- इसरो के प्रोफेसर राजन ने पूछा, हमारे देश में दो प्रतिशत ही आईआईटीएन क्यों

- उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ दीक्षांत समारोह

<- इसरो के प्रोफेसर राजन ने पूछा, हमारे देश में दो प्रतिशत ही आईआईटीएन क्यों

- उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ दीक्षांत समारोह

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय का नवम दीक्षान्त समारोह शनिवार को फाफामऊ में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर में आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि ओपन यूनिवर्सिटी में शिक्षण कार्य एक राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने शैक्षिक गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को शिक्षा भविष्य को देखकर देनी होगी। जहां अज्ञान का अंधेरा है वहां विद्या का उजियारा फैलाने की जरूरत है। राज्यपाल ने एक बार फिर हिन्दी पर जोर देते हुए बच्चों को मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की वकालत की।

स्पर्धा बाहर से भी और खुद से भी

राज्यपाल ने स्टूडेंट्स से कहा कि वर्तमान की जरूरत नौकरी के साथ व्यवसाय करने की भी है। आपकी स्पर्धा बाहर से तो है ही, साथ ही अपने साथ भी है। राज्यपाल ने स्टूडेंट्स को हमेशा मुस्कुराते रहने, दूसरे को प्रोत्साहित करने, किसी की अवमानना न करने और हमेशा अपने काम में सुधार करते रहने की सीख दी।

शिक्षा में क्रांतिकारी सुधार की जरूरत

दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) बैंगलूर के मानद विशिष्ट प्रोफेसर पद्मश्री वाईएस राजन ने दीक्षान्त भाषण देते हुए कहा कि सबको शिक्षा सुलभ कराने के लिए भारतीय शिक्षा पद्धति में क्रांतिकारी सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कौशल परक शिक्षा के प्रचार प्रसार पर बल दिया। कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद का पहले महत्वपूर्ण स्थान था, बदलते परिवेश में आज शिक्षा के ऊपर इन संस्थाओं के नियंत्रण पर विचार करने की आवश्यकता है।

राजन ने दिया राज्यपाल को सुझाव

प्रो। राजन ने जोर देते हुए कहा कि सभी भारतीयों के लिए उपयोगी एवं गुणवत्तापरक शिक्षा का आन्दोलन चलाया जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश के राज्यपाल के सामने सुझाव रखा कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों, उद्योग जगत, प्रयोगशालाओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, स्वयं सेवी संस्थाओं, कार्यरत तथा अवकाश प्राप्त गुणी विद्वानों के सहयोग से ऐसी संरचना की जाए। जिससे सभी के लिए उपयोगी शिक्षा सुलभ हो सके। प्रो। राजन ने लाइफ लांग स्टडी पर जोर दिया। कहा कि हमारे देश में आईआईटीएन की संख्या दो प्रतिशत ही है, जिसका दुनिया में एक से दो प्रतिशत ही योगदान है। उन्होंने इसे बड़ी समस्या बताया।

कुलाधिपति स्वर्ण पाने वाले बृजभान का सपना देश सेवा

समारोह में राज्यपाल ने कुलाधिपति स्वर्ण पदक आजमगढ़ के बृजभान यादव को दिया। बृजभान ने एमएससी जैव रसायन की परीक्षा दिसम्बर ख्0क्फ् व जून ख्0क्ब् में प्रथम प्रयास में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की तथा समस्त विद्या शाखाओं की स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षाओं में उत्तीर्ण समस्त शिक्षार्थियों में सर्वाधिक 8ख्.08 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। बृजभान ने बताया कि वे आईएएस के सभी अटेंम्प्ट दे चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने आठ बार पीसीएस का एग्जाम भी दिया। जिसमें वे दो बार इंटरव्यू तक भी पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य देश सेवा है।

इन्हें भी मिले पदक

इसी प्रकार स्नातकोत्तर वर्ग में विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक मानविकी विद्या शाखा से यादवेन्द्र सरोज, समाज विज्ञान विद्या शाखा से बेचन चौहान, प्रबन्धन अध्ययन विद्या शाखा से विनीत कुमार, कम्प्यूटर एवं सूचना विज्ञान विद्या शाखा से सीमा कश्यप, शिक्षा विद्या शाखा से साधना पांडेय तथा विज्ञान विद्याशाखा से बृजभान यादव को दिया गया। स्नातक वर्ग में विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक मानविकी विद्या शाखा से अनामिका यादव, समाज विज्ञान विद्या शाखा से कीर्ति गुप्ता, प्रबन्धन अध्ययन विद्या शाखा से मु। वसीम सिद्दीकी, कम्प्यूटर एवं सूचना विज्ञान विद्या शाखा से भावना शर्मा, शिक्षा विद्या शाखा से अंगद कुमार यादव तथा विज्ञान विद्या शाखा से नेहा वर्मा को प्रदान किया गया।

दानदाता स्वर्ण पदक भी दिए गए

इसके अलावा दानदाता स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए। इससे पहले समारोह का शुभारंभ राज्यपाल राम नाईक, मुख्य अतिथि पद्मश्री वाईएस राजन एवं कुलपति प्रो। एमपी दुबे ने दीप प्रज्जवलित करके किया। समारोह में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के कुलपति प्रो। पृथ्वीश नाग, वीर बहादुर सिंह पूवरंचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के कुलपति प्रो। पीयूष रंजन अग्रवाल, बुन्देलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के कुलपति प्रो। अविनाश चन्द्र पांडेय, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री प्रो। नरेन्द्र कुमार सिंह गौर आदि भी मौजूद रहे।