एआईजी को दिए थे फर्जी अभिलेखों के आधार पर कराई गई रजिस्ट्री को रद करने के आदेश

Meerut। फर्जी दस्तावेजों और छल कपट से कराई गई रजिस्ट्री को रद करने का अधिकारी सहायक महानिरीक्षक निंबधन (एआईजी स्टांप) को नहीं है। यह सिविल कोर्ट के फैसले के ही अधीन होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आर्डर (4 दिसंबर 2017) की जानकारी के बाद कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार ने अपने पूर्व आदेश को वापस ले लिया है। साथ ही निर्देश दिए कि वे हाईकोर्ट के फैसले के अनुपालन में ही शिकायतों का निस्तारण करें।

ये था आदेश

बता दें कि गुरुवार को कमिश्नर ने मंडल के सभी जिलाधिकारियों को एक आर्डर जारी कर निर्देश दिए थे कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कराई गई रजिस्ट्री को एआईजी स्टांप द्वारा रद किया जाए। आर्डर के साथ कमिश्नर ने यूपी सरकार का 13 अगस्त 2013 के एक शासनादेश का हवाला दिया था, जिसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक आर्डर को एआईजी स्टांप को ऐसी पॉवर देने का जिक्र है।

13 अगस्त 2013 के शासनादेश की बिना पर सभी जनपदों के डीएम को आदेश जारी किए गए थे। हालांकि इस संबंध में 4 दिसंबर 2017 को हाईकोर्ट के आदेश में पूर्व में जारी शासनादेश को खारिज कर दिया। ऐसी स्थिति सभी जनपद मुख्यालयों को हाईकोर्ट का आदेश मानने के लिए कहा गया है।

डॉ। प्रभात कुमार, कमिश्नर, मेरठ मंडल