- बंद कमरे स्प्रे कलर का यूज करना हो सकता है खतरनाक।
-सिंथेटिक सामग्री बना सकती है आपको अंधा
- मोटी कमाई के बदले में केवल बांट रहे हैं बीमारियां।
MEERUT। रंगीन और चमचमाता दिखने वाला कलर स्पे्र भले ही देखने में भले ही लुभावना लगता है, लेकिन होली पर यूज होने वाले यह विभिन्न रंगों वाले आकर्षक स्प्रे किसी विस्फोटक से कम नही हैं। इस कड़वी हकीकत से भले ही आप अंजान हो, लेकिन आई नेक्स्ट आज आपको इसकी सच्चाई के बारे में बता रहा है। मंगलवार को आई नेक्स्ट के स्टिंग में एक ऐसा खुलासा हुआ, जिसे जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है। सिटी में विभिन्न ब्रांड के नाम पर बिक रहें अबीर गुलाल और हर्बल चंदन वास्तव में ज्वलनशील व खतरनाक ही होते हैं। वहीं एक स्प्रे की खाली शीशी विस्फोट भी कर सकती है।
चौंकाने वाला खुलासा
हरा, पीला, लाल, गुलाबी, नीला और पिंक रंग में बिकने वाले खूबसूरत दिखने वाले यह स्प्रे खेलने में तो अच्छे ही लगते हैं। लेकिन इसमें मिले ऐसे केमिकल जो बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। इन्हें बंद कमरे में यूज करना और एक माचिस की गर्म तिली के पास रखना भी खतरे से खाली नहीं है। आई नेक्स्ट ने जब मंगलवार को स्प्रे कलर की हकीकत जानने के लिए प्रगति विज्ञान क्लब के सदस्य दीपक शर्मा के साथ मिलकर लैब में टेस्ट करवाया तो बेहद ही चौंकाने वाले रिजल्ट सामने आए।
कलर स्पे्र का सच
मार्केट में आए हुए रंगीन कलर की शीशी में हानिकारक केमिकल भरा पड़ा है। टेस्ट में निकलकर सामने आया कि इसमें 30 परसेंट बेंजीन, 40 परसेंट कार्बन मोनोऑक्साइड और 20 परसेंट अन्य ज्वलनशील केमिकल है। केवल दस परसेंट पानी की बूंदे हैं। यह सभी केमिकल व गैस जब हानिकारक वातावरण में घुलती है तो हमारे लिए बेहद खतरनाक बन जाती है। प्रगति विज्ञान क्लब के दीपक शर्मा ने जब स्पे्र के पास जलती तिली रखी तो शीशी से चिंगारी आने लगी। जब टेस्ट किया तो पता लगा कि अगर जरा सी भी आग के पास इस स्पे्र की खाली शीशी रख दी जाए तो एक बड़ा विस्फोट भी हो सकता है।
खतरनाक सिंथेटिक
खासतौर पर बिकने वाले हरे और नीले रंग के सभी ब्रांड के स्प्रे में अभ्रक, खाद के टुकड़े और एसिड तक मिला हुआ है। एसिड खुद में ही एक ज्वलनशील पदार्थ है। इसलिए यह केमिकल युक्त स्पे्र बहुत भयंकर परिणाम दे सकते हैं।
चंदन तक भी है खतरनाक
आइए जानते हैं कि कैसे यह रंग बिरंगे गुलाल से लेकर चंदन तक खतरनाक है। इसमें कई ऐसे हानिकारक तत्व हैं जो आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
गुलाल- रंग बिरंगे मुलायम बिकने वाले गुलाल भले ही लगाने में मुलायम हो। मगर इनमें विभिन्न रंगों के लिए मिले केमिकल के साथ ही लगभग 60 प्रतिशत आरारोट और 30 प्रतिशत मैदा होता है। मैदा और अरारोट होने से त्वचा पूरी तरह से फट जाती है।
लाल और हरा रंग- लाल और हरे रंग के गुलाल में तो लगभग 70 प्रतिशत आरारोट ही मिला हुआ है। गुलाल की चिकनाई बढ़ाने के लिए ही आरारोट मिलाया जाता है। इसके साथ ही सस्ते में ज्यादा गुलाल बनाने के लिए भी आरारोट का यूज होता है।
चंदन भी नहीं असली
