i reality check
- बीआरडी में सबसे अधिक मौतें एईएस यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से
- अशुद्ध पानी पीने से होती है यह बीमारी लेकिन नहीं है शुद्ध पानी का इंतजाम
- शहर में 3975 इंडिया मार्क हैंडपंप में 1200 हैं खराब
GORAKHPUR: मासूमों की मौत के बाद इस समय पूरे देश के निशाने पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था है। रोज नए नए तथ्य आ रहे हैं। कोई इसके लिए अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार मान रहा है तो कोई सरकार को। लेकिन अभी तक इस समस्या की जड़ पर कोई चर्चा नहीं कर रहा है। सरकारी महकमा का दावा है कि गंदा पानी पीने से बीमारी हो रही है। जागरुकता से ही इसका बचाव संभव है। गंदे पानी के सेवन से बचाव के लिए सरकार ने 3975 इंडियन मार्क हैंडपंप लगाया है। इन सब दावों की जांच जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गुरुवार को की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ग्राउंड रिपोर्ट में सभी दावे फेल साबित हुए। तमाम चौक-चौराहों पर हैंडपंप खराब मिले, जिनसे पानी आ रहा था वह गंदा था। खुद जलकल विभाग के आंकड़े के अनुसार सिटी में 3975 इंडिया मार्क हैंडपंप में से 1200 अभी खराब हैं।
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अलहदादपुर
12:30 बजे
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम शहर के व्यस्त मोहल्ले अलहदादपुर में पहुंची। मेन रोड के किनारे एक इंडिया मार्क हैंडपंप नजर आया। यह हैंडपंप चार साल से खराब है। हैंडपंप खराब होने के कारण लोग अपने स्तर से पेयजल की व्यवस्था करते हैं जो कभी शुद्ध होता है तो कभी अशुद्ध।
कॉलिंग
पार्षद से हैंडपंप बनवाने के लिए कई बार कहा गया लेकिन आज तक नहीं ठीक कराया गया।
- बृजेश सैनी, अलहदादपुर
अशुद्ध पानी पीने से बीमारी होती है लेकिन जब सरकार शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं करेगी तो लोग भला क्या कर सकते हैं?
आनंद कुमार, अलहदादपुर
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जगन्नाथपुर
12.40 बजे
जगन्नाथपुर मोहल्ले में नाले के पास ही इंडिया मार्क हैंडपंप दिखा। यह भी खराब था। अगल-बगल के लोगों ने बताया कि पांच साल से यह इसी हालत में है। वहीं दस कदम दूरी पर एक और हैंडपंप है जिससे गंदा पानी आ रहा था।
कॉलिंग
पांच साल पहले हैंडपंप लगा और कुछ दिनों बाद ही खराब हो गया। तब से आज तक नहीं बनाया गया।
- अनिल सिंह, जगन्नाथपुर
एक हैंडपंप खराब है तो दूसरे से दूषित पानी आता है। घर वाले तो आरओ का पानी मंगा लेते हैं लेकिन राहगीरों को यही पानी पीना पड़ता है।
- विशाल मिश्रा, जगन्नाथपुर
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मेवातीपुर
जगन्नाथपुर से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम मेवातीपुर मोहल्ले में पहुंची। यहां भी लगा हैंडपंप खराब मिला। ऊपरी हिस्सा ही गायब है। लोगों ने बताया कि किससे कहें, कोई जिम्मेदार इधर कभी आया नहीं। पार्षद को पता है तो वह ठीक कराते नहीं हैं।
कॉलिंग
तीन साल हो गए यहां हैंडपंप के पास ठेला लगाते हुए। हमेशा खराब ही देखा है। कई बार शिकायत भी की लेकिन हालत नहीं बदली।
- तमजीत, मेवातीपुर
