- वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट योजना को राज्य सरकार देगी अनुदान
- वर्षा जल संचयन को राज्य सरकार लाई नई योजना, कैबिनेट की मंजूरी
LUCKNOW : राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ देने का निर्णय लिया है। मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई। बढ़ा वेतनमान एक जनवरी 2016 से लागू माना जाएगा। इसका फायदा करीब दो हजार से ज्यादा कर्मचारियों को मिलेगा। राज्य सरकार पर इसका वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि इस पर होने वाला अतिरिक्त व्यय प्राधिकरणों को अपने स्रोतों से वहन करना होगा। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कोई सहायता वर्तमान या भविष्य में प्रदान नहीं की जाएगी।
बोर्ड से भी मिली मंजूरीे
राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि उप्र औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 के तहत औद्योगिक अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों का गठन किया गया। ये निगमित निकाय हैं जो अपने आय-व्यय की व्यवस्था खुद करते है। उप्र औद्योगिक विकास प्राधिकरण (केंद्रीयितत) सेवा नियमावली को प्रभावी बनाने को सभी प्राधिकरणों में कार्मिकों को एक समान वेतन दिए जाने के लिए सातवें वेतनमान की संस्तुति अन्य प्राधिकरणों में भी लागू की गयी है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस वे, गीडा, सीडा, लीडा की बोर्ड बैठक द्वारा प्राधिकरण में सातवें वेतन आयोग की संस्तुति को लागू किए जाने पर अनुमोदन दिया जा चुका है।
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अन्य कैबिनेट फैसले
ओडीओपी योजना को मिलेगा अनुदान
राज्य सरकार ने ओडीओपी योजना के लिए अनुदान राशि देने का भी निर्णय लिया है। यह धनराशि मार्जिन मनी के रूप में दी जाएगी। इसके तहत 25 लाख तक की परियोजनाओं को 25 फीसद, 25 से 50 लाख तक की परियोजनाओं को 20 फीसद, 50 से डेढ़ करोड़ तक की परियोजना को 15 फीसद, डेढ़ करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को दस फीसद मार्जिन मनी दी जाएगी जो बीस लाख से अधिक नहीं होगी। दो वर्ष तक सफल संचालन के बाद मार्जिन मनी अनुदान के रूप में समायोजित कर दी जाएगी। इसके अलावा सामान्य वर्ग के लाभार्थियों द्वारा परियोजना की लागत का 10 फीसद व अन्य को पांच फीसद अंशदान के रूप में जमा कराना होगा।
बारिश का पानी बचाने की कवायद
कैबिनेट ने वर्तमान वित्तीय वर्ष से 'वर्षा जल संचयन एवं भूजल संवर्द्धन योजना' शुरू करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में प्राचीन काल से ही वर्षा जल संग्रहण एवं भू-जल संवर्द्धन के सशक्त माध्यम रहे हैं और अभी भी परंपरागत रूप से निर्मित ये तालाब प्रदेश के सभी जनपदों में उपलब्ध है। इनका सिल्टेशन होने से इनकी यह क्षमता कम हो गयी है। इनके पुनर्वास एवं प्रबंधन के लिए नई योजना शुरू की जा रही है। योजना में लघु सिंचाई विभाग द्वारा एक से पांच हेक्टेयर तक के परंपरागत रूप से निर्मित सामुदायिक तालाबों का पुनर्विकास एवं प्रबंधन किया जाएगा। प्रत्येक तालाब पर संरक्षण एवं रखरखाव के लिए पानी पंचायत का गठन भी होगा। इसके विकसित होने पर ग्राम पंचायत को हैंडओवर किया जाएगा।
70 साल तक बन सकेंगे आचार्य
कैबिनेट ने प्रदेश में वरिष्ठ चिकित्सा शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्त आचार्यो को संविदा पर रखने की अनुमति दी है। इसके तहत 70 साल तक की उम्र वाले आचार्यो को दो साल के लिए संविदा पर रखा जाएगा। इसके दायरे में मेडिकल कॉलेज, चिकित्सा यूनिवर्सिटी, सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय भी आएंगे। इन्हें 2,20,000 रुपये पारिश्रमिक दिया जाएगा।
जिला जज होंगे मुखिया
कैबिनेट ने भूमि अर्जन, पुनर्वासन, और पुनर्व्यस्थापन प्राधिकरण के पीठासीन अधिकारियों के रूप में यूपी उच्चतर न्यायिक सेवा के सुपर टाइम स्केल पद के जिला जज को नियुक्त करने का निर्णय लिया है।
अर्हता में संशोधन
कैबिनेट ने अनानुदानित, स्ववित्तपोषित, अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यो की अर्हता में संशोधन किया है। इसके लिए 55 फीसद अंकों के साथ पीजी, पीएचडी और 15 साल का अनुभव होना चाहिए।
बागपत में बनेगा केंद्रीय विद्यालय
कैबिनेट ने बागपत में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए बड़ौत तहसील के औरंगाबाद जटौली गांव में भूमि भारत सरकार के पक्ष में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है।
उच्च विशिष्टियों को मंजूरी
कैबिनेट ने गोरखपुर में निर्माणाधीन फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में उच्च विशिष्टियों के प्रयोग की मंजूरी दी है।
कंसल्टेंट होंगे नियुक्त
प्रदेश में विभागीय कार्यो के लिए सीनियर, मिड व जूनियर लेवल के कंसल्टेंट की सेवाएं अनुबंध के आधार पर लेने की मंजूरी प्रदान कर दी है।
मानसून सत्र का सत्रावसान
कैबिनेट ने विधानमंडल के मानसून सत्र का सत्रावसान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।