पूरी तैयारी कराई गई

कोबरापोस्ट ने राम जन्मभूमी आंदोलन के दौरान बाबरी मस्जिद को ढ़हाए जाने की घटना के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए हैं. कोबरापोस्ट के सनसनीखेज खुलासे से पता चलता है कि इस ढांचे को गिराने की जानकारी न सिर्फ कई बीजेपी नेताओं को थी बल्कि इसके लिए कारसेवकों को पूरी तैयारी भी कराई गई थी.

मस्जिद में स्थापित की मूर्ति

कोबरपोस्ट की पड़ताल का दावा है कि इस झगड़े की बुनियाद मे 1949 की एक घटना है, जब रामलला की मूर्ति को गुपचुप तरीके से बाबरी मस्जिद मे स्थापित कर दी गई थी. इस घटना के चश्मदीद गवाह कोई और नहीं बल्कि रामजन्म भूमि आंदोलन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बी एल शर्मा प्रेम हैं. शर्मा का कहना है कहना है कि वो तब अयोध्या मे मिलिट्री पुलिस मे एक वारंट आफिसर के रूप मे तैनात थे. यह सब उनकी आँखों के सामने हुआ. तब अयोध्या के पुजारी रामचंद्र दास उनकी यूनिट मे बराबर आया जाया करते थे एक दिन राम चन्द्र दास ने उन्हे बताया कि रामलला अमुक दिन ऐसे प्रकट होंगे. तो वहाँ अपने साथियों को लेकर आना. शर्मा के अनुसार रामलला का प्रकट होना कोई दैवीय चमत्कार नहीं था.

इन नेताओं को भी थी जानकारी

छह दिसंबर 1992 को गिराए गए विवादित ढांचे को लेकर संघ परिवार ने कई सतह पर काम किया था और इसके लिए लोगों को तैयार किया था. इस दिन अयोध्या में जो कुछ घटा उसकी जानकारी लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह समेत नरसिंह राव को भी थी. कोबरपोस्ट के आपरेशन जन्मभूमि जो बातें उभर कर सामने आई हैं उनमे से कुछ इस प्रकार हैं :-

कोबरा पोस्ट के दावे

- बाबरी विध्वंस का षड्यंत्र दो उग्र हिंदुवादी संगठनों विश्व हिन्दू परिषद और शिव सेना ने अलग अलग रचा था.

- इन दोनों संगठनो ने 6 दिसंबर से काफी समय पहले अपनी कार्ययोजना के तहत अपने कार्यकर्ताओं को इस मकसद के लिए प्रशिक्षण दिया था.

- आरएसएस के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का एक आत्मघाती दस्ता भी बनाया गया था जिसको बलिदानी जत्था भी कहा गया.

- विहिप की युवा इकाई बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने गुजरात के सरखेज मे इस मकसद के लिए एक महीने का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था. दूसरी ओर शिवसेना ने भी अपने कार्यकर्ताओं के लिए ऐसा ही एक प्रशिक्षण कैंप भिंड मोरेना मे आयोजित किया था.

- इस प्रशिक्षण मे लोगों को पहाड़ियों पर चढ़ने और खुदाई करने का प्रशिक्षण देने के साथ साथ शारीरिक व्यायाम भी कराया जाता था.

- 6 दिसंबर को विवादित ढांचे को तोड़ने के मकसद से छैनी, घन, गैंती, फावडा, सब्बल और दूसरी तरह के औजारों को खासी तादाद मे जुटा लिया गया था.

- 6 दिसंबर को ही लाखो कारसेवकों को एक संकल्प भी कराया गया था. इस संकल्प मे विवादित ढांचे को गिरा कर उसकी जगह एक भव्य राम मंदिर बनाने की बात कही गयी थी. राम कथा मंच से संचालित इस संकल्प मे आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, गिरि राज किशोर और आचार्य धमर्ेंद्र सहित कई जाने माने नेता और संत लोग थे. यह संकल्प महंत राम विलास वेदांती ने कराया था. कहा जाता है की संकल्प के होते ही बाबरी मस्जिद को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया था.

- विहिप के नेताओं ने बाबरी विध्वंस के मकसद से कुछ दिन पहले अलग अलग अंचलों के 1200 संघ कार्यकर्ताओं को मिला कर एक सेना का गठन किया था. इस गुप्त सेना का नाम लक्ष्मण सेना था. इस सेना को सभी सामान उपलब्ध कराने और दिशानिर्देश का जिम्मा राम जी गुप्ता को सौपा गया था. इस सेना का नारा जय शेशावतार था.

- दूसरी ओर शिवसेना ने भी इसी तर्ज पर अयोध्या मे अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं की एक सेना बना रखी थी. इसका नाम प्रताप सेना था. इसी सेना ने शिवसेना के बाबरी मस्जिद विध्वंस के अभियान को जरूरी सामान और सहायता उपलब्ध कराई थी.

- आरएसएस, विहिप और बजरंग दल के नेताओं ने विध्वंस से एक दिन पहले अयोध्या के हिन्दू धाम मैं एक गुप्त मीटिंग की थी. इस मीटिंग मे अशोक सिंघल, विनय कटियार, विष्णु हरी डालमिया, मोरो पंत पिंगले और महंत अवैध्यनाथ ने शिरकत की थी. इसी बैठक मे दूसरे दिन होने वाली कारसेवा के दौरान बाबरी मस्जिद को गिराने का फैसला किया गया था.

- आरएसएस और बीजेपी ने भी एक गुप्त बैठक हनुमान बाग मे की थी. इस मीटिंग मे आरएसएस के एच वी शेषाद्री समेत उस समय अयोध्या मे मौजूद विनय कटियार, उमा भारती और एल के आडवाणी जैसे नेताओं ने भाग लिया था.

- इधर शिवसेना ने बाबरी विध्वंस से एक महीने पहले दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू मे एक गुप्त बैठक की थी. इस बैठक मे जय भगवान गोयल, मोरेश्वर सावे, आनन्द दिघे समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सेदारी की थी. इस बैठक मे अयोध्या कूच से पहले पूरी रणनीति तय की गयी थी. बाला साहब ठाकरे और राज ठाकरे दोनों इन सारी गतिविधियों के दौरान इन नेताओं से संपर्क मे थे.

- अगर पारंपरिक तरीके कामयाब नहीं हो पाते तो शिवसेना ने बाबरी मस्जिद को डायनमाईट से उड़ाने का फैसला भी किया था.

- पारंपरिक औजारों के अलावा बजरंग दल की बिहार की टोली ने बाबरी को गिराने के लिए पेट्रोल बमो का भी इस्तेमाल किया था.

- स्थानीय प्रशासन ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने के बजाय उन्मादित कार सेवकों को बाबरी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए उकसाया और इस काम मे उनकी मदद भी करी. जैसे पी ए सी के जवानो को ये कहते सुना गया की इस सरदर्द को हमेशा के लिए खत्म कर दो.

- बाबरी विध्वंस के बाद वहाँ से कई पुरातन महत्व की चीजों को चुपचाप निकाल लिया गया. जैसे शिवसेना के नेता पवन पांडे के पास 1528 के शिलालेख के दो टुकड़े मौजूद हैं, जिसमे मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद के निर्माण की घोषणा की थी. पवन पांडे अब इन दो टुकड़ों को बेचना चाहते हैं.

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