- सपा सरकार के साइकिल ट्रैक में हुए भ्रष्टाचार की कमिश्नर ने खोली पोल

- शासन को पत्र लिखकर सभी जनपदों में जांच की सिफारिश की

आई एक्सक्लूसिव

मेरठ: एमडीए के 3 इंजीनियरों की गिरफ्तारी के बाद कमिश्नर ने सरकार को 3 पत्र लिखे। कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार ने अपने पत्र में सरकार से सूबे के सभी जनपदों में बने साइकिल ट्रैक में वायर (तार) की खरीदारी में घोटाले की आशंका जताते हुए जांच की सिफारिश की है।

भ्रष्टाचार का ट्रैक

साइकिल ट्रैक योजना में लाइन शिफ्टिंग के लिए बिजली के तार की खरीद में घोटाले का पर्दाफाश करने के बाद कमिश्नर ने निर्माण और ऐसेसरीज पर जांच बैठा दी है। भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए एमडीए को लाइट्स की खरीद, मेटेरियल आदि के रेट्स की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं सूत्रों ने यह भी बताया कि कमिश्नर ने साइकिल ट्रैक स्कीम की सभी फाइलों को अपने कब्जे में ले लिया है।

जीडीए पर भी शिकंजा

एमडीए के भ्रष्ट अफसरों ने मार्केट रेट्स से दोगुना से अधिक दामों पर तार की खरीदारी की। वहीं कमिश्नर के आदेश पर जवाब में स्पष्ट किया कि ये रेट्स उन्होंने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के 2008 के एक टेंडर से कॉपी किए हैं। साफ है कि ऐसी स्थिति में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आरोपों के जद में घिर गया है। दूसरा लेटर कमिश्नर ने जीडीए को घेरे में लेते हुए सरकार को लिखा है जिसमें तार खरीद के टेंडर के रेट्स की जांच के लिए कहा है। बड़े पैमाने पर हेराफेरी की आशंका पर कमिश्नर ने अपने स्तर पर जांच के आदेश डीएम गाजियाबाद को दिए हैं।

भ्रष्टाचारियों की हो गिरफ्तारी

कमिश्नर ने तीसरा पत्र भ्रष्टाचारियों की गिरफ्तारी के लिए सरकार को लिखा है। तत्कालीन प्राधिकरण उपाध्यक्ष, सचिव समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ 1.85 करोड़ के इस घोटाले में थाना सिविल लाइन्स पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

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साइकिल ट्रैक में वायर घोटाले के खुलासे के बाद सरकार को सभी जनपदों में परियोजना के तहत वायरिंग के टेंडर की जांच के लिए लिखा गया है। एमडीए के गिरफ्तार 3 आरोपी इंजीनियरों के अलावा अन्य की गिरफ्तारी के लिए शासन को लिखा गया है।

-डॉ। प्रभात कुमार, एसएसपी, मेरठ

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इनसेट

फोटो- जागरण 202 और 203

आरोपी इंजीनियर जेल भेज गए

मेरठ। गिरफ्तारी के बाद शनिवार को अपराह्न 4 बजे एमडीए के अधीक्षण अभियंता एपी सिंह, सहायक अभियंता एनएन मिश्रा और जेई रविंद्र सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच थाना सिविल लाइन्स पुलिस ने जिला अस्पताल में मेडिकल कराने के बाद एसीजेएम 8 की कोर्ट में पेश किया। यहां कोर्ट ने तीनों आरोपी इंजीनियरों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।