पथरचट्टी परिसर में नौ दिन सुनिए रामकथा का चौथा दिन

ALLAHABAD: प्रभु श्रीराम जैसा लोक व्यवहार और ज्ञाता इस धरती पर आज तक कोई नहीं हुआ। राम के लिए राज्य छोड़कर जंगल जाने का वरदान मांगने वाली कैकेयी के प्रति राम के मन में कभी कोई दुर्भाव नहीं रहा। उनका जीवन मानवीय मूल्यों की सीख देता है। यह बातें पथरचट्टी परिसर में चल रही नौ दिन सुनिए रामकथा के चौथे दिन कथाव्यास पं। दिनेश कुमार मिश्र ने कही।

दीनबंधु हैं प्रभु श्रीराम

उन्होंने कहा कि प्रभु की भावना हमेशा सर्वश्रेष्ठ रही। क्योंकि वन से लौटकर भी वे सीधे कैकेयी से मिलने उनके भवन में गए। झांसी की मंदाकिनी ने प्रभु की उदारता का बखान करते हुए कहा कि वे दीनबंधु हैं। उनकी उदारता को हमें आत्मसात करना चाहिए।

आसुरी शक्तियों का नाश किया

पं। मदन मोहन मिश्र ने कहा कि रावण का संहार करना मुश्किल काम था लेकिन भगवान ने दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर न केवल रावण का संहार किया बल्कि आसुरी शक्तियों का समूल नाश किया। संचालन श्री रामचरितमानस सम्मेलन समिति के अध्यक्ष लल्लू लाल गुप्त सौरभ ने किया।

अलग खबर

सात कांड सरोवर के समान

श्री श्री बांके बिहारी परिवार की ओर से चौधरी गार्डेन में चल रही श्रीरामकथा के दूसरे दिन कथाव्यास दीपिका भारती ने प्रभु जन्म की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामायण एक महान ग्रंथ है। इसमें सात कांड हैं जो सात सरोवर के बराबर हैं। इनके अनुश्रवण मात्र से परमतत्व की प्राप्ति होती है। माता कौशल्या के अनुरोध पर प्रभु ने बालरूप धारण कर उन्हें वात्सल्य सुख प्रदान किया। कथा सुनाने के दौरान उन्होंने संगीतमयी प्रस्तुति के जरिए श्रद्धालुओं से जय श्रीराम, जय श्रीराम का जयकारा लगवाया। इस मौके पर चौधरी जितेन्द्र नाथ सिंह, राजन टंडन, विवेक अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, कमल सेठ, संदीप टंडन आदि मौजूद रहे।

अलग खबर

स्वयं को खोने पर मिलते हैं प्रभु

दिव्य अध्यात्म राष्ट्र सेवा मिशन की ओर से नारायण वाटिका में आयोजित शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन अनिरुद्ध महाराज ने कहा कि सत्य की यात्रा शूली की यात्रा है। क्योंकि प्रभु को पाना स्वयं को खोए बिना संभव नहीं है। मुख्य यजमान प्यारे लाल जायसवाल व दिनेश केशरवानी रहे। कथा में नगर आयुक्त शेषमणि पांडेय, राकेश टंडन, राजेश केशरवानी, प्रबोध मानस आदि मौजूद रहे।