- गोरखपुर के नंदानगर के रहने वाले राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा से एमबीए पास आउट हैं

- सभी चुनावों में दर्ज कराते हैं अपनी उपस्थिति

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: बच्चे जब घर में पढ़-लिखकर आगे बढ़ते हैं तो सभी लोगों को महत्वाकांक्षा होती है कि वह कोई नौकरी करेगा। ऐसे में प्रोफेशनल कोर्स अगर कोई बेटा कर ले तो माता-पिता की और महत्वाकांक्षा अधिक हो जाती है। कुछ इसी तरह का कार्य एमबीए पास राजन यादव के भी साथ हुई, लेकिन राजन यादव के मन में कुछ और चल रहा था। यह चल रहा था समाज को बदलने का। राजन यादव ने समाज बदलने का वीणा भी उठा लिया और शमशान को अपना डेरा बनाया और चलने का साधन बनाया अर्थी को। अपने इसी अनोखे अंदाज से उनको लोग अर्थी बाबा के नाम से जानने लगे हैं। अर्थी बाबा अभी तक 7 बार चुनाव में अपनी दावेदारी कर चुके हैं।

मुद्दों पर लड़ते हैं अकेले

अर्थी बाबा की सबसे बड़ी खासियत है कि वह सामाजिक मुद्दों और भ्रष्टाचार के विरूद्ध अकेले लड़ते हैं। अर्थी बाबा को जानने वाले लोगों को कहना है कि जब संजय दत्त जेल में थे तो उन्होंने 101 चिताओं को घाट पर ही रहकर पूजा की थी। इस बात की जानकारी संजय दत्त को भी थी। 2009 में जब संजय दत्त गोरखपुर आए तो अर्थी बाबा से मुलाकात भी की। उसके बाद हर मुद्दों पर वह लगातार संघर्ष करते रहे हैं। मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस को लेकर एक लंबा संघर्ष अर्थी बाबा ने किया है। पत्रकारों और मेडिकल कालेज के डाक्टरों के बीच हुई मारपीट के मामले में डाक्टरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर एसएसपी कार्यालय की छत पर चढ़कर प्रदर्शन करने लगे थे। जहां पुलिस ने अर्थी बाबा को मार था, जिसमें उनका पैर टूट गया था। गन्ना किसानों के मुद्दे हो या फैक्ट्रियों के गंदे पानी से हो रहे प्रदूषण की बात सभी अपना आंदोलन कर चुके हैं। वहीं अन्ना के भ्रष्टाचार के खिलाफ हो रहे आंदोलन के समर्थन में गोरखपुर से लेकर दिल्ली तक आंदोलन कर चुके हैं।

किसान के बेटा चल चुका सात चुनाव

गोरखपुर के नंदा नगर एरिया के दरगहिया के रहने वाले राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा के पिता धनपत यादव एक किसान हैं। अभी तक वह सात चुनाव लड़ चुके हैं। हर चुनाव में वह अपनी उम्मीदवारी कर ही देते हैं। लोगों को भले ही आश्चर्य लगे, लेकिन 2007 में जब दिल्ली में राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा देवी पाटिल अपना नामांकन कर रही थी तो अर्थी बाबा ने अपना नामांकन कर दिया। यही नहीं 2014 लोकसभा चुनाव में अपनी कर्मभूमि गोरखपुर छोड़कर नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से नामांकन कर दिया। अर्थी बाबा चुनाव में अपना नामांकन तो कर देते हैं, लेकिन हर बार उनकी जमानत जब्त हो जाती है।