निगम की अनदेखी से कूडे़दान बने कंपोस्टिग प्लांट

300 से अधिक स्थानों पर शहर में तैयार किए गए थे प्लांट

प्लांट पर लगे कूडे़ के ढेर, बाहर आ रहे केंचुए

Meerut। जनपद की सफाई सिर्फ स्वच्छता सर्वेक्षण तक सीमित ना रहे बल्कि स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद भी शहर से कूडे़ की समस्या दूर हो जाए इसके लिए निगम द्वारा शहर में 300 से अधिक संस्थागत कंपोस्टिंग यूनिट और 3 हजार से अधिक व्यक्तिगत कंपोस्टिंग यूनिट की योजना तैयार की गई थी। योजना के तहत दो माह पहले काम भी शुरु हुआ लेकिन निगम की लापरवाही और संस्थानों की अनदेखी के चलते अधिकतर कंपोस्टिंग यूनिट कूडे़ का ढेर बन चुकी है।

योजना तक सीमित कंपोस्िटग यूनिट

अभियान के तहत शहर में 300 के करीब जगहों पर कंपोस्टिंग यूनिट बनाने का लक्ष्य रखा गया था। जिसमें शहर के स्कूल कॉलेज, संस्थानों, आरडब्लूए, होटल, अस्पताल व कार्यालयों समेत विवि और जेल परिसर भी शामिल हैं। योजना के तहत जेल और विवि परिसर को जीरो वेस्ट कैंपस भी घोषित कर दिया गया है। इससे अलग 3 हजार व्यक्तिगत कम्पोस्टिंग यूनिट लगाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया था जिसकी गिनती खुद निगम के पास नही है।

दो माह बाद भी नही बनी खाद

कंपोस्टिंग यूनिट में केंचुओं की मदद से कूडे़ को कंपोस्ट कर खाद बनाने के लिए दो से तीन माह के समय के लिए गड्ढे में दबा दिया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में कंपोस्टिंग यूनिट पर खाद बनने के बजाए कूडे़ का ढेर बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि कूड़ा यूनिट के गड्ढे में दबाने के बजाए आसपास ढेर लगाया जा रहा है। इस कूडे़ से खाद बनना तो दूर केंचुए तक गड्ढे से बाहर आकर मर रहे हैं और यूनिट के अंदर बाहर कूड़ा सड़ रहा है।

कंपोस्टिंग यूनिट की देखभाल का जिम्मा परिसर प्रभारी का है निगम द्वारा कर्मचारी भी यूनिट की निरीक्षण कर रहे हैं। जहां कमी हुई है वहां सुधार कराया जाएगा।

गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी