- वुमंस डे पर भी रोडवेज बसों में बैठने के लिए भटकती रहीं महिलाएं

- बसों में महिला सीट पर बैठते हैं पुरुष, शिकायत पर रौब दिखाते कंडक्टर

- लोकल पैसेंजर्स को नहीं बैठाते कंडक्टर

GORAKHPUR: महिला पैसेंजर्स को बेहतर सुविधाएं देने के दावे करने वाले गोरखपुर रोडवेज की बसों में महिलाओं को एक अदद सीट नहीं नसीब हो रही। सरकारी रोडवेज बसों में महिलाओं की सुविधा के लिए महिला सीट रिजर्व रहती है लेकिन हाल ये है कि यहां रोडवेज बसों में रिज‌र्व्ड सीटों पर भी पुरुष यात्री कब्जा जमाए रहते हैं। हद तो ये कि वुमंस डे पर भी महिला पैसेंजर्स को कंडक्टर्स की ये मनमानी झेलनी पड़ी। एक महिला पैसेंजर ने बताया कि सीट मांगने पर कंडक्टर बदतमीजी से जवाब देते हैं कि ये गोरखपुर है दिल्ली नहीं जो कोई महिलाओं के लिए सीट छोड़ देगा।

एक सीट के लिए तरस जातीं महिला यात्री

इंटरनेशनल वुमंस डे के मौके पर शहर में महिलाओं को होने वाली समस्याएं जानने निकली दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम रोडवेज बस स्टेशन पहुंची। जो नजारा दिखा वो हैरान करने वाला था। बसों में सीट की मारामारी के बीच महिला पैसेंजर्स को सीट ही नहीं मिल पा रही थी। लोकल पैसेंजर्स को तो कंडक्टर्स बिठा ही नहीं रहे थे। रिपोर्टर ने भी कंडक्टर्स से परेशान महिलाओं को बस में बिठाने की गुजारिश की लेकिन वे अपनी मनमानी पर उतारू रहे। एक कंडक्टर ने तो यहां तक कह दिया कि यहां कोई सिस्टम नहीं है, कोई कहीं भी बैठ सकता है। ये हाल तब रहा जब सरकार महिलाओं की सुविधा के लिए पिंक बस का तोहफा दे चुकी है जिससे सफर में महिलाएं सेफ रहें। जबकि वुमंस डे के दिन ही गोरखपुर डिपो में महिलाएं और लड़कियां घर जाने के लिए दिनभर भटकती रहीं लेकिन उन्हें बस में बमुश्किल जगह मिल सकी।

लोकल पैसेंजर्स को भी नहीं मिलती जगह

एक बुजुर्ग महिला पैसेंजर ने बताया कि कई बस में ट्राई कर चुकीं लेकिन सहजनवां तक बैठाने के लिए कंडक्टर मना कर दे रहे थे। रिपोर्टर ने भी एक कंडक्टर से बुजुर्ग महिला को बिठाने के लिए रिक्वेस्ट की लेकिन जवाब में कंडक्टर ने झल्लाकर डांटते हुए कहा कि मेरा ड्राइवर सीधा लखनऊ ही रुकता है, सहजनवां और खलीलाबाद में ब्रेक नहीं लेता। ऐसे में साफ है कि देश की आधी आबादी के लिए सरकार तो तमाम प्रयास करती है लेकिन विभागों में बैठे जिम्मेदार शासन की मंशा को पूरा होने नहीं दे रहे। यहां महिलाओं के लिए कोई विशेष सुविधा का ध्यान नहीं दिया जा रहा।

सीट मांगने पर क्या कहते हैं कंडक्टर

टीम जब गोरखपुर डिपो की बस नंबर यूपी 53 सीटी 1916 में चढ़ी तो वहां महिला सीट पर तीन पुरुष बैठे मिले। जबकि महिला सीट पर बैठने के लिए एक लेडी मिन्नत कर रही थी। इसके बाद रिपोर्टर ने कंडक्टर से बात की तो जानिए क्या कहना था जनाब का।

रिपोर्टर - महिला सीट पर से पुरुषों को हटाकर महिलाओं को क्यों नहीं बैठा रहे हो।

कंडक्टर- ये दिल्ली नहीं है गोरखपुर है यहां जहां चाहो वहां बैठ सकते हो। कौन यहां पंगा लेगा।

इसी तरह दूसरी बस नंबर यूपी 53-1246 के कंडक्टर से भी बात की गई।

रिपोर्टर- वृद्ध महिला हैं इन्हें क्यों बस में नहीं बैठा रहे हो।

कंडक्टर- बड़े ही गुस्से में - मेरी गाड़ी का ड्राइवर सहजनवां में ब्रेक नहीं लेता है। दूसरी गाड़ी में जाओ।

रिपोर्टर- लखनऊ जा रही है बस तो खलीलाबाद के पैसेंजर्स को क्यों नहीं बैठा रहे हो।

कंडक्टर- मेरा दिमाग न चाटिए आगे जाओ दूसरी गाड़ी खड़ी है।

लेडीज पैसेंजर्स ने बयां किया दर्द

गोरखपुर डिपो पर खड़ी ग‌र्ल्स और महिलाओं से जब टीम ने बात की तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया। नाम न छापने की शर्त पर एक लड़की ने बताया कि दस बसों में ट्राई कर चुकी हूं लेकिन किसी ने नहीं बैठाया। इसी तरह एक अकेली वृद्ध महिला ने बताया कि घंटे भर से घूम रही हूं अभी तक किसी भी बस वाले ने नहीं बैठाया।

वर्जन

ये गलत है। अभी मेरे पास एक शिकायत आई थी। उनको मैंने खुद जाकर सीट दिलाई। ऐसा कोई नियम नहीं है कि लंबी दूरी की बस में लोकल पैसेंजर्स नहीं बैठेंगे।

- सीएस दुबे, स्टेशन इंचार्ज

ये महिला दिवस की ही बात नहीं है जो भी व्यवस्था है वो हर दिन के लिए है। जो भी कंडक्टर नियम का उल्लंघन कर रहा है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- डीवी सिंह, आरएम