- अनुबंधित बस परिचालक अपनी मर्जी से निर्धारित कर रहे हैं रूट

- रोडवेज निगम के तय रूट पर नहीं हो रहा बसों का संचालन

मेरठ। मुनाफे के लालच में अनुबंधित बस परिचालक नियमों को ताक पर रखकर रोडवेज के सौ प्रतिशत लोड फैक्टर वाले रूट पर बिना अनुमति के बसों का संचालन कर रहे हैं। ये वो रूट हैं जिन पर अधिकतर रोडवेज निगम की बसों को संचालन की अनुमति है, लेकिन रूट पर यात्रियों की संख्या को देखते हुए अनुबंधित बसों को भी धड़ल्ले से दौड़ाया जा रहा है। इससे डायरेक्ट निगम की बसों की आय को प्रति माह लाखों का नुकसान पहुंच रहा है।

तय रूट पर नहीं

मेरठ रीजन के भैंसाली और मेरठ डिपो में 240 के करीब अनुबंधित और 168 निगम की बसें हैं। इन बसों में निगम की बसों को लंबी दूरी के लिए संचालित किया जाता है और अनुबंधित बसों को अधिकतम सौ किमी की दूरी के लिए संचालित किया जाता है। ऐसे में कई रूट ऐसे हैं जिन पर निगम की बसों की संख्या की कमी के चलते अनुबंधित बसों के संचालन का रूट तय किया गया है। लेकिन अनुबंध के बावजूद भी दर्जनों अनुबंधित बस परिचालक चोरी छिपे अन्य रूटों पर बसों का संचालन कर रहे हैं।

मुनाफे का लालच

मेरठ-मुजफ्फरनगर, मेरठ- बुलंदशहर और मेरठ- गाजियाबाद ये रूट ऐसे हैं जिनमें लोड फैक्टर 70 से 100 प्रतिशत रहता है। इन रूटों पर बसों का संचालन रोडवेज के फायदेमंद रहता है। इसलिए अधिकतर बस परिचालक इन रूटों पर बस चलाकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं।

बसों की धरपकड़

गत माह मेरठ-मुजफ्फरनगर और मेरठ-बुलंदशहर के रूट पर रोडवेज के सचल दस्ते ने अभियान चलाकर ऐसी 7 बसों के अवैध संचालन को पकड़ा जो अपने निर्धारित समय से अलग इन मागरें पर चल रही थीं। इससे पहले मई और जून माह में करीब 12 परिचालकों को नोटिस जारी किया गया था।

चालकों के वेतन में कटौती

निर्धारित रूट से अलग बसों का संचालन करने वाले परिचालकों के वेतन से कटौती कर रोडवेज अपने इस नुकसान की भरपाई करने का प्रयास रहा है। लेकिन कटौती इतनी कम है कि अनुबंधित बस परिचालक संचालन बंद नहीं करते।

इन रूटों पर अनदेखी-

- मेरठ- मुरादनगर- गाजियाबाद

- मेरठ- बागपत- मुजफ्फरनगर

- खतौली- मुजफ्फरनगर- पुरकाजी

- मेरठ- हापुड़- बुलंदशहर

- मेरठ- गढ़

फैक्ट-

- परिचालकों के वेतन से 300 रुपए की कटौती बतौर जुर्माना

- पुनरावृत्ति करने पर परिचालक की संविदा समाप्त का नियम

हर माह सचल दस्ते प्रमुख रूटों पर बसों के संचालन की निगरानी करते हैं। बस परिचालकों के ऐसा करने से कई कम लोड फैक्टर वाले रूट पर बसों की कमी हो जाती है और यात्री परेशान रहते हैं।

- एसके बनर्जी, आरएम रोडवेज