्या की वारदात हुई। हालांकि, इन जिलों के कप्तानों को प्रशंसा चिन्ह देने की घोषणा कर दी गई थी।

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