The friendship are becoming more online than real
‘आई एम जस्टिफाइड’ थीम पर ऑर्गेनाइज हुए कांफ्रेंस पेरेंट्स और चिल्ड्रेन के रिलेशन पर खुलकर बात हुई। प्रोग्राम की चीफ गेस्ट रुचि नरेंद्रन ने कहा कि पेरेंट्स और बच्चों को एक दूसरे को समझने के लिए ऐसे प्रोग्राम ऑर्गेनाइज होते रहने चाहिए। एक ही मंच पर जब पेरेंट्स, स्टूडेंट्स और टीचर्स प्रजेंट हों तो वहां सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर चर्चा होना लाजिमी था। कांफ्रेंस के दौरान स्टूडेंट्स के सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ज्यादा टाइम स्पेंड करने पर भी सवाल उठे। एक्सपट्र्स ने इसके लिए बच्चों के साथ ही पेरेंट्स को भी जिम्मेवार माना। पेरेंट्स पर सवाल उठे कि वे क्वालिटी टाइम बच्चों के साथ स्पेंड नहीं करते जिस वजह से वे इन साइट्स पर विजिट करने के लिए मजबूर होते हैं। इसके अलावा स्टूडेंट्स को भी सलाह दी गई कि वे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ज्यादा टाइम स्पेंड न करें, ताकि वे ऑनलाइन की जगह रियल फ्रेंड्स के करीब रह सकें। कॅरियर, फ्रेंड्स और लाइफस्टाइल जैसे टॉपिक्स पर ग्रुप डिस्कशन भी ऑर्गेनाइज किया गया।

जो भी करो उसमें 100 परसेंट दो
प्रोग्राम के दौरान स्टूडेंट्स को कॅरियर में सक्सेस के लिए कई टिप्स भी मिले। एजुकेशनिस्ट और काउंसेलर नंदिता सिन्हा ने कहा कि हर बच्चे में अलग क्वालिटी होती है। हर कोई स्पोट्र्स में नाम नहीं कर सकता और हर कोई पढ़ाई में आगे नहीं बढ़ सकता। जरूरत इस बात की है कि खुद के टेलेंट को पहचानें और अपने इंट्रेस्ट के फिल्ड में अपना 100 परसेंट दें, ताकि उस पर्टिकुलर फिल्ड में अपने कॅरियर को आगे बढ़ा पाएं। ‘क्योंकि समाधान है इसलिए समस्याएं हैं’ पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी प्रॉŽलम का सॉल्यूशन है, इसके लिए बस प्रॉपर कम्यूनिकेशन की जरूरत होती है।
इस मौके पर टीएमएच में साइकिएट्रिस्ट सेंटर के हेड डॉ संजय अग्रवाल ने कहा कि पेरेंट्स को अपने बच्चों को फ्रेंड समझना चाहिए। उन्हें नजदीक से जानने की जरूरत है और इसके लिए बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करना जरूरी है। प्रोग्राम में एक्सएलआरआई के डायरेक्टर फादर ई अब्राहम के अलावा लोयला स्कूल की सीनियर फैकल्टी मेंबर शालिनी शर्मा ने भी अपनी बात रखी। कई स्टूडेंट्स को भी अपनी बात रखने का मौका मिला।

Report by: amit.choudhary@inext.co.in

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