बुधवार को बकिंघम पैलेस में हुए कार्यक्रम में रिले की शुरुआत हुई.

इस बैटन में पूरे राष्ट्रमंडल के लिए ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ का हाथ से लिखा संदेश है. अगले 288 दिनों तक ये बैटन राष्ट्रमंडल के 70 देशों में घूमेगी.

गुरुवार को ये बैटन स्कॉटलैंड जाएगी और उसके बाद भारत के लिए रवाना होगी.

इस बैटन का सफ़र 23 जुलाई 2014 को ग्लासगो में राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में ख़त्म होगा, जहां महारानी एलिज़ाबेथ संदेश पढ़ेंगी.

कॉमनवेल्थ खेल: क्वींस बैटन रिले शुरू

खाली बैटन को साइकलिस्ट सर क्रिस हॉय बकिंघम पैलेस लेकर पहुंचे थे, क्रिस हॉय छह बार के ओलंपिक गोल्ड विजेता हैं और उन्होंने दो बार कॉमनवेल्थ खेलों में भी गोल्ड मेडल जीता है.

बैटन रिले शुरू करने के कार्यक्रम में कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के अध्यक्ष, मलेशिया के राजकुमार इमरान, ने कहा कि इस रिले में ताकत है और इसके मायने हैं.

'दोस्ती की भावना'

राजकुमार इमरान ने कहा, "ये रिले कॉमनवेल्थ के दो अरब नागरिकों को खेल, विभिन्नता और शांति के उत्सव के लिए एकजुट करती है. ये कॉमनवेल्थ के 70 देशों और क्षेत्रों के लोगों को भी साथ लाएगी."

"ये रिले कॉमनवेल्थ के दो अरब नागरिकों को खेल, विभिन्नता और शांति के उत्सव के लिए एकजुट करती है. ये कॉमनवेल्थ के 70 देशों और क्षेत्रों के लोगों को भी साथ लाएगी."

-राजकुमार इमरान, अध्यक्ष, कॉमनवेल्थ गेम्स फ़ेडरेशन

केविन के लॉर्ड स्मिथ ने कहा, "जब ये बैटन एक हाथ से दूसरे हाथ में पहुंचेगी तब जो दोस्ती की भावना दिखाई देगी वो उस स्वागत को दिखाती है जिसकी कॉमनवेल्थ के देशों और क्षेत्रों को अगली गर्मियों में स्कॉटलैंड और ग्लासगो आने पर उम्मीद करनी चाहिए."

इन भाषणों के बाद महारानी एलिज़ाबेथ ने बैटन के अंदर अपने हाथ से लिखा संदेश रखा.

इसके बाद इसे 1 लाख 90 हज़ार किलोमीटर की यात्रा के लिए सील कर दिया गया. बैटन का सफ़र एशिया, ओसिएनिया, अफ़्रीका, उत्तर और दक्षिण अमरीका और कैरिबियन में होगा.

बैटन को सबसे पहले ऐलन वेल्स ने उठाया, वेल्स स्कॉटलैंड के एथलीट हैं जिन्होंने 1980 के मॉस्को ओलंपिक में 100 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीता था.

अपने अंतरराष्ट्रीय सफ़र में बैटन हर देश में औसतन एक से चार दिन बिताएगी, वेल्स में बैटन सात दिन रहेगी, इंग्लैंड में दो हफ़्ते और स्कॉटलैंड में 40 दिन.

हालांकि बैटन गांबिया में नहीं रुकेगी, गांबिया ने पिछले हफ़्ते कॉमनवेल्थ ये कहते हुए छोड़ दिया था कि वो "कभी किसी नव-औपनिवेशिक संस्था का सदस्य नहीं बनेगा."

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