अपने कार्यकाल पर पुस्तक लिख रहे हैं राय
राय देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के तौर पर अपने कार्यकाल पर एक पुस्तक लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने उनका फोन टैप किया और उनका मानना है कि 2-जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन पहले आओ पहले पाओ को आधार करने तथा कोयला खानों को बिना नीलामी के आवंटित करने के फैसले में मनमोहन सिंह की भी भागीदारी थी. यहां उल्लेखनीय है कि राय के कार्यकाल में 2-जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन में हुए नुकसान के अनुमानों को लेकर तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार काफी दबाव में आ गई थी.

'लोग सिंह को बुजुर्ग नेता मानते हैं'
क्योंकि कई लोग पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को बुजुर्ग राजनेता के तौर पर सम्मान देते हैं, इसलिए राय से पूर्व प्रधानमंत्री की सोच के बारे में उनकी धारणा पूछने पर उन्होंने कहा कि आप राष्ट्र को सरकार के अधीन और सरकार को राजनीतिक दलों के गठबंधन के अधीन नहीं रख सकते. उस समय कहा जा रहा था कि अच्छी राजनीति, अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी होती है पर क्या अच्छी राजनीति का मतलब सत्ता में बने रहना होता है.

'2-जी मामले में जिम्मेदारी से बच नहीं सकते मनमोहन'

राय ने कहाद कि 2-जी और कोयला मामले में सिंह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. 2-जी मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा ने सभी पत्र उन्हें लिखे हैं और उन्होंने उन पत्रों का जवाब दिया, लेकिन राय ने जो पत्र उन्हें लिखे उनको किसी भी पत्र का जवाब नहीं मिला. राय ने बताया कि एक मौके पर जब वह उनसे मिले तो उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह उनसे किसी तरह के जवाब की उम्मीद नहीं करेंगे, जबकि वह राजा को दिन में दो-दो बार जवाब दे रहे थे. फिर किस तरह उन्हें उस फैसले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

एक खास बातचीत का अंश
राय ने 16 नवंबर 2010 की बातचीत को याद करते हुए कहा कि सिंह ने उनसे कहा था कि 1.76 लाख करोड़ रुपये के 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन के नुकसान के आंकड़े की गणना का सही तरीका नहीं है. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कहा कि श्रीमान ये वही तरीके हैं जो उन्होंने उन्हें सिखाए हैं, यह बातचीत उस दिन विज्ञान भवन के मंच पर बैठे हुए हुई.

रिलायंस मामले में मंत्री स्तर पर नहीं किया गया फैसला
रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी बेसिन गैस क्षेत्र की ऑडिट पर राय ने कहा कि एक बातचीत में रिलायंस के बारे में प्रधानमंत्री की टिप्पणी उन पर सीधा आक्षेप नहीं है. रिलायंस के मामले में मंत्री स्तर पर कोई फैसला नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि उस समय तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के एक या दो बयानों के अलावा उन्हें राजनीतिक या सरकारी स्तर पर कोई समर्थन नहीं मिला.

फोन टैपिंग पर उन्होंने कहा
क्या उनका फोन टैप किया जा रहा था, यह पूछने पर राय ने कहा कि 100 प्रतिशत किया जा रहा था. वहीं एक अन्य टीवी चैनल को एक साक्षात्कार में राय ने दावा किया कि 2जी व कोयला खान आवंटन पर कैग रपटों में प्रधानमंत्री का नाम नहीं लाने के लिए संदीप दीक्षित, संजय निरूपम व अश्वनी कुमार सहित कई कांग्रेस सांसदों ने उन पर दबाव बनाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि यह निर्थक प्रयास था. राय ने पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल की भी आलोचना की है. राय के अनुसार पटेल ने 68 और विमान खरीदने के लिए एयर इंडिया बोर्ड को दरकिनार किया जबकि पहले 28 विमान खरीदे जाने थे.

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