बिना नोटिस जारी किए हो जाता है बसों का अनुबंध
नियमानुसार, अगर रोडवेज विभाग में बसों का अनुबंध किया जाता है तो उसके लिए टेंडर नोटिस जारी किया जाता है। तब जाकर कांट्रेक्टर या फिर बस मालिक टेंडर फार्म भरता है। टेंडर फार्म भरे जाने के बाद एक निर्धारित डेट पर अनुबंध करने वाली कमेटी टेंडर खोलती है लेकिन यूपीएसआरटीसी गोरखपुर रीजनल ऑफिस में ऐसा नहीं होता है। टेंडर फार्म उसी को दिया जाता है जिसे दलाल लाते हंै। वह दलाल कोई और नहीं बल्कि रोडवेज के कर्मचारी या फिर बस मालिक होते हैं।

गोरखपुर रीजन में कुल 209 अनुबंधित बसें हैं
यूपीएसआरटीसी गोरखपुर रीजन में अनुबंधित बसों की कुल 209 बसें हैं जो गोरखपुर के अंतर्गत आने वाले डिपो से संचालित होती हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इन बसों के अनुबंध में टेंडर के साथ खेल किया गया था या नहीं, यह जांच का विषय है।

दो महीने से लगा रहा हूं आरएम ऑफिस का चक्कर
सिटी के रामजानकी नगर के रहने वाले एक शख्स ने नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बताया कि मैं पिछले दो महीने से टेंडर फार्म के लिए आरएम ऑफिस का चक्कर लगा रहा हूं लेकिन अभी तक टेंडर फार्म नहीं दिया गया जबकि मेरे बाद में आए कई दलालों को 10 जून की डेट में टेंडर फार्म देकर उनके बसों को अनुबंधित कर दिया गया।

स्टिंग ऑपरेशन में हुआ खुलासा
बसों के अनुबंध में रिश्वत के खेल के बारे में आई नेक्स्ट एक जागरूक रीडर ने जानकारी दी। उसने बताया कि कन्हैया नाम का एक व्यक्ति खुलेआम बसों को अनुबंध करवाने के लिए रिश्वत मांगता है। उसने कई बसों का अनुबंध करवाया भी है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पहले कन्हैया(बसों को अनुबंधित करवाने वाला दलाल) से उसके मोबाइल पर बात की। इसके बाद उससे मिला। कन्हैया के इस स्टिंग ऑपरेशन में उसने कबूला कि यूपीएसआरटीसी के अधिकारी भी इस पूरे खेल में जुड़े हुए है और वे भी रिश्वत का चढ़ावा कबूल करते है। पेश है रिपोर्टर और कन्हैया की बातचीत के कुछ अंश-

