इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया जाना अवैध है. कोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन के लिए नए धर्म में सच्ची आस्था होना अत्यंत आवश्यक है. गौरतलब है कि कोर्ट ने इस तरह से की गई सभी शादियों को भी अवैध करार दिया. उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने अपने फैसले में कुरआन और भारतीय संविधान की धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तित किया जाना दोनों किताबों के अनुसार मान्य नही है.

आखिर क्या था मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर, देवरिया, संभल और मउ की पांच लड़कियों की मुस्लिम धर्म अपनाने की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में कोर्ट से सुरक्षा की मांग की गई थी क्योंकि हिंदु लड़कियों ने अपने परिवारवालों की मर्जी के बगैर मुस्लिम युवकों से शादी की थी. इसके साथ ही धर्म परिवर्तन करने का कारण भी मुस्लिम युवकों से शादी करना बताया. इस याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी की कोर्ट ने कहा कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया जाना पूरी तरह से अवैध है. कोर्ट ने कहा कि इन लड़कियों को यह जानकारी भी नही है कि उनका धर्म कब और किसने परिवर्तित कराया. इसके साथ ही याचिका में इस्लाम के प्रति आस्था का नामो-निशान नही है.

कोर्ट ने किया सुरक्षा देने से इंकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन पाचों लड़कियों को सुरक्षा देने से इंकार करने के साथ ही इस विवाह को भी पूरी तरह से अवैध करार दिया. कोर्ट ने कहा कि पवित्र इस्लामिक धर्मग्रंथ कुरआन की 221 वीं आयत और भारतीय संविधान की 25 एवं 26वां अनुच्छेद नागरिकों को स्वतंत्र रूप से अपने धर्म का पालन करने की आजादी देता है. लेकिन यह धर्म परिवर्तन दोनों अहम ग्रंथों के विपरीत है. इस केस में हाईकोर्ट लॉयर वीर सिंह का कहना है यह दोनों ग्रंथ लालच देकर कराए गए धर्म परिवर्तन को स्वीकार नही करते. गौरतलब है कि इससे शादी के लिए धर्म परिवर्तित करके कोर्ट से सुरक्षा लेना आसान नही होगा.

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