अभी तक जो पोस्ट काफी प्रेस्टीजीयस मानी जाती थी और उसके लिए काफी  सोर्स-सिफारिश चलती थी, वही अब हॉट सीट बन गईं हैं और ज्यादातर डॉटक्र्स इस पोस्ट पर जाना ही नहीं चाहते। ये पोस्ट हैं सीएमओ, सीएमएस, डीटीओ। कोई भी सीनियर डॉक्टर इस मलाईदार लेकिन झंझटों और खतरों से भरी पोस्ट पर आना नहीं चाहता। एक पत्र में शासन ने लेवल 4 के डॉक्टर्स से पूछा कि क्या वे प्रशासनिक पोस्ट्स पर बैठना चाहते हैं? जिसमें 80 परसेंट से ज्यादा का जवाब है नहीं।

सिर्फ 5 परसेंट ने कहा 'हां

अब सीएमओ और सीएमएस के पद पर तैनाती डॉक्टर्स की राय के बाद ही होगी। जो डॉक्टर इन पदों पर तैनाती नहीं चाहते हैं उन्हें इन पदों पर नहीं भेजा जाएगा। शासन ने इससे संबंधित शासनादेश जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि लेवल 4 के डॉक्टर्स, सीएमओ, सीएमएस, जिला क्षय रोग अधिकारी के पदों पर तैनाती के लिए इलिजिबल हैं। साथ ही इन पदों पर सीनियारिटी के हिसाब से ही तैनाती की जाएगी और संस्थान में जो डॉक्टर इस पद पर तैनात हो उसके अधीन कोई सीनियर चिकित्सक उनके अधीन कार्यरत न हो।

30 तक होगी तैनाती

14 जून को भेजे गए लेटर में प्रदेश भर के 'लेवल 4Ó के डॉक्टर्स से यह पूछा गया था कि वह प्रशासनिक पद, सीएमओ, सीएमएस, डीटीओ जैसे प्रशासनिक पदों हेतु इच्छुक हैं या नहीं। इसमें यह भी है कि जो इस प्रारूप को नहीं भरता है उसके स्थान पर दूसरे डॉक्टर को तैनात कर दिया जाएगा। विकल्प के रूप में जूनियर डॉक्टर की तैनाती 30 जून तक 2012 तक होगी।

अधिकतर ने कहा, ना

राजधानी के ज्यादातर हॉस्पिटल्स के सीनियर डॉक्टर्स ने इन पदों को नकार दिया है। सिविल हॉस्पिटल के एक डॉक्टर के अनुसार हॉस्पिटल के 10 से 12 परसेंट डॉक्टर्स ने ही इन पदों पर तैनाती के लिए हामी भरी है। वहीं डॉ। राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में 40 में से सिर्फ 5 या 6 डॉक्टर्स ने ही इन पदों पर ज्वाइनिंग के लिए हामी भरी है। शेष ने इन प्रशासनिक पदों पर ज्वाइनिंग से मना कर दिया है। इसके अलावा बलरामपुर सहित अन्य हॉस्पिटल्स का भी यही हाल है।

हाईकोर्ट के आदेश का असर

शासनादेश में डॉ। लल्लन प्रसाद बनाम राज्य व अन्य में पारित आदेश का भी हवाला दिया है। जिसके बाद गवर्नमेंट ये कदम उठाया। इससे पहले कई सीनियर्स को पीछे छोड़ते हुए जूनियर डॉक्टर्स सीएमएस और सीएमओ पदों पर बैठ गए थे जो अभी भी इन पदों पर बैठे हुए हैं। राजधानी में भी कई जूनियर डॉक्टर्स सीएमएस बने हुए हैं। जिसके बाद सीनियर्स नाराज हैं। पीएमएस के प्रेसीडेंट डॉ। डीआर सिंह ने बताया कि बस्ती में एक जूनियर डॉक्टर को सीएमओ बनाए जाने के बाद डॉ। लल्लन प्रसाद ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसमें कोर्ट ने डिसीजन दिया था कि सीएमओ सीएमएस के पद पर चयन सीनियारिटी से किया जाए। लल्लन प्रसाद को बाद में फर्रुखाबाद का सीएमओ बनाया गया था। पीएमएस एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डॉ। डीआर सिंह ने बताया कि लेवल 4 के लगभग 2545 पद हैं जिनमें से लगभग 2000 पद भरे हुए हैं। यानी अभी भी करीब 500 पद खाली हैं।

जूनियर बने सीनियर

सिर्फ राजधानी ही नहीं प्रदेश भर में ज्यादातर जगहों पर सीएमएस और सीएमओ के पदों पर जूनियर डॉक्टर्स कब्जा किए बैठे हैं। बलरामपुर हॉस्पिटल के एक डॉक्टर के अनुसार शासनादेश में यह भी है कि जनहित में इस नीति से अलग भी आदेश दिए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टर्स द्वारा ऑप्शन मांगे जाने के बाद उन्हें दूसरे जिलों में ट्रांसफर किया जा सकता है। ताकि जूनियर्स को सीएमएस व सीएमओ बनाया जा सके। पिछले कुछ माह के दौरान 100 से ज्यादा डॉक्टर्स रिटायर हो चुके हैं। जो कि मरीजों का इलाज करते-करते रिटायर हो गए हैं। उन्हें कभी भी सीएमएस या सीएमओ जैसे पदों पर ज्वाइनिंग नहीं दी गई। जबकि उनसे बहुत जूनियर डॉक्टर्स अभी भी बड़े पदों पर बैठे हुए हैं. 

अब डॉक्टर्स की मर्जी के बाद ही तैनाती

प्रदेश के अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग मुख्यालयों में 700 प्रशासनिक पद हैं। इसमें स्वास्थ्य विभाग में 111 संयुक्त निदेशक के पद, 71 सीएमओ के पद,134 सीएमएस, 31 जिला क्षय रोग अधिकारी, 71 जिला कुष्ठ रोग अधिकारी, के अलावा हर जिले में एडिशनल सीएमओ के लगभग-आठ-आठ पद होते हैं। अब इन पदों पर डॉक्टर्स की मर्जी के बाद ही तैनाती की जाएगी।