एंजलीना को जिस ऑपरेशन से गुजरना पड़ा उसमें कैंसर से बचने के लिए दोनों स्तनों को आंशिक या फिर पूरी तरह हटा दिया जाता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि खतरे की संभावना का पता कैसे लगाया जाता है. 

जोली को स्तन कैंसर होने की संभावना इसलिए अधिक थी क्योंकि उन्हें अपनी मां के गुणसूत्रों से ‘बीआरसीए-1’ नाम के खराब जीन्स आनुवांशिक तौर पर मिले थे.

कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक जो महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं उनमें स्तन कैंसर की संभावना कम रहती है. जो महिला जितने लंबे समय तक स्तनपान कराती हैं उनके बचने की संभावना उतनी ही अधिक रहती है.

लेकिन इस बारे मे बहुत कम कहा सुना जाता है कि दक्षिण अफ्रीकी महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावना चार गुणा तक कम होती है. क्योंकि वे कम उम्र में ही मां बन जाती हैं और लंबे समय तक अपने बच्चों को दूध पिलाती रहती हैं.

‘बीआरसीए-1’ जीन

जोली की मां मार्केलीना बर्टरैंड की मृत्यु 56 वर्ष की आयु में अंडाशय के कैंसर से हो गई थी. ‘बीआरसीए-1’ जीन हर किसी में होता है लेकिन हजार लोगों में से एक ही व्यक्ति में यह कैंसर कारक होता है. लेकिन जोली को खतरे की संभावना इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि उनमें कई कारण थे जिनमें एंजलीना का पारिवारिक इतिहास भी था.

‘कैंसर रिसर्च यूके’ से जुड़े डॉक्टर कैट आर्नी कहते हैं, "ऐसे कई कंप्यूटर प्रोग्राम हैं जिनमें आनुवांशिक सूचनाएं, पारिवारिक इतिहास और अन्य चीजें देने पर वह आपको एक आंकड़ा देगा. इसी वजह से जोली को एक स्पष्ट संख्या में कैंसर की आशंका से आगाह किया गया था."

लेकिन यहां एक सवाल ये भी है कि अगर किसी में ‘बीआरसीए-1’ जीन कैंसर कारक न हुआ तो महिला को स्तन कैंसर होने की कितनी संभावना रहेगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही कहा है कि विकसित और विकासशील देशों में महिलाओं को होने वाले कैंसर में स्तन कैंसर के मामले सबसे ज्यादा हैं.

जिंदगी के उत्तरार्ध

स्तनपान

इस पर सवाल है कि क्या स्तनपान से कैंसर की आशंका कम होती है

कई देशों में तो अब ये बात आम हो चली है. साल 1971 से लेकर 2010 तक ब्रिटेन में स्तन कैंसर के मामले 90 फ़ीसदी तक बढ़ चुके हैं और विकासशील देशों में भी अब ये आंकड़ा बढ़ रहा है.

हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग लंबे समय तक जीते हैं और अमूमन कैंसर को उस बीमारी की तरह देखा जाता रहा है जो जिंदगी के उत्तरार्ध में परेशान करता है.

ब्रिटेन में 30 साल की उम्र तक किसी को स्तन कैंसर होने की संभावना 2000 महिलाओं में से एक को रहती है जबकि 50 की उम्र तक यह खतरा बढ़कर दो फीसदी हो जाता है.

यानी 50 महिलाओं में से एक इसकी चपेट में आ सकती हैं. 70 साल की उम्र तक यह खतरा बढ़कर 7.7 फीसदी हो जाता है.

बहरहाल सभी आयु वर्ग के लोगों को मिलाकर देखें तो ब्रिटेन में किसी महिला को उसके जीवन काल में स्तन कैंसर होने की संभावना 12 फीसदी तक रहती है और अमरीका में भी यही हालात हैं.

मां बनने का फैसला

लेकिन यहां ये बात बेहद महत्वपूर्ण है कि ज्यादा जीना ही स्तन कैंसर होने की एक मात्र वजह नहीं है. आर्नी कहते हैं, “कम उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर की आशंका बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. हम जानते हैं कि महिलाओं की जीवनशैली बदल रही है. उनके वजन का बढ़ना, शराब पीना ऐसी बाते हैं जो स्तन कैंसर के खतरे से जुड़ी हुई हैं.”

मां बनने के तौर-तरीकों में हुए बदलाव भी एक कारण है. कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक वयस्क महिलाओं में मां बनने के फैसले में की जाने वाली देरी की वजह से उनमें तुलनात्मक रूप से स्तन कैंसर की संभावना तीन फीसदी तक बढ़ जाती है.

दूसरी तरफ विकासित देशों में स्तन कैंसर से बचने की सभावनाएं बेहतर रहती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, “उत्तरी अमरीका, स्वीडन और जापान में स्तन कैंसर से बचने की दर 80 फीसदी है जबकि मंझोली आमदानी वाले देशों यह तकरीबन 60 फीसदी है और कम आय वाले देशों में 40 फीसदी है.”

लेकिन यह सवाल फिर भी रह जाता है कि ब्रिटेन सहित अन्य देशों में स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कितनी महिलाएं एंजलीना जोली की तरह स्तनों को हटवाने का चौंकाने वाला फैसला ले पाती हैं.

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