30 & cng customers कम

जो कस्टमर्स पेट्रोल व डीजल के मुकाबले सीएनजी के सस्ते और बेहतर माइलेज वाले फ्यूल के चलते सीएनजी कार खरीदने को प्रियॉरिटी देते थे, उनकी लिस्ट में एक बार फिर पेट्रोल व डीजल कारों की फेहरिस्त ऊपर हो गई है। ऑटोमोबाइल एक्सपट्र्स के मुताबिक दिसंबर से अब तक एक महीने में ही सीएनजी कारों की बिक्री में करीब 30 परसेंट की गिरावट आई है। एक्सपट्र्स ने माना कि सीएनजी के दाम में अचानक आए इतने बड़े उछाल से सीएनजी कार कस्टमर्स को अपनी पसंद बदलने को फिलहाल मजबूर किया है।

प्राइसिंग का अंतर जिम्मेदार

पेट्रोल के मुकाबले सीएनजी कारों की कीमत 50-60 हजार रुपए तक ज्यादा महंगी है, लेकिन माइलेज ज्यादा होने और सीएनजी के दाम में कमी की वजह से कस्टमर के लिए सीएनजी कार फायदे का सौदा साबित होती थी। पेट्रोल और सीएनजी की कीमतों में लगभग खत्म हो चुके अंतर ने इस प्रॉफिट की सारी गणित ही खराब कर दी है, जिससे लॉन्ग रन में सीएनजी कारों से होने वाले फायदे की गुजांइश न के बराबर रह गई। वहीं फ्यूचर में सीएनजी के दामों में पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा बढ़ोतरी की आशंका ने भी कस्टमर्स को डराया है।

पेट्रोल कारों पर फिर टिकी नजर

दिसंबर 2013 में सीएनजी के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी से सीएनजी कारों के लिए कस्टमर्स की दीवानगी का ग्राफ नीचे चला गया। एक्सपर्ट्स ने बताया कि पिछले एक महीने में सीएनजी कारों से मुंह फेरने वाले ज्यादातर कस्टमर्स वापस पेट्रोल वेरिएंट कारों से नजदीकी जोड़ रहे हैं। कभी कम खर्च में ज्यादा माइलेज के चलते सीएनजी कार को प्रिफरेंस देने वाले कस्टमर्स अब अपनी मंथली रनिंग चेक करने के बाद ही कार सेलेक्ट कर रहे हैं। मंथली 1200-1600 कि.मी। कार रनिंग वाले कस्टमर्स पेट्रोल कार को तरजीह दे रहे हैं। जो खरीद और ऑपरेटिंग कॉस्ट के लिहाज से सीएनजी कारों से सस्ता पड़ रही है।

डीजल कार्स इन डिमांड

सीएनजी के दामों में बढ़ोतरी के बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा डिमांड डीजल कारों की ही बढ़ी है। लांग रन, बिजनेस टूर्स और ज्यादा ड्राइविंग के यूज वाले कस्टमर्स ने सबसे महंगी होने के बावजूद डीजल कारों पर भरोसा जताया। इसकी सबसे बड़ी वजह डीजल के दाम पेट्रोल और सीएनजी के मुकाबले काफी कम होने के साथ ही इसका बेहतरीन माइलेज भी है। कॉम्पिटिशन को देखते हुए कंपनीज ने डीजल कारों की डिजाइन से लेकर टेक्नोलॉजी में बड़े बदलाव किए, जिसमें डीजल कारों की इंजन नॉइस और लो पिकअप जैसी प्रॉŽलम को दूर इसे पेट्रोल वेरिएंट कारों की तरह ही स्मूद और काफी हद तक लग्जरियस बना दिया। फ्यूचर में पेट्रोल और सीएनजी के मुकाबले डीजल के दामों में ज्यादा बढ़ोतरी न होने की उम्मीद भी डीजल कारों की बिक्री बढ़ा रही है।

