एक ओर अस्पतालों में डॉक्टर्स की संख्या लगातार कम होती जा रही है तो दूसरी ओर नए डॉक्टर्स ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। एक बड़ी समस्या यह है कि हर माह पीएमएस में डॉक्टर्स रिटायर हो रहे हैं। 2014 तक पीएमएस के चार हजार से ज्यादा डॉक्टर्स रिटायर हो जाएंगे।

दो दिन पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने की भर्तियों के रिजल्ट की घोषणा की। विज्ञप्ति के अनुसार पीएमएस और राजकीय मेडिकल कॉलेजों में टीचर की पोस्ट्स पर भर्ती की गई थी। जिसका रिजल्ट 22 जून को निकाला गया। इसी वैकेंसी में प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के एलोपैथी चिकित्साधिकारी में न्यूरो सर्जन के 16 पदों पर चयन होना था, जिसमें कोई भी अभ्यर्थी उपस्थित नहीं हुआ। सभी पद खाली रह गए। साथ ही प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के हृदयरोग विशेषज्ञ के 4 पदों पर चयन के लिए भी साक्षात्कार के लिए कोई भी अभ्यर्थी उपस्थित नहीं हुआ।

जो आए उसे भर्ती कर लो

साक्षात्कार के दौरान हालत यह थी कि जो भी आए उसे भर्ती कर लिया जाए। लेकिन किसी भी अभ्यर्थी ने इसमें इंट्रेस्ट ही नहीं लिया। लोहिया हॉस्पिटल का एनआईसीयू बंद होने की कगार पर है। वहीं प्रदेश में इस समय न्यूरोसर्जरी और कार्डियोलॉजी में डॉक्टर्स का टोटा है। एनआईसीयू बिना कार्डियोलॉजिस्ट के चल नहीं सकता और ट्रॉमा सेंटर बिना न्यूरोसर्जन के नहीं चल सकता क्योंकि हेड इंजरी में न्यूरो सर्जन की जरूरत पड़ती है बिना इन डॉक्टर्स के ट्रॉमा सेंटर कैसे चलेंगे। यदि यही हाल रहा तो सरकारी अस्पतालों में इलाज के डॉक्टर्स नहीं मिलेंगे।

पैसा और सुकून

एक पीजी डॉक्टर का कहना है कि पीएमएस में सैलरी तो ठीक मिलती है लेकिन काम का बहुत प्रेशर है और सिक्योरिटी भी नहीं है। उन्होंने बताया कि डेली ओपीडी में लगभग 200 मरीज, फिर इमरजेंसी और पोस्टमार्टम के साथ वीआईपी ड्यूटी भी देनी पड़ती है। कोई भी आकर रौब डालकर चला जाता है। इतने काम के बाद जितनी सैलरी मिलेगी उसके चार गुना पैसा प्राइवेट प्रैक्टिस मे कमा लेंगे और सुकून की जिंदगी जिएंगे।

एक्स रे अल्ट्रासाउंड के पड़ जाएंगे लाले

अभी हाल ही में सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट के 159 पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी। जिसमें सिर्फ एक अभ्यर्थी ने इंटरव्यू दिया। उन्होंने भी पूरे पेपर्स सबमिट नहीं किए। जिसके कारण उनका चयन भी टेम्परेरी पद के लिए किया गया। यही हाल रहा तो प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन के लाले पड़ जाएंगे। मरीजों को प्राइवेट से ही यह जांचे करानी पड़ेंगी। प्रदेश के कई जिलों में रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं। जहां हैं वहां एक  हॉस्पिटल में एक रेडियोलॉजिस्ट से काम चलाया जा रहा है। एक रेडियोलॉजिस्ट अकेले अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, एमआरआई, सीटीस्कैन सब करता है। और घंटों की लम्बी लाइन लगती हैं। प्रदेश में इस समय सिर्फ 130 रेडियोलॉजिस्ट हैं जिसमें से 80 ही रेडियोलॉजिस्ट का काम कर रहे हैं।