ये हो सकता है खतरनाक

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। निखिल गुप्ता ने बताया कि इस मौसम में निमोनिया के बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं। इसलिए बंद कमरे में घर के ज्यादा लोग एक साथ न रहें। ऐसा करने से निमोनिया होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा दिन के वक्त घर की खिडक़ी को खोलकर रखना बेहतर होगा, जिससे घर में फैले बैक्टीरिया मर जाएंगे।

हाथ धोने से न करें परहेज

कोल्ड डायरिया और निमोनिया बना जान का दुश्मन

डॉक्टर्स के मुताबिक सर्दी के मौसम में पेरेंट्स सोचते हैं कि बच्चों को पानी के सम्पर्क में कम से कम लाना चाहिए। जिससे उन्हें ठंड से बचाया जा सके लेकिन पेरेंट्स को इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि इस मौसम में हाइजीन का ख्याल रखना ज्यादा जरूरी है। कोई भी चीज खाने से पहले और खाने के बाद बच्चों का हाथ धोने में लापरवाही न करें।

खुदी सडक़ें भी बन रही हैं परेशानी

बेदर्द मौसम और शहर में जगह-जगह खुदी हुई रोड्स कानपुराइट्स के लिए परेशानी बढ़ा रही हैं। डॉ। निखिल गुप्ता ने बताया कि सर्दी के मौसम में धूल-धक्कड़ के कारण रेसपेरेटरी सिस्टम पर असर पड़ रहा है। शॉकिंग फैक्ट ये है कि छोटे बच्चों को भी अस्थमेटिक अटैक की प्रॉब्लम सामने आ रही हैं।

निमोनिया के सिम्पटम्स

-लंग्स में इनफेक्शन और लगातार खांसी आना

-सीने में खड़खड़ाहट की आवाज आना और सांस तेज चलना

-चेहरा नीला पडऩा, पसली चलना

-वीकनेस और लगातार फीवर बने रहना

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कोल्ड डायरिया के लक्षण

-लूज मोशंस, भूख न लगना, कपकपी लगना

-बॉडी में पानी की कमी के साथ पैरों में एठन

-दिन भर सुस्ती बने रहना, पेट में दर्द होना

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