रिफिल स्टेशन पर ५०त्न की कमी

सिटी में सीएनजी कारों, ऑटों व बसों को फ्यूल अवेलबेल कराने के लिए बने दोनों रिफिलिंग सेंटर भी सीएनजी के दामों में लगी आग से बेहाल हैं। सीएनजी रिफिलिंग सेंटर में पिछले एक महीने में जुटने वाली भीड़ का करीब 50 परसेंट कस्टमर्स कम हो गया है.  20 दिसंबर से पहले सिटी में जहां इन रिफिलिंग सेंटर्स में हर दिन 24,000 केजी सीएनजी की खपत होती थी। वहीं पिछले एक महीने में खपत का यह आंकड़ा गिरकर 19,000 केजी परडे तक पहुंच गया है। इन रिफिलिंग सेंटर्स में सीएनजी कार ओनर्स के साथ ही यूपीएसआरटीसी की सीएनजी बसों का आना भी करीब खत्म हो गया है।

खासियत बन रही ष्टहृत्र की प्रॉŽलम

कभी सीएनजी की खासियत रहे स्पेसिफिकेशन ही प्राइस हाइक के बाद इसके लिए चैलेंज बन रहे हैं। एक्सपट्र्स ने बताया कि सीएनजी कारों में लगने वाली किट कार की लगेज स्पेस को काफी खत्म कर देती है। वहीं कुछ बर्निंग एक्सीडेंट्स से सीएनजी कारों की सेफ्टी भी कुछ कस्टमर्स की नजर में डाउटफुल रही है। सबसे बड़ी दिक्कत सीएनजी कारों की रिफिलिंग को लेकर है। सिटी में सिर्फ दो ही जगह सीएनजी रिफिलिंग सेंटर है। एक किला के स्वाले नगर में और दूसरा सैटेलाइट चौराहा पर। इन दोनों ही जगह सीएनजी रिफिलिंग के लिए कस्टमर्स को लंबी लाइन में समय खपाना पड़ता है। सीएनजी के दाम में बढ़ोतरी के बाद कस्टमर्स ने सीएनजी कार के इन साइड इफेक्ट्स पर गौर करना शुरू किया है।

मार्केट को इलेक्शन का इंतजार

बीता साल स्टेट में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिहाज से खासा निराशा भरा रहा। साल 2012 के मुकाबले बीते साल में ऑटोमोबाइल कंपनीज को बेहद कम कस्टमर्स मिले। वहीं साल के आखिरी में सीएनजी के दाम में 18 रुपए पर केजी की बढ़ोतरी ने कई ऑटोमोबाइल एजेंसीज को तगड़ी चोट दी। जो साल के आगाज के साथ भी बरकरार है। ऐसे में ऑटोमोबाइल कंपनीज को मार्केट में बूम आने के लिए आगामी इलेक्शन का भी इतंजार है। एक्सपट्र्स इन इलेक्शन में गवर्नमेंट चेंज होने पर डीजल की ही तरह सीएनजी को भी दुबारा सŽिसडी मिलने और पेट्रोल व सीएनजी पर सरकार का ही कंट्रोल होने की उम्मीद जता रहे है। जिससे कार के शौकीनों की जेब पर एक्सट्रा बोझ न पड़े और वह ऑटोमोबाइल एजेंसीज तक खिंचे चले आएं।

'सीएनजी के दाम बढऩे से सीएनजी कारों के कस्टमर्स मार्केट से गायब हो रहे हैं। पेट्रोल और सीएनजी की प्राइसिंग में अंतर खत्म होने से सीएनजी कारों की डिमांड कम हो गई है। पेट्रोल कारों के लिए एक बार फिर कस्टमर्स की डिमांड बढ़ी है। वहीं डीजल कार अभी भी पहली पसंद है.'

-अभिषेक, सेल्स मैनेजर ऑटोमोबाइल एजेंसी