RANCHI: हाई कोर्ट ने आइएएस अधिकारियों की को -ऑपरेटिव की जमीन पर किसी प्रकार के निर्माण पर लगाई रोक को खुद हटा दिया है। पूर्व में सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने खुद को-ऑपरेटिव की जमीन पर किसी भी प्रकार के निर्माण करने से रोक लगा दी थी। गौरतलब हो कि पिछले साल कोर्ट ने आइएएस अधिकारियों की दायर याचिका को खारिज कर दी थी। आदेश में कहा गया था कि इस मामले में 2010 में ही हाई कोर्ट ने रोक लगाई है। चार साल बाद रोक हटाने का आग्रह किया गया है। इस कारण यह उचित नहीं है। यह मामला जनहित से जुड़ा है। इस कारण कोर्ट रोक नहीं हटाएगी। कोर्ट ने सरकार को दो माह में हाउसिंग पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया था।

कांके में मिली थी जमीन

आइएएस अधिकारियों की सोसाइटी को सरकार ने कांके के सांगा में जमीन आवंटित की है। इसके खिलाफ विशाल कुमार ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि सरकार ने आइएएस अधिकारियों को काफी सस्ती दर पर जमीन दी है। वहीं, आइएएस अधिकारियों ने अपनी जमीन के लिए कई नियमों को बदला है। राज्य बनने के बाद आम लोगों को सरकार ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई। पूर्व में सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने को-ऑपरेटिव की जमीन पर किसी भी प्रकार के निर्माण करने से रोक लगा दी थी।

अधिकारियों की हस्तक्षेप याचिका

आइएएस अधिकारियों ने एक हस्तक्षेप याचिका दायर कर कोर्ट से लगी रोक हटाने का आग्रह किया। आइएएस अधिकारियों की ओर से बताया गया कि जमीन नियमों के तहत मिली है। किसी भी नियम में बदलाव नहीं किया गया है। जमीन बाजार दर पर ही उपलब्ध कराई गई है। कई आइएएस अधिकारी रिटायर कर गए हैं। उनके पास घर नहीं है। इस कारण हाइकोर्ट को रोक हटा लेनी चाहिए। पूर्व में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

बना ली गई है नई आवास नीति

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य आवास नीति बना ली गई है इसे अधिसूचित भी कर दिया गया है इसमें आइएएस, न्यायिक सेवा, एमपी-एमएलए, राज्य सेवा और रक्षा सेवा के लोगों को शामिल किया गया है, जिन्हें सस्ते दर पर जमीन दिया जाएगा यह भी बताया गया कि राज्य में लैंड बैंक भी बनाया जाएगा अदालत ने राज्य सरकार को सभी वर्गो को समान रुप से भूमि आवंटन करने का निर्देश दिया और अधिवक्ताओं को भी इसमें शामिल करने का निर्देश दिया।