इंडस्ट्री का दर्जा देकर कॉमर्शियल हाउस टैक्स का बोझ भी डाला
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ALLAHABAD: कॉमर्शियल हाउस टैक्स नियमावली में संशोधन कर केवल छोटे व्यापारियों को राहत दिए जाने और बड़े व्यापारियों, होटल-रेस्टोरेंट, मॉल व शो-रूम मालिकों को कोई राहत न मिलने पर करीब तीन वर्ष बाद एक बार फिर कॉमर्शियल हाउस टैक्स का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। जिसको लेकर व्यापारियों में जहां आक्रोश है, वहीं कई व्यापारी डरे हुए भी हैं। उनका कहना है कि अगर टैक्स के बोझ से राहत नहीं मिली तो उन्हें अपना व्यापार बंद करना पड़ सकता है।

एक लाख पार पहुंच गया हाउस टैक्स
करीब तीन वर्ष पहले नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा शहर के करीब 20 हजार कॉमर्शियल भवनों को कॉमर्शियल हाउस टैक्स के दायरे में लाते हुए उन पर आवासीय हाउस टैक्स का पांच से दस गुणा कॉमर्शियल हाउस टैक्स लगाया गया था। साथ ही एरियर का भी बोझ डाला गया था। जिसकी वजह से जिस व्यापारी का हाउस टैक्स दस हजार रुपये आता था, वह एक झटके में एक लाख रुपये के पार हो गया। कई व्यापारियों का हाउस टैक्स तो पांच से सात लाख तक पहुंच गया। जिसको लेकर व्यापारियों ने आंदोलन किया।

सरकार किनारे हुई तो पहुंची नोटिस
कॉमर्शियल हाउस टैक्स नियमावली में संशोधन के लिए प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन नगर विकास मंत्रालय फिलहाल नियमावली में बड़े कॉमर्शियल भवनों को कोई राहत देने के मूड में नहीं हैं। वहीं सरकार की मंशा को देखते हुए नगर निगम के टैक्स डिपार्टमेंट ने भी व्यापारियों पर शिकंजा कसना तेज कर दिया है। बड़े बकाएदारों की लिस्ट जारी कर नोटिस भेजी जा रही है।

व्यापारियों में है जबर्दस्त आक्रोश
होटल को इंडस्ट्री उद्योग का दर्जा दिया जा चुका है। जिसके तहत होटल रेस्टोरेंट को अधिकतम तीन गुना कॉमर्शियल हाउस टैक्स श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग की गई थी। लेकिन हमारी मांगों को अनसुना किया जा रहा है। टैक्स पेयर को डिफाल्टर बताते हुए नोटिस भेजा जा रहा है। अगर यही चलता रहा तो हम चुप बैठने वाले नहीं हैं।

सरदार जोगेंदर सिंह

अध्यक्ष

होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन

छोटे व्यापारियों को बाहर कर बड़े व्यापारियों पर ही कॉमर्शियल हाउस टैक्स का पूरा बोझ डाल दिया गया है, जो पूरी तरह से गलत है। पांच गुना कॉमर्शियल हाउस टैक्स बढ़ाने से व्यापारियों की उत्पादकता नहीं बढ़ पा रही है। वे टैक्स की भरपाई नहीं कर पा रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर व्यापारी पहले नगर निगम की मेयर और फिर नगर विकास मंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन देंगे।

शिवशंकर सिंह

व्यापारी, सिविल लाइंस

नगर विकास मंत्री कहते हैं कि दस बाई 12 के कमरे में दुकान चलाने वाले छोटे दुकानदार पर आवासीय हाउस टैक्स का दुगुना लगाया जाएगा। अन्य व्यापारियों को टैक्स में कोई राहत नहीं दी जाएगी। पूर्व मेयर केपी श्रीवास्तव के कार्यकाल में ही आवासीय भवन के एक कमरे में दुकान को कॉमर्शियल टैक्स के दायरे से बाहर रखने का निर्णय लिया गया था। फिर टैक्स नियमावली में बदलाव क्या हुआ।

शिवसेवक सिंह

पूर्व पार्षद, नगर निगम

टैक्स का बोझ डालने से पहले नगर निगम ये बताए कि व्यापारियों के लिए सुविधाएं क्या बढ़ाई गई हैं। जब सभी को सुविधाएं समान मिल रही हैं तो एक व्यापारी पर पांच से दस गुना कॉमर्शियल हाउस टैक्स क्यों? इस मुद्दे को लेकर पहले भी आवाज उठाई जा चुकी है। आंदोलन किया जा चुका है। एक बार फिर आवाज बुलंद की जाएगी।

विजय अरोरा

अध्यक्ष, प्रयाग व्यापार मंडल

व्यापारियों का आरोप

बिल्डिंग के जिस एरिया में बिजनेस नहीं होता है, नगर निगम द्वारा उस पर भी कॉमर्शियल टैक्स लगाया गया है

इनकम से अधिक टैक्स का बोझ व्यापारियों पर लाद दिया गया है।

पांच से दस गुना तक हाउस टैक्स बढ़ाया तो सुविधाएं क्या बढ़ाई

बड़ी बिल्डिंग का मतलब ये नहीं कि व्यापारी करोड़ों की कमाई ही कर रहा हो बिल्डिंग की उत्पादकता और व्यापारी की इनकम के हिसाब से लगना चाहिए टैक्स