डीएम के आदेश पर 30 जनवरी को कराई गई थी एफआइआर

फीरोजाबाद : 31 लाख से अधिक के खनन घोटाले का खुलासा होने के बाद आरोपी ठेकेदार ने धनराशि जमा कर दी है। प्रशासन ने इस धनराशि पर चार लाख रुपये की ब्याज भी वसूल की है। वहीं आरोपी बाबू की अभी तक बहाली नहीं हो पाई है। मामले की पुलिस और प्रशासनिक जांच चल रही है।

खनन शुल्क और रॉयल्टी जमा करने के नाम पर कलक्ट्रेट के एक बाबू ने लंबा खेल किया। खनिज सहायक के पद पर तैनात बाबू सर्वेश उपाध्याय और रेल कॉरिडोर में मिट्टी डालने का कार्य कर रहे ठेकेदारों ने सांठगांठ कर कई महीनों तक सरकार को चूना लगाया। जो रॉयल्टी सरकार के खाते में जमा होनी चाहिए थी, उसका बंदरबांट कर लिया गया। इस बात की भनक जब जिलाधिकारी विजय किरन आनंद को हुई तो उन्होंने एडीएम कर्मेंद्र सिंह को जांच के आदेश दिए। जांच हुई तो पूरी हकीकत सामने आ गई। जिले की ही एमके कांन्ट्रेक्टर एंड सप्लायर्स कंपनी के 31 लाख से अधिक के चालान फर्जी निकले। इसको गबन मानते हुए डीएम के आदेश पर 30 जनवरी को थाना मटसैना में बाबू और कंपनी के ठेकेदार केपी सिंह पर एफआइआर दर्ज कराई गई। इसके साथ ही डीएम ने आदेश दिए थे कि यदि तीन दिन में 31 लाख रुपये जमा न किए जाएं तो रिकवरी जारी कर दी जाए। वहीं बाबू को निलंबित कर दिया गया।

इस कार्यवाही से ठेकेदार के होश उड़ गए। अगले ही दिन उन्होंने धनराशि जमा करने की अर्जी लगा दी। हालांकि पूरी धनराशि 16 फरवरी तक जमा हो सकी। बीच में ठेकेदार की पत्नी ने डीएम कार्यालय में पत्र भेजकर ये जानकारी दी थी कि जमा करने के लिए घर में रखी 15-16 लाख रुपये कोई उठाकर ले गया है। इसके बाद प्रशासन ने समय के मामले में थोड़ी नरमी तो बरती लेकिन ठेकेदार से धनराशि ब्याज सहित वसूल कर ली।

सूत्रों के अनुसार ठेकेदार से 35 लाख 35 हजार रुपये वसूले गए हैं। इसमें करीब चार लाख रुपये ब्याज के शामिल हैं। इस तरह ठेकेदार और बाबू रिकवरी की कार्यवाही से तो बच गए, लेकिन पुलिस और प्रशासनिक जांच अब भी चल रही है। ये बात अलग है कि पुलिस ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है।