जांच में प्रोफेसर के अलावा पत्‍‌नी के व्यवहार की तरफ मोड़ी शक की सूई

ALLAHABAD: आईआईआईटी के पूर्व प्राजेक्ट स्टॉफ परमात्मा यादव के आत्महत्या करने के कारण से पर्दा उठाने की जिम्मेदारी अब धूमनगंज पुलिस को ही उठानी होगी। एसएसपी के आदेश पर प्रकरण की जांच करने वाले सीओ सिविल लाइंस ने नौ महीने पुराने पति-पत्‍‌नी के रिश्ते पर सवाल खड़ा कर दिया है। हालांकि, उनका कहना है कि ऐसा बयान उन्हें परमात्मा की पत्‍‌नी ने लिखित रूप से दिया था। इससे यह सवाल भी उठकर सामने आ गया कि क्या सीओ भी प्रोफेसर अनुपम को क्लीनचिट देना चाहते थे। हां और नहीं दोनो कंडीशन में उन्हीं के अंडर में आने वाले थाने के मातहत द्वारा विवेचना कर पाना आसान नहीं होगा।

शुरू से ढाई घर चल रही पुलिस

परमात्मा यादव ने सुसाइड 28 अगस्त को किया था और पुलिस ने अपनी जांच तीन सितंबर को शुरू की। बीच के छह दिनों तक पुलिस इस मामले को दबाने के बहाने खोज रही थी। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मामले को हाइलाइट किया तो एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने जांच सीओ सिविल लाइंस श्रीश चंद्र को सौंपी। 14 सितंबर को पेश की गई जांच में रिपोर्ट में उन्होंने प्रोफेसर अनुपम अग्रवाल के साथ परमात्मा की पत्‍‌नी के साथ रिलेशन को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। यह बताते हुए कि घर लौटने पर खाना देने में देरी होने पर वह पत्‍‌नी से कहता था कि प्रोफेसर के साथ तुम लोग भी मुझे उत्पीडि़त कर रहे हो।

मौत को संदिग्ध मान रही पुलिस

सीओ का कहना है कि जांच में पाया गया कि परमात्मा की मौत संदिग्ध परिस्थिति में हुई है। लेकिन, क्या पति का घर में व्यवहार कैसा था? इसके जवाब में पत्‍‌नी का यह बताना कि वह प्रोफेसर से इतने त्रस्त थे कि इसका असर उनके व्यवहार में भी आ गया था और खाना देने में देरी होने जैसे मामले पर वह इस तरह की टिप्पणी कर देते थे, को आत्महत्या का कारण मान लिया जाए। हालांकि सीओ ने विवेचात्मक कार्यवाही आवश्यक है, लिखकर इंवेस्टिगेशन फेयर होना जताने की भी कोशिश की है।