यहां इंडिया मार्क हैंडपंप खराब है। पास में किराए पर रहने वाली पड़ोसी की बेटी को इंसेफेलाइटिस हो गया तो वह दूसरी जगह चली गई लेकिन यह हैंडपंप नहीं ठीक कराया गया।
- किसमती देवी, मेवातीपुर
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1.30 बजे
शाहमारूफ
शाहमारूफ में भी इंडिया मार्क हैंडपंप है। इससे पानी तो आता है लेकिन गंदा आता है। आस-पास में कोई और हैंडपंप नहीं होने के कारण लोग इस हैंडपंप का दूषित पानी पीने के लिए विवश हैं। इस संबंध में यहां के लोगों ने शिकायत की लेकिन हैंडपंप ठीक नहीं हुआ।
कॉलिंग
यहां दस साल से मेरी दुकान है। पांच साल से इंडिया मार्क हैंड पंप लगातार खराब होता है, बनता है। गंदा पानी आता है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
मोहम्मद अजमल, शहमारूफ
इंडिया मार्क हैंडपंप से पीला पानी आ रहा है। हम लोग तो कहीं से पानी की व्यवस्था कर लेते हैं लेकिन राहगीरों को यही पानी मिलता है। नगर निगम, जल निगम सबको पत्र दिया लेकिन कोई असर नहीं है।
फैय्याज अहमद, शहमारूफ
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पानी की जांच का भी नहीं इंतजाम
सिटी में पेय जल स्वच्छता मिशन के तहत सर्वे कराया जा रहा है लेकिन टीम के पास फील्ड टेस्टिंग किट ही अवेलेबल नहीं है। इस किट के जरिए पानी में बैक्टीरिया के साथ ही केमिकल्स व एलिमेंट्स की मौजूदगी जांची जा सकती है। लेकिन इस किट के नहीं रहने के कारण सर्वेयर्स एच2एस वॉयल के थ्रू किसी तरह वाटर टेस्ट कर रहे हैं। इस मेथड से पानी में सिर्फ बैक्टेरिया की प्रेजेंस और एबसेंस की जानकारी हो पाती है। जांच के लिए नल से पानी कलेक्ट कर 24 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। यदि पानी का कलर चेंज हो जाए तो वह बैक्टीरियल मान लिया जाता है।
यहां नहीं होना चाहिए हैंडपंप
- शौचालय के पास
- नाले के पास
- गंदे पानी के संपर्क में
यह हो तो पानी को समझिए पीने लायक
फ्लोराइड - 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर
आर्सेनिक - 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर
नाइट्रेट - 50 मिलीग्राम प्रति लीटर
आइरन - 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर
रेसिडुअल क्लोरीन - 5 मिलीग्राम प्रति लीटर
क्लोराइड - 250 मिलीग्राम प्रति लीटर
अल्केलिनिटी - 200 मिलीग्राम प्रति लीटर
बैक्टीरियोलॉजिकल -
पीएच - 6.5 से 8.5
हार्डनेस - 300 मिलीग्राम प्रति लीटर
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बॉक्स
एईएस है लाइलाज
जापानी इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए टीका तैयार है। वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है लेकिन जलजनित इंसेफेलाइटिस यानी एईएस का अभी कोई इलाज नहीं है।
इस तरह कीजिए पहचान
- बुखार के साथ सुस्ती
- बदहवासी
- अर्द्धचेतना
- बेहोशी
- झटका
- विक्षिप्तता
इस तरह कीजिए बचाव
- इंडिया मार्क हैंडपंप का ही पानी पीएं।
- छोटे हैंडपंप का पानी इस्तेमाल न करें।
- 40 फीट की गहराई वाले हैंडपंप का पानी कतई न पीएं।
- 100 फीट से अधिक गहराई वाले हैंडपंप का ही पानी पीएं।
- हैंडपंप का पानी सही न हो तो आरओ वाटर का इस्तेमाल करें।
- पानी को उबाल कर पीएं।
(जैसा कि बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। पीएन श्रीवास्तव ने बताया.)