- टेराकोटा कलाकारों की आजिविका पर मंडरा रहा खतरा

-जनवरी माह में ठंड बढ़ने से नहीं हुआ कोई उत्पादन

GORAKHPUR: कड़ाके की ठंड के कारण सभी लोग परेशान हैं। बढ़ते ठंड का आलम यह है कि जनवरी माह में भी न्यूनतम तापमान 8 से 10 डिग्री के आसपास है। इस कारण टेराकोटा के कलाकारों का उत्पादन काफी ज्यादा गिर गया है। धूप नहीं होने के कारण कलाकृतियां सूख नहीं रहीं हैं। जिसके कारण उनके प्रोडक्शन का प्रोसेस आगे नहीं बढ़ पा रहा है। नतीजन इस सर्द मौसम के कारण टेराकोटा कलाकारों को इकोनामिक क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा है। कलाकारों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में जनवरी के इस महीने में प्रोडक्शन आधा ही रह गया है।

ठंडी में नहीं हो पाता प्रोडक्शन

टेराकोटा की मिट्टी तालाब के पानी में से निकाली जाती है। सर्दी के मौसम में यह मिट्टी काफी ठंडी हो जाती है। जिसके कारण मिट्टी को बारीक डिजाइन देने में काफी कठिनाई होती है। टेराकोटा की कलाकृतियां एक प्रासेस में बनती हैं पहले उन्हें चाक पर आकार दिया जाता है फिर सूखने के बाद ही डिजाइन से जुड़े काम किए जातें हैं। जो ठंडे मौसम में नही हो पाता है।

जनवरी माह केवल 60 हजार का प्रोडक्शन

औरंगाबाद के सबसे बड़े समूह लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह में 70 कलाकार टेराकोटा की कलाकृतियों का प्रोडक्शन करते हैं। समूह के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत प्रजापति ने बताया कि ठंड के कारण दिसम्बर और जनवरी माह में काफी कम उत्पादन हो पाया है। गर्मी के सामान्य दिनों में समूह एक दिन में 10 से 15 हजार का प्रोडक्शन कर लेता है। लेकिन बरसात और सर्दी के मौसम में उत्पादन कम हो जातें हैं। इस बार जनवरी माह में केवल 60 हजार का ही प्रोडक्शन हो पाया है जबकि पिछली बार यह करीब 1.20 लाख का था।

छह महीने का आकड़ा

अगस्त 4 लाख

सितम्बर 3 लाख

अक्टूबर 2.8 लाख

नवम्बर 1.10 हजार

दिसम्बर 30 हजार

जनवरी 60 हजार

सैकड़ों परिवारों के आजीविका का साधन है टेराकोटा आर्ट

शहर के भटहट ब्लाक के औरंगाबाद, भरवलिया, अमवा गुहरिया, जंगल अकेला व चारगांवा ब्लाक के पादरी बाजार, बेलवा रायपुर गांवों में सैकड़ों परिवारों का जीवन यापन टेराकोटा कलाकृतियों की बिक्री से ही चलता है। उत्पादन कम होने के कारण उन्हें आजीविका चलाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

अर्जुन प्रजापति, आर्टिस्ट

ठंड के मौसम में हम कलाकृतियों पर बारीक डिजाइन नहीं बना पातें हैं। जिससे हल्के किस्म के ही कलाकृतियां ही तैयार हो पाती हैं।

लक्ष्मीकांत प्रजापति, आर्टिस्ट

गर्मियों में चाक से उतारने के 15 से 20 मिनट बाद ही कलाकृतियां सूख जाती हैं। पर ठंडियों में धूप नहीं निकलने के कारण कलाकृतियां सूखती ही नहीं हैं। जिससे आगे कुछ काम नहीं हो पाता है।

लालचंद प्रजापति, टेराकोटा आर्टिस्ट

तालाब से ही हम लोगों को मिट्टी निकालनी पड़ती है जो ठंडियों में काफी ठंडी हो जाती हैं। जिससे काम करने में काफी दिक्कत होती है।

टेराकोटा, आर्टिस्ट