हर्बल के बिकने वाले ब्रांडेड चंदन की टीका डिबिया भी कुछ कम नहीं है। टेस्ट के बाद सामने आया कि इसमें जो पेस्ट है उसे बनाने के लिए 40 प्रतिशत क्रोमियम आयोडिन, मिक्सिंग के लिए डीजल और 40 तशत कॉपर सल्फेड मिलाया गया है। तब जाकर यह पीले रंग का चंदन वाला तिलक तैयार हुआ है। इसमें आने वाली सुगंध भी कोई असली नहीं है। इसमें सुगंध के लिए चंदन का थोड़ा सा एसेंस मिलाया जाता है। बाजार में यह छोटी सी डिबिया 20 रुपए से लेकर 200 रुपए तक की रेंज में बड़े ही आराम से बिक रही है।
टेसू है या कॉपर सल्फेट
टेसू के फूलों वाला प्राकृतिक समझा जाने वाला रंग और गुलाल भी बहुत ही खतरनाक है। जांच के बाद सामने आया कि इसमें केवल अरारोट, कॉपर सल्फेट और आर्टिफिशियल सुगंध के सिवा और कुछ भी नहीं है। यानि टेसू के नाम पर तो इसमें कुछ भी नहीं निकला है। यह टेसू वाला रंग या गुलाल अगर ज्यादा देर तक चेहरे पर लगा रहे तो चेहरे पर लाल- लाल निशान पड़ जाते हैं। बाजार में इसकी डिबिया 25 रुपए से 100 रुपए तक है।
खुले गुलाल में केवल कांच
बाजार में थाली में सजे हुए रंग- बिरंगे और चमकीले खुले हुए गुलाल तो और भी ज्यादा भयंकर है। इनमें चमक को बढ़ने के लिए कांच का बारीक पाउडर ही डाला जाता है। सस्ते- सस्ते के साथ इसकी चमक दमक को देखकर हालांकि हम इसे खरीदना बेहद पसंद करते हैं, मगर इसमें मिला यह कांच का पाउडर और मिट्टी जिससे त्वचा छीलने, लाल पड़ जाने, एलर्जी हो जाने जैसी शिकायत आ जाती है।
कैसे करें गुलाल का टेस्ट
अगर गुलाल की मिलावट की टेस्टिंग करनी है तो पानी में डाले। सादे पानी में डालने पर अगर वह गुलाल एकदम से मिल जाता है। तो वह ठीक है और अगर गुलाल पानी में डालते ही एकदम से ऊपर उठकर आ जाए और थोड़ा बुलबुले उठे तो समझ जाए दाल में कुछ काला है।
यह भी जानना है जरुरी
प्रगति विज्ञान क्लब के मेंबर दीपक शर्मा ने यह बताए परिणाम
- स्प्रे की शीशी बहुत ही ज्यादा ज्वलनशील होती है, अगर इसे ज्यादा तेज धूप में रख दिया जाए तो यह विस्फोट कर सकती है।
- जहां वायु का आगमन न हो या फिर बंद कमरे में स्प्रे का ज्यादा देर तक यूज करना या स्प्रे को लगाकर ज्यादा देर तक बैठना सांस की बीमारी और दम भी घोट सकता है।
- इनमें 90 प्रतिशत ज्वलनशील पदार्थ मौजूद हैं।
सोच समझकर खेंले होली
होली खेलने के बाद अक्सर त्वचा रोग के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है.क्योंकि आजकल गुलाल तक भी मिलावटी आ रहे हैं।
डॉ। अर्चना जैन, स्किन स्पेशलिस्ट
केमिकल युक्त स्पे्र में काफी सारी ज्वलनशील पदार्थ जो हमें बेहद भयंकर नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे आंखों की पुतली पर गहरा असर, अंधा कर देना, आंतों में सूजन, स्प्रे में सिंथेटिक सामग्री का होना कैंसर, सांस की बीमारी, दम घुटने जैसे भयंकर परिणाम भी दे सकता है।
-डॉ। रजनीश भारद्वाज, होम्योपैथिक
सिर दर्द होना, उल्टी आ जाना, सांस की बीमारी होना, रंगों और केमिकल के प्रयोग से इसी तरह की बीमारी हो जाती है। इसके अलावा त्वचा संबंधित बीमारियां भी हो जाती है। इसलिए होली संभलकर खेलनी चाहिए।
-डॉ। तनुराज सिरोही, फिजिशियन
जांच के बाद सामने आई हकीकत
जांच करने के बाद यह सच सामने आया कि ब्रांड के नाम पर बिकने वाले गुलाल भी सेफ नहीं होते। सभी गुलाल की जांच के बाद पता लगा कि उसमें क्या क्या मिक्स है। इनमें सबसे ज्यादा चंदन और टेसू मिलावटी है।
-दीपक शर्मा, प्रगति विज्ञान क्लब