बीसीसीआई ने कई शर्तों के साथ सहारा की माँगें मान ली हैं जिसके बाद अब सहारा फिर से भारतीय टीम का प्रायोजक होगा और उसकी पुणे वॉरियर्स टीम आईपीएल में बरक़रार रहेगी।

सहारा ने चार फ़रवरी को एक बयान जारी करके भारतीय क्रिकेट टीम के प्रायोजन से हाथ खींच लिया था और आईपीएल की पुणे टीम से भी हटने की घोषणा की थी। इसके बाद 12 दिन तक चली चर्चाओं का गुरुवार को सकारात्मक नतीजा सामने आया।

दोनों की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि गहन चर्चा के बाद बीसीसीआई ने सहारा के अनुरोध पर ध्यान दिया और कई बातों पर सहमति जताई है।

सहारा को सबसे बड़ी शिकायत इस बात को लेकर थी कि युवराज सिंह के बीमार होने की वजह से उसके पास एक प्रमुख खिलाड़ी की कमी हो गई थी जिसे देखते हुए बीसीसीआई अब सहारा को पाँच विदेशी खिलाड़ियों को शामिल करने की संभावना तलाश करने की अनुमति दे रहा है।

अनुमति

बयान के अनुसार, "बीसीसीआई की पिछले दिनों हुई कार्यसमिति की बैठक में अंतिम 11 में पाँच विदेशी खिलाड़ियों की माँग ख़ारिज कर दी गई थी मगर इस असाधारण स्थिति को देखते हुए सहारा ने सभी टीमों से इस बारे में इजाज़त लेने का प्रस्ताव रखा है."

बयान के अनुसार अब आईपीएल का ट्रेडिंग विंडो यानी वो समय जिस दौरान दो टीमें आपस में खिलाड़ियों की अदला-बदली कर सकती हैं उसे बढ़ा दिया गया था। पहले 17 फ़रवरी को इसकी सीमा थी मगर अब ये अदला-बदली 29 फ़रवरी तक हो सकती है।

इस तरह सहारा की पुणे वॉरियर्स को अपनी टीम और मज़बूत करने का मौक़ा मिलेगा। सहारा ने ये भी माँग की थी कि एक प्ले ऑफ़ मैच यानी वे मैच जिनमें शीर्ष चार टीमें खेलेंगी वो बंगलौर की जगह पुणे में कराया जाए।

इस पर बीसीसीआई ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है, "प्ले ऑफ़ मैच आयोजित करने का अधिकार उन शहरों को होता है जिनकी टीमें पिछली बार फ़ाइनल में पहुँची थीं। इस स्थिति में ये अधिकार रॉयल चैलेंजर्स बंगलौर के पास है। ऐसे में अगर रॉयल चैलेंजर्स बंगलौर को आपत्ति नहीं होती है तो बीसीसीआई इससे सहमत होगा." साझा बयान के अंत में कहा गया है, "सहारा इस बात की पुष्टि करता है कि वह भारतीय टीम का प्रायोजन जारी रखेगा."

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