रिपोर्टर- कन्हैया जी से बात हो रही है?  
दलाल - जी, हां।
रिपोर्टर - भाई साहब रोडवेज में अनुबंधित बस लगवानी है, क्या प्रॉसेस है?
दलाल- गोरखपुर में कहां रहते हैं आप?
रिपोर्टर - सर्वोदय नगर कालोनी में।
दलाल- यह कॉलोनी रूस्तमपुर की तरफ है क्या?
रिपोर्टर- नहीं, असुरन रोड पर है।
दलाल- मेरा नंबर आपको कहां से मिला?
रिपोर्टर - बस स्टेशन पर एक परिचित ने दिया था।
दलाल- अच्छा, अगर आपको कोई गाड़ी लेने के लिए कहे तो आप गाड़ी मत लेना।
रिपोर्टर- क्यों?
दलाल- क्योंकि बस चलवाने में फायदा नहीं है। लेकिन आप बस चलवाना चाहते हैं तो आप मुझसे मिलिएगा।
रिपोर्टर- ठीक  है। आप क्या करते हैं?
दलाल - वैसे तो मैं राप्तीनगर डिपो में कंडक्टर हूं और मेरे पास खुद की 8-9 अनुबंधित बसें हैं, कभी-कभी तो मैं अपनी ही बस पर ड्यूटी कर लेता हूं।
रिपोर्टर- लेकिन मेरी बस कैसे लगेगी?
दलाल- लग जाएगी लेकिन आप एक बात ध्यान रखिएगा, कोई आपको छोटी गाड़ी लेने के लिए राय दे तो आप उसे मत लीजिएगा, बड़ी गाड़ी ही लीजिएगा।
रिपोर्टर- क्यों?
दलाल- क्योंकि बड़ी बस में प्रति किलोमीटर 18 रुपए के रेट से पेमेंट होगा। एवरेज भी अच्छा मिलेगा।
रिपोर्टर- ठीक है।
दलाल - वैसे आप बस में कितना पैसा इंवेस्ट करना चाहते हैं?
रिपोर्टर- मैं 15-20 लाख रुपए इंवेस्ट कर दूंगा।
दलाल - अगर आप मिलिए तो मैं आपको और डिटेल्स देता हूं।
रिपोर्टर- ठीक है आपसे मैं जरूर मिलूंगा। लेकिन बस लगवा देंगे ना?
दलाल- हां, आपकी बस लग जाएगी।
रिपोर्टर- डाक्यूमेंट्स में क्या- क्या लगेगा?
दलाल- डाक्यूमेट्स की चिंता मत कीजिए। वह सब कुछ हो जाएगा। आज की डेट में आरएम ऑफिस से बस लगवाने पर हर बस पर 80,000 रुपए लिए जाते हैं। इसमें 15,000 रुपए तो डोनेशन फीस है, बाकी के रुपए सेटिंग के लिए।
रिपोर्टर- यह सब कौन लेता है?
दलाल- सुधीर, आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। आप बहुत सही जगह फोन किए हैं। अगर बस लगवाना है तो मैं आपकी बस लखनऊ हेडक्वार्टर से ही लगवा दूंगा।
रिपोर्टर - वैसे टेंडर फार्म के लिए क्या प्रक्रिया है?
दलाल- देखिए सबके आका लखनऊ में बैठे हुए हैं इसलिए यहां से कुछ भी नहीं होने वाला।
रिपोर्टर -तो फिर ठीक है।
दलाल- आपको किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है। आपका सारा काम लखनऊ से ही हो जाएगा, वहीं से बस का संचालन भी हो जाएगा। यह बात किसी को मालूम नहीं होनी चाहिए।
रिपोर्टर - जी, हां।
दलाल - देखिए अगर आप सुधीर श्रीवास्तव के पास जाएंगे तो आपसे वह एक बस के अनुबंध के लिए 40-50,000 हजार रुपए ले लेंगे।
रिपोर्टर- इतने रुपए क्यों लेंगे?
दलाल- अरे, बसों का अनुबंध करने वाली कमेटी मेंबर्स को वे सारे रुपए बांटते हैं।
रिपोर्टर- अनुबंध करने वाली कमेटी में कौन-कौन होता है?
दलाल- एलओ, आरएम, एसएम आदि लोग शामिल होते हैं। बाकी बात मिलकर करेंगे।


अगर इस तरह से कोई भी अनुबंधित बस लगवाने के लिए रुपए मांग रहा है या फिर दावे कर रहा है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार से संबंधित कोई भी मामला होगा तो उस शख्स को बख्शा नहीं जाएगा।
डीवी सिंह, जीएम, अनुबंधित बस, यूपीएसआरटीसी, लखनऊ

कन्हैया एक दलाल है। यह पहले सविंदा पर कंडक्टर था। इसकी इसी दलाली के कारण इसे निकाल दिया गया था। इसने मुझसे एक बस लगवाने के लिए कहा था मैंने नहीं किया, इसलिए यह आरोप लगा रहा है.
सुधीर श्रीवास्तव, सीनियर क्लर्क, बस अनुबंधित शाखा, आरएम ऑफिस, गोरखपुर

 

report by : amarendra.pandey@inext